Coronavirus: जानें रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट का पूरा प्रोसेस, कितनी देर में आता है रिजल्ट – Coronavirus: know the whole process of rapid antibody test and how much time it takes to give results | knowledge – News in Hindi

भारत में आज सुबह तक कोरोना (Coronavirus in india) के 19,984 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 3,870 लोग ठीक हो चुके हैं. इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आकर अब तक 640 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं, पूरी दुनिया में अब तक 25,57,504 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें 1,77,662 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 6,94,881 लोग इलाज के बाद स्वस्थ्य हो चुके हैं. भारत समेत पूरी दुनिया में ज्यादा से ज्यादा लोगों का कोरोना टेस्ट करने के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मंगलवार को अचानक कहा कि अगले दो दिन रैपिड टेस्ट किट्स का इस्तेमाल नहीं किया जाए. आईसीएमआर दोबारा इन टेस्ट किट्स के इस्तेमाल शुरू करने का निर्देश दे उससे पहले जान लेते हैं इसके बारे में अहम बातें.
रैपिड टेस्ट से शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज का पता चलता है
जब भी कोई व्यक्ति किसी भी वायरस (Virus) का शिकार होता है तो उसके शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज (Antibody) बनती हैं. रैपिड टेस्ट की मदद से शरीर में बनने वाली इन एंटीबॉडीज का ही पता लगाया जाता है. इस टेस्ट के नतीजे महज 15-20 मिनट में सामने आ जाते हैं. इसलिए इसे रैपिड टेस्ट कहा जाता है. इसमें व्यक्ति का ब्लड सैंपल (Blood Sample) लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. इसके लिए व्यक्ति की उंगली से एक-दो बूंद खून लिया जाता है. इससे पता चल जाता है कि इम्यून सिस्टम (Immune System) ने वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडीज बनाने शुरू किए हैं या नहीं. इस टेस्ट की मदद से बिना लक्षणों वाले लोगों में भी संक्रमण का पता लगाना आसान होता है.रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की प्रक्रिया और ऐसे देखे जाते हैं नतीजे
रैपिड टेस्ट के लिए सबसे पहले कारोना वायरस संदिग्ध का ब्लड सैंपल लिया जाता है. इसके बाद टेस्ट किट में बताई गई जगह पर ब्लड की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. इसके बाद किट में दिए गए केमिकल की तीन बूंदें ब्लड सैंपल पर डाली जाती हैं. इसके 15 से 20 मिनट के भीतर टेस्ट किट में नतीजा आ जाता है. अगर रैपिड टेस्ट किट पर सिर्फ एक गुलाबी लाइन उभरती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति निगेटिव है यानी वह संक्रमित नहीं है. अगर किट पर सी और एम गुलाबी लाइंस उभरतीं हैं तो मरीज आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है. अगर किट पर सी और जी गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो मरीज आईजीटी एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है. वहीं, अगर किट पर जी और एम दोनों गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो व्यक्ति आईजीजी व आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है.
रैपिड टेस्ट के नतीजों की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट
अगर रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हो सकता है कि संदिग्ध कोरोना वायरस से संक्रमित हो. ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जाती है. अगर रैपिड टेस्ट निगेटिव आता है तो उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है. रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है. वहीं, रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर मान लिया जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं. कोरोना वायरस का सटीक पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) किया जाता है. इसमें संदिग्ध का स्वैब सैंपल लिया जाता है, जो आरएनए पर आधारित होता है. इस टेस्ट में मरीज के शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के सबूत ढूंढे जाते हैं.
रैपिड एंटीबॉडी और आरटी-पीसीआर टेस्ट की खामियां
अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के मामूली लक्षण हों और उसका रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव आने के बाद उसका पीसीआर टेस्ट नहीं हो पाता है तो उसे होम क्वारंटीन में रखा जाता है. इसके 10 दिन बाद दोबारा रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. इसका सीधा मतलब है कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट में 100 प्रतिशत कनफर्म नहीं होता कि संदिग्ध कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव. भरोसे के लायक नतीजे हासिल करने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट के बाद रियल टाइम पीसीआर टेस्ट करना ही होता है. हालांकि, एंटीबॉडी टेस्ट से ये साफ जरूर हो जाता है कि संदिग्ध का शरीर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना रहा है या नहीं. आरटी-पीसीआर टेस्ट की भी एक खामी है. इस टेस्ट के जरिये ये तो पता चल जाता है कि इस समय संदिग्ध संक्रमित है या नहीं, लेकिन ये जानकारी नहीं मिल पाती कि वह पहले कोरोना वायरस की जद में आया था या नहीं. वहीं, रैपिड टेस्ट में मरीज के सही होने के कुछ दिन बाद भी पता लग सकता है कि वह संक्रमित था या नहीं.
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