यूनीवर्सल फिल्म स्टूडियो के कलाकारों ने किया नतीजन बाई को कला पुरोधा सम्मान

भिलाई। तीजन बाई को भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्मविभूषण दिए जाने के समाचार से छत्तीसगढ़ी कला जगत में हर्ष की लहर व्याप्त है। ‘‘अंकुष देवांगन यूनीवर्सल फिल्म स्टूडियो’’ के कलाकारों ने तीजन बाई को इस माटी का सच्चा धरोहर निरुपित करते हुए छत्तीसगढ की ‘‘कला पुरोधा’’ सम्मान से सम्मानित किया है। उनके मूल निवास ग्राम गनियारी में आयोजित सम्मान समारोह में स्वरकोकिला व सुप्रसिद्ध लोकगायिका-श्रीमती रजनी रजक, पार्षद एवं रंगकर्मी-राजेन्द्र रजक, शिक्षाविद-प्रेमचंद साहू, नीज सचिव-मनहरण सार्वा, महाराष्ट्र नांदेड़ से आये पूर्व संस्कृति अधिकारी संजय सिंग, डॉ. अनुराधा एवं लिम्का बुक ऑफ द वल्र्ड रिकार्ड पुरस्कृत कलाकार-अंकुश देवांगन उपस्थित थे। तीजन बाई को ‘‘कला पुरोधा’’ सम्मान दिए जाने पर प्रख्यात माडर्न आर्ट चित्रकार-डी.एस. विद्यार्थी, पनाश मिसेज इंडिया छत्तीसगढ़ी कास्ट्यूम-शिखा साहू, अजय साहू, लोकमंच उद्घोषिका-रुपा साहू, समाजसेवी विमान भट्टाचार्य, रमेष भारती, प्रवीण कालमेघ, निर्माता-पूर्णानंद देवांगन ने कोटि-कोटि बधाई दी है।
ज्ञात हो कि भिलाई की अंतर्राष्ट्रीय पंडवानी गायिका तीजन बाई को भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्मविभूषण दिए जाने की हाल ही में घोषणा की गई है। न सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य वरन् अविभाज्य मध्यप्रदेष की वे पहली महिला शख्षियत हैं जिन्हें इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। यूनीवर्सल फिल्म स्टूडियो मरोदा जो कि विगत कुछ वर्षों से राज्य का नाम देष-दुनिया में रौषन करने वाले कलाकारों को ‘‘कला पुरोधा’’ सम्मान से सम्मानित करते आ रहा है उन्होंने इस उपलब्धि पर तीजन बाई को सम्मानीत किया है।
इन कलाकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ की माटी में यदि कोई सच्चा कला पुरोधा है तो वह है तीजन बाई ही है जिससे खुद यह सम्मान अपने अर्थ को सार्थक कर सके। उनके मूल निवास ग्राम गनियारी में आयोजित सम्मान समारोह में स्क्रीप्ट राईटर अंकुष देवांगन ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि कभी-कभी ऐसे षख्स को सम्मान मिलकर पुरस्कार खुद पुरस्कृत हो उठता है, यह वही घड़ी है, उनके सम्मान से छत्तीसगढ़ की माटी भी धन्य हो गई है। तीजन बाई संग एक साथ भिलाई इस्पात संयंत्र की नौकरी ज्वाईन करने वाली सुप्रसिद्ध लोकगायिका व स्वरकोकिला-रजनी रजक ने बीते दिनो को स्मरण करते हुए कहा कि सहजता और सरलता ही तीजन की पूंजी है जिसके कारण आज वह इस मुकाम पर है। उन्हें गर्व है कि उनके वरिष्ठ कलाकार को यह सम्मान मिला है, इस दौरान पिछले संघर्षमय जीवन को याद कर दोनो कलाकारों की आंखें भर आई। महाराष्ट्र नांदेड़ से आये पूर्व संस्कृति अधिकारी संजय सिंग ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि 1988 के कुंभ मेला में तीजन बाई की प्रस्तुति के दौरान किस तरह सीरियल बम ब्लाष्ट हुए थे और अनेकों लोगों की जाने गई थी परंतु फिर भी वे तनिक विचलित नहीं हुई थी। डॉ. अनुराधा ने तीजन बाई के साथ अपने तीस साल के अनुभव को याद करते हुए कहा कि वे छत्तीसगढ आती हैं तो उनसे मिले बगैर नहीं जाती यह चुंबकीय लगाव उन्हें बार-बार इस माटी पर खींच लाता है। उनके साथ ही रंगकर्मी-राजेन्द्र रजक एवं षिक्षाविद-प्रेमचंद साहू ने भी मंच को संबोधित किया।