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Hospitals Practising Untouchability Gave Us Used Gowns and Cut Pay Say Health Workers on Coronavirus Duty | नर्सों के साथ छुआछूत कर रहे सीनियर डॉक्टर, 14 दिन की ड्यूटी के बाद वो आराम करते हैं, हमें 3-4 दिन में ही बुला लेते हैं | nation – News in Hindi

-सुहास मुंशी-
नई दिल्ली. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बीते दिनों कोविड-19, कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus) का पहली पंक्ति में सामना कर रहे डॉक्टरों की प्रशंसा की. उन्होंने डॉक्टर्स को ‘योद्धाओं’ का तमगा दिया. वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों ने दावा किया है कि ड्यूटी के दौरान उनके भेदभाव किया जा रहा है. News18 ने दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वाले नर्सों से बात की. उनमें से एक हैं डीके गौतम. जीटीबी अस्पताल में काम करने वाले गौतम बताते हैं कि कई अस्पतालों में किस तरह से छुआछूत को अंजाम दिया जा रहा हैं. जिस अस्पताल में वह काम करते हैं उसमें भी ऐसा ही हो रहा है.

गौतम ने बताया कि ‘अस्पताल के वाशबेसिन के पास लिखा गया है कि सफाई कर्मी और नर्स इस सुविधा का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. स्पेशल कोविड-19 वार्ड्स में 14 दिन की लंबी शिफ्ट करने के बाद सभी स्टाफ के सैंपल्स लिए जाते हैं. सीनियर डॉक्टर्स अगले दो हफ्ते तक अपने घर ही रहते हैं लेकिन हमारी रिपोर्ट निगेटिव आने के 3-4 दिन के भीतर ही वापस ड्यूटी पर बुला लिया जाता है. सीनियर डॉक्टर्स के स्वास्थ्य पर हर रोज निगरानी रखी जाती है वहीं दूसरी ओर हमारी एक साथी जो कोरोना पॉजिटिव पाई गई उसे अस्पताल के बाहर 12 घंटे तक इंतजार करना पड़े.’

अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करने वाली उनकी पत्नी पिंकी गौतम भी पॉजिटिव पाई गई. वह उस मरीज के इलाज में शामिल थी जिसकी कोरोना से मौत हो गई. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल के अधिकारियों को उनके लिए अस्पताल में बिस्तर की व्यवस्था करने में 24 घंटे लग गए.‘जिन्दा रहते इंतजाम क्यों नहीं कर रहे’

गौतम ने कहा, ‘वे हमें ‘योद्धा’ कहते हैं. उन लोगों के लिए मुआवजे की घोषणा करते हैं जो ड्यूटी पर मारे जाएंगे. जब हम जिन्दा हैं और कोविड -19 रोगियों के इलाज में शामिल हैं तो हमारी मौत की चिंता करने के बजाय सरकारें हमारे स्वास्थ्य का ख्याल क्यों नहीं रखती हैं.  हमें किसी ने यह नहीं बताया कि हम अपनी देखभाल कैसे करें. इस पूरे संकट ने हमें सिखाया है कि हम  मेडिकल सेवा के सबसे निचले पायदान पर मौजूद हम लोग द्वितीय श्रेणी के नागरिक हैं.’

दिल्ली के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल में काम करने वाली नर्स ने कहा कि ’15 दिन पहले उनमें कोरोना के लक्षण पाए गए. यह हल्की खांसी के साथ शुरू हुआ और फिर सांस लेने में समस्या हुई. मैंने एम्बुलेंस के लिए फोन किया और मुझे अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें बताया गया कि कुछ भी नहीं हुआ. बताया कि ‘मुझे एक इंजेक्शन दिया गया और घर भेज दिया गया . घर लौटने के बाद मुझे फिर से बुखार हो गया .22 अप्रैल को फिर से उसे एक इंजेक्शन लगाया गया और घर भेज दिया गया . लेकिन इस बार उसका ब्ल्ड टेस्ट हुआ. तीन-चार दिन में रिपोर्ट आ जाएगी.’

नर्स ने बताया कि “मैं चिंतित हूं … मैं अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाली सदस्य हूं. और मैं अपने मरीजों का बहुत ख्याल रखता हूं. मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? अगर मुझे कुछ हो जाता है, तो मेरे घर वालों की देखभाल करने वाला कोई नहीं होगा.’

‘दूसरों के पहने हुए गाउन दिये गये’
ये नर्सें सीनियर नर्सों के सहायक के रूप में काम करती हैं. उनका काम मरीजों को नहाने, शौचालय का उपयोग करने में मदद करना है . राजधानी के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल में काम करने वाली एक अन्य महिला नर्स ने कहा कि ‘उन्हें और उनके सहयोगियों को पीपीई किट भी नहीं दी गई, जबकि बाकी वरिष्ठ कर्मचारियों को मिली. थोड़ी देर के बाद, जब हमने बहुत शोर किया, तो उन्होंने हमसे गाउन का उपयोग करने के लिए कहा, जो नर्सों ने एक बार इस्तेमाल किया था. हम अभी भी उनका उपयोग करते हैं .नर्स इसे एक दिन के लिए पहनते हैं और हम इसे तब तक पहनते हैं जब तक कि उस पर कोई ब्लड या दाग नहीं लग जाता.’

कई ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारी जो महीने के 8,000 से 12,000 रुपये कमाते हैं उन्होंने अपनी नौकरी खोने के डर से पहचान जाहिर करने से इनकार कर दिया. एक सरकारी अस्पताल में नर्स ने कहा कि वह और उसके कई साथी अपने अस्पतालों को रिपोर्ट नहीं कर पाए थे क्योंकि उन्हें समय पर वैध पहचान पत्र नहीं दिए गए थे.

बताया कि ‘मेरे एक सहकर्मी को पुलिस ने पीटा जब वह उनसे इस पर बात कर रहा था कि उसे अपने अस्पताल में काम करने की अनुमति दी जाए .हम में से जो लोग इसे अस्पतालों नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें उनके वेतन में कटौती हो रही है, प्रधानमंत्री के इस अनुरोध के बावजूद कि किसी के वेतन में कटौती ना हो, ऐसा किया जा रहा है.’

(News18 ने सोमवार को GTB अस्पताल के चिकित्सा निदेशक से इस पर प्रतिक्रिया मांगी है. जवाब मिलने के बाद स्टोरी को अपडेट किया जाएगा .)

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