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मजदूरों और छात्रों को वापस लाने के लिए झारखंड सरकार ने बनाई 15 IAS की टीम- Jharkhand government formed 15 IAS team to bring back laborers and students jhnj | nation – News in Hindi

रांची. केन्द्र के दिशा-निर्देश के बाद झारखंड सरकार ने लॉकडाउन (Lockdown) में बाहर फंसे पांच लाख से ज्यादा मजदूरों (Laborers) और छात्रों को वापस लाने के लिए सक्रिय हो गई है. सरकार ने इसके लिए 15 आईएएस अफसरों को नोडल अधिकारी बनाया है. प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह मुख्य नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं. इन्हें महाराष्ट्र में फंसे लोगों को वापस लाने जिम्मेदारी दी गई है.

इन अधिकारियों ने संभाला मोर्चा

वहीं विनय कुमार चौबे को दिल्ली, अजय कुमार सिंह को कर्नाटक, असम और गोवा, अविनाश कुमार को तमिलनाडु और एमपी, हिमानी पांडेय को राजस्थान, दादर नगर हवेली, दमन एवं दिव और मेघालय, अराधना पटनायक को यूपी, सिक्किम, नागालैंड, राहुल शर्मा को तेलंगाना, कमल किशोर सोन को गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, राहुल पुरवार को ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूजा सिंघल को पंजाब, अमिताभ कौशल को प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, लद्दाख, अबुबकर सिद्दीकी को केरल, प्रवीण टोप्पो को चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, बिहार, प्रशांत कुमार को हरियाणा और के रविकुमार को मणिपुर, मिजोरम, पुडुचेरी, उत्तीसगढ़, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई है. इन सभी आईएएस अधिकारियों ने बुधवार रात से ही जिम्मेदारी संभाल ली है.

‘केन्द्र के सहयोग के बिना वापसी संभव नहीं’सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि छात्रों और मजदूरों को झारखंड वापस लाना केंद्र के सहयोग के बिना संभव नहीं होगा. राज्य सरकार अकेले इतने लोगों को वापस नहीं ला सकती है, क्योंकि राज्य के पास सीमित संसाधन हैं. झारखंड राज्य सरकार के पास ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन नहीं है. ऐसी परिस्थिति में मजदूरों और छात्रों को वापस लाने में 6 महीने लग जाएंगे. आकलन के मुताबिक झारखंड के करीब पांच लाख मजदूर विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं. राज्य सरकार ने इनकी वापसी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिये हैं.

अब सरकार न करे बहानेबाजी- बीजेपी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेलमंत्री पीयूष गोयल से बात कर प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने का आग्रह किया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि झारखंड के भी लाखों मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं. हजारों छात्र कोटा, बेंगलुरू, दिल्ली सहित विभिन्न शहरों में लंबे समय से फंसे हुए हैं. केंद्र के इस निर्णय के बाद इन सबों को बड़ी राहत मिलेगी. मुख्यमंत्री अविलंब पहल कर युद्ध स्तर पर योजना बनाकर इन मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों को वापस लाए. अब राज्य सरकार के पास बहानेबाजी का कोई स्कोप नहीं बचा है. पूर्व सीएम रघुवर दास ने भी राज्य सरकार से अविलंब पहल कर मजदूरों और छात्रों की घर वापसी कराने की मांग की है.

बस के बजाय रेल की होनी चाहिए व्यवस्था- जेएमएम

श्रममंत्री सत्यानंद भोक्ता ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र के इस फैसले पर राज्य सरकार विचार कर रही है. राज्य सभा सांसद धीरज साहू और विधायक बंधू तिर्की ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मजदूरों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार पहले से ही चिंतित है. अब निर्णय अनुसार उसपर सरकार तैयारी करेगी. जेएमएम महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा है कि बस के बजाय केन्द्र को रेल की व्यवस्था करनी चाहिए थी. इतनी संख्या में मजदूरों को बसों से कैसे संभव होगा, इस पर विचार करनी होगी.

इनपुट- भुवन किशोर झा

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