ड्यूटी के बाद भी अपनी पेंटिंग से लोगों को जागरूक कर रहे अशोक
कांकेर सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-
ड्यूटी के बाद भी अपनी पेंटिंग से लोगों को जागरूक कर रहे अशोक
कांकेर-विश्वव्यापी महामारी कोविड- 19 के इस संक्रमण काल चक्र में स्वास्थ्य विभाग प्रथम पंक्ति पर खड़ा है। विदेशों व देश के कई राज्यों से चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने की खबरें आ रहीं हैं। कुछ मामलों में तो उन्होंने अपने प्राणों की
बलि भी दे दी है, पीड़ित मानवता की रक्षा के लिए। ऐसे ही एक कर्मवीर की कहानी है अशोक कुमार नाग की। छत्तीसगढ़ के कांकेर शहर के उप स्वास्थ्य केंद्र कंकालीनपारा में, स्वास्थ्य विभाग में बतौर स्वास्थ्य संयोजक के रूप में सेवारत हैं, जिनका गृह ग्राम सरोना है। स्कूल के दिनों में सीखे पेंटिंग का बखूबी इस्तेमाल कर लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। ड्यूटी के बाद बचे समय एवं छुट्टी के दिन भी वाल पेंटिंग से लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी दें रहे। किसी प्रोफेशनल पेंटर की तरह उनकी वाल राइटिंग दीवारों को भी बोलना सिखा रही है। गंदी नालियों की बदबू, 35 से 40 डिग्री की गर्मी, चिलचिलाती धूप भी उनके हौसले को परास्त करने में नाकाम होते हैं।
हाल ही उन्होंने एक पेंटिंग बनाई है जिसमें मैदानी क्षेत्रों में तैनात नर्स ( ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक) को अष्टभुजा दुर्गा की तरह दिखाया है। जो अपने सभी हाथों में ग्लब्स, चेहरे पर मास्क पहने, गले में स्टेथोस्कोप लगाये हुए हैं। आठों हाथ में क्रमशः सेनेटाइजर, झाड़ू (स्वच्छता का प्रतीक), घर में रहने, सोशल डिस्टेंस का पालन करने के प्रतीक के साथ है पुलिस, मीडिया के ,सहयोग से शेर की तरह जाबांजी का प्रर्दशन करते हुए कोरोना का संसार करते हुए चित्रित किया है। नारी शक्ति के इस शौर्य का प्रर्दशन पर उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य संयोजिका बहनें आज कोरोनावायरस के विरुद्ध जंग में अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर “संघ शक्ति कलयुगे” की भावना को चरितार्थ कर रहे हैं।
अपने संदेश में उन्होंने कहा कि-
*_है बहुत अंधेरा घना जरूर, पर कदम रूकने ना चाहिए।_*
*_हर इक के जेहन में, आशा के दीप जलने चाहिए।_*
*_हम रहें या न रहें, ये देश रहना चाहिए।_*
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