छत्तीसगढ़

मजबूत और सशक्त गांव हमारा

आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 
मजबूत और सशक्त गांव हमारा
सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-
नारायणपुर 
– किसी भी देश को सुचारू और सही तरीके से चलाने के लिए सिर्फ केन्द्र या राज्य सरकारें सक्षम नहीं हो सकती हैं। इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्था होती है। इसी व्यवस्था को पंचायती राज कहा गया है, या नाम दिया गया है। कल शुक्रवार 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है। पंचायती राज में गांव स्तर पर ग्रामसभा, विकासखण्ड (ब्लाक) स्तर में मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद है। इन सभी के लिए सदस्यों का नियम-प्रक्रिया के तहत निर्वाचन भी होता है। प्रति वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है। इस दिन यानि 24 अप्रैल 1992 को 73वां संशोधन के लिए इसे पेश किया गया था। पारित होने के बाद 24 अप्रैल 1993 से पंचायती राज लागू हुआ। जिसके बाद इसी तारीख यानि 24 अप्रैल को देश में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के तौर पर मनाने की शुरूआत साल 2010 से हुई है । 
बतादें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा था कि अगर देश के गांवों को खतरा पैदा हुआ तो भारत को खतरा पैदा हो जायेगा। उन्होंने मजबूत और सशक्त गावों का सपना देखा था। उन्होंने ग्राम स्वराज का विचार दिया था। उन्होंने कहा था कि पंचायतों के पास ज्यादा अधिकार होने चाहिए। स्थानीय निकायों को ज्यादा शक्ति मिले। इसके साथ ही उनके आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारी भी तय हो। वर्तमान समय में देश के ज्यादातर गांव अब मजबूत और सशक्त हो रहे हैं। यह बेहतर सोच का परिणाम है।    
प्रधानमंत्री कल शुक्रवार 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के अवसर पर देश की विभिन्न ग्र्राम पंचायतों के सरपंचों को संबोधित करेंगे। इस संबोधन के दौरान वे सरपंचों  से संवाद भी करेंगे। मालूम हो कि लॉकडाउन होने की वजह से प्रधानमंत्री सहित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए लगभग सभी बैठकों को वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के अन्तर्गत वर्तमान में 28 जिलों में 146 जनपद पंचायत, 10976 .ग्राम पंचायतें, स्थापित है। साथ ही जिला परिषद पंचायती राज की व्यवस्था का हिस्सा है। 
छत्तीसगढ़ राज्य में अभी हाल के कुछ माह पहले स्थानीय निकायों के निर्वाचन हुए है। जिसमें ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक अध्यक्षों, सदस्यों को आम मतदाताओं ने अपने मतदान के जरिए चुना है। शुरूआती दिनों में गांव का सरपंच गांव का सबसे सम्मानित व्यक्ति होता था। सरपंच के पास ही सारी शक्तियां होती थी। लेकिन अब ग्राम स्तर, ब्लाक स्तर और जिला स्तरों पर निर्वाचन होता है और प्रतिनिधियों को निर्वाचित किया जाता है। पुरूषों के साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य महिलाओं के लिए भी आरक्षण होता है। 
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