आखिर क्या है ये पूल टेस्टिंग, भारत में जिसका सहारा कोरोना के खिलाफ अब हर राज्य ले रहा | all states uses pool testing to detect covid 19 coronavirus in india | nation – News in Hindi
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कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए हो रही जांच.
देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के लिए कम टेस्टिंग किट (Covid 19 test kit) से ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करने के लिए सरकार अब पूल टेस्टिंग (Pool test) का सहारा ले रही है.
जानकारों का मानना है कि अन्य देशों की अपेक्षा भारत में कोरोना के कम मरीज इसलिए भी हैं क्योंकि यहां टेस्ट कम हो रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां प्रति 10 लाख लोगों में महज 6.8 लोगों के टेस्ट किए गए हैं, जो दुनिया भर के देशों में सबसे निम्नतम दर है. सरकार ने बीते दिनों क्षमता बढ़ाई है और एक हफ्ते पहले जहां रोजाना 15000 टेस्ट हो रहे थे वहीं अब 30000 से ज्यादा लोगों की जांच हो रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 26 लोगों के टेस्ट के बाद एक संक्रमित मिल रहा है.
कैसे की जाएगी पूल टेस्टिंग?
पूल शब्द का मतलब है झुंड. इसका मतलब कई लोगों की जांच एक बार में करना है. पूल टेस्ट में तीन से पांच लोगों के गले और नाक का नमूना लेकर एक साथ ही जांच की जाती है. इसमें से अगर किसी एक का टेस्ट पॉजिटिव आ गया तो सभी पांचों लोगों का बारी-बारी से टेस्ट किया जाएगा और अगर निगेटिव आया तो सभी को संक्रमण फ्री करार दिया जाएगा.हालांकि भारत के डॉक्टरों की मानें तो पूल टेस्टिंग भारत जैसे घनी आबादी वादे देश के लिए एक अच्छा उपाय है ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग कम संसाधन और कम समय में, लेकिन पूल टेस्टिंग की अपनी क्षमता है. जिसको दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
पूल टेस्टिंग को कितना कारगर मानते हैं डॉक्टर्स –
दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. एम वली के मुताबिक इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के गाइडलाइंस के बाद हर प्रदेश कोविड19 के लिए पूल टेस्टिंग का सहारा ले रही है, लेकिन इसके इस्तेमाल में कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत है. पूल टेस्टिंग को हॉटस्पॉट क्षेत्रों में इस्तेमाल नहीं किया जाए.
जहां कोविड 19 के मरीजों की संख्या 2-5% के बीच हैं वहीं सम्मिलित टेस्ट किया जा सकता है. पूल टेस्टिंग में PCR टेस्टिंग होती है, जिसमें रीएजेंट होता है जो टेस्टिंग किट में महंगा होता है, जब एक साथ 3-5 लोगों के टेस्ट हो सकेंगे तो रीएजेंट भी कम लगेगा.
वहीं कॉन्फेडेरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन ऑफ एशिया एंड ओशिनिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के अनुसार पूल टेस्टिंग को तभी कारगर माना जाएगा जब टेस्टिंग लोगों की संख्या 3-5 तक हो, क्योंकि ICMR के मुताबिक अगर लोगों की संख्या बढ़ाई गई तो उसमें जो रिपोर्ट आएगी वो गलत भी हो सकती है.
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First published: April 21, 2020, 9:54 PM IST