Black Hole ‘डांस’ के बारे में मिली खास जानकारी, Spitzer टेलीस्कोप से मिली मदद | Black hole dance the precise timing found, Spitzer telescope of NASA helped Viks | nation – News in Hindi

कितनी दूर हैं ये ब्लैकहोल
इस अध्ययन से वैज्ञनिकों को ब्लैकहोल के बारे में बहुत सी जानकारियां भी मिली हैं. 3.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित इन ब्लैकहोल में से एक अब तक का सबसे बड़ा ब्लैकहोल है. OJ 287 गैलेक्सी में स्थित यह ब्लैक होल हमारे सूर्य से 18 अरब गुना बड़ा है. एक और ब्लैक होल इसी ब्लैक होल का चक्कर लगा रहा है, जो हमारे सूर्य से 15 करोड़ गुना बड़ा है.
12 साल में दो बार यह छोटा ब्लैक होला बड़े ब्लैक होल के पास वाली गैस की बड़ी डिस्क से टकराता है. इस घटना से खरबों की संख्या वाले तारों की रोशनी के बराबर रोशनी पैदा होती है. यह रोशनी हमारी पूरी गैलैक्सी यानि मिल्की वे से भी ज्यादा चमकदार होती है.

ब्लैक होल से निकलने वाली
गुरुत्वाकर्षण तरंगे बहुत खास जानकारी दे सकती हैं. (फाइल फोटो
बहुत अनियमित है इसका रास्ता
छोटा ब्लैकहोल अपने बड़े ब्लैकहोल का चक्कर गोल चक्कर नहीं लगाता बल्कि उसका रास्ता कुछ अनियमित सा है. वह अपना रास्ता बदलता रहता है. उसकी कक्षा का रास्ता डिस्क के मुकाबले कुछ टेढ़ा सा है. लेकिन जब यह ब्लैकहोल डिस्क के पास आता है तब वहां हालात सामान्य नहीं रह पाते.
खास घटना से पैदा होना वाली चमक
ब छोटा ब्लैकहोल डिस्क से टकराता है तब गरम गैसे के बड़े गुब्बारे डिस्क से दूर विपरीत दिशा में जाने लगते हैं और 48 घंटे के अंदर यह चमक चार गुना हो जाती है. अपनी अनियमितता के कारण ब्लैकहोल डिस्क से अपनी 12 साल की परिक्रमा में अलग अलग समय टकरता है. कई बार यह चमक एक साल को कई बार यह 10 साल बाद दिखती है. और इस चमक का सही समय निकलना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बनी हुई थी.
पहले केवल तीन हफ्ते के समय की थी सटीकता
इस घटना का समय निकालने के लिए वैज्ञानिकों ने कई मॉडल बनाए. वैज्ञानिकों ने 2010 में घटना का समय निकालने के लिए एक मॉडल बनाया. इससे इस घटना के एक से तीन हफ्ते के अंदर होने वाले समय का पता चला. इस मॉडल ने दिसंबर 2015 में इस घटना के सही समय पर होने की पुष्टि भी की.
तीन हफ्ते से चार घंटे
इसके बाद साल 2018 में भारत में मुंबई टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के छात्र लंकेस्वर डे की वैज्ञानिक टीम ने एक शोध में दावा किया गया गया कि इस तरह की घटना के समय का अनुमान चार घंटे की सटीकता से लगाया जा सकता है. पिछले साल ही वैज्ञानिकों ने इस मॉडल की भी सटीकता की पुष्टि की. यह पुष्टि 31 जुलाई 2019 को हुई घटना के आधार पर हुई थी.
क्यों आसान नहीं था यह पता लगाना, लेकिन
इस अवलोकन में एक समस्या थी इस बार OJ287 पृथ्वी से सूर्य के ठीक पीछे जा पहुंचा था. इस वजह से इस घटना को धरती से या उसके आस पास चक्कर लगा रहे टेलीस्कोप से देख पाना संभव नहीं था. उस साल सितंबर से पहले ये ब्लैकहोल नजर में नहीं आ सकते थे, लेकिन नासा का स्पिट्जर स्पेस टेली स्कोर जो जनवरी 2020 में रिटायर होना था, उसकी नजर में यह घटना आ गई. स्पिट्जर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के 600 गुना ज्यादा दूरी, यानि 25.4 करोड़ किलोमीटर दूरी की कक्षा में स्थित था. उसकी स्थिति ऐसी थी कि वह उन दो ब्लैकहोल के सिस्टम को 31 जुलाई से सितंबर तक देख सकता था
स्पिट्जर ही देख सकता था यह घटना
कैलीफोर्निया के पासाडेना स्थित कैलटेक के एसोसिएट स्टाफ साइंस्टिस्ट सेपो लिएन ने स्पिट्जर के अवलोकन का अध्ययन किया. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने OJ 2987 को देखे जा सकने की संभावना को जांचा तो उन्हें यह जानकार हैरानी हुई कि वह स्पिट्जर के लिए भी वह मुमकिन था. वह इस घटना के प्रमुख क्षणों का अवलोकन करने में कामयाब हो सका जो कि उस समय पृथ्वी के मानव निर्मित किसी उपकरण से संभव नहीं था.
गुरुत्वाकर्षण तरंगों की भूमिका
OJ 2987 और उसका चक्कर लगा रहे ब्लैकहोल के उसके पास वाली डिस्क से टकराने की घटना के मामले में गुरुत्वाकार्षण तरंगें (Gravitational Waves) वैज्ञानिकों के लिए अहम संकेत थीं. OJ 2987 से निकलने वाली गुरुत्वाकर्ष तरंगें बहुत ज्यादा थी, यहां तक कि वे पास के ब्लैक होल की कक्षा में भी बदलाव करने में सक्षम होती है. यहां तक कि उस चमक के समय को भी प्रभावित करती हैं जो छोटे ब्लैकहोल के OJ 2987 की डिस्क से टकराने से बनती है.
बहुत कुछ बदल सकता है इन आंकड़ों से
स्पिट्जर के आंकड़ों के अध्ययन से जहां शोधकर्ताओं को इस घटना के होने की सटीकता की नजदीकी जानकारी मिली. वहीं उन्हें कुछ पुराने शोधों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत महसूस हो रही है. अब कई वैज्ञानिकों को लगता है कि अब समय आ गए है कि बहुत से पुराने शोधों को नए अवलोकित आंकड़ों के नजरिए से देखने की जरूरत है. इनमें प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस की ‘नो हेयर थ्योरम” भी शामिल है.
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