साइंटिस्ट ने 07 महीने पहले दी थी चेतावनी-अज्ञात महामारी लेगी 05 करोड़ कीजानें।a science body alert 07 months before in his report a pandemicis coming | knowledge – News in Hindi

सितंबर में जब ये रिपोर्ट प्रकाशित हुई तो किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. पहले तो द ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) के बारे में बता दिया जाए. इस नई साइंटिस्ट बॉडी का गठन वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने मिलकर अफ्रीका में इबोला बीमारी के फैलने के बाद किया था. उसने तभी अपनी पहली सालाना रिपोर्ट में कहा था कि दुनियाभर में तमाम देशों की सरकारें सावधान हो जाएं. इससे बचने के लिए बहुत व्यापक प्रयास करने होंगे.
कहा गया था कि महामारी आनी तय है
जीपीएमबी ने अपनी पहली सालाना रिपोर्ट में कहा, “दुनिया पर महामारी का खतरा तय तौर पर मंडरा रहा है. इससे ना केवल बड़े पैमाने पर लोगों की जान जाएगी बल्कि इसका असर इकोनॉमी और सामाजिक तौर पर पड़ेगा.’ इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि दुनियाभर में महामारी फैलने का खतरा वास्तविक है.
आशंका जाहिर की थी इकोनॉमी हो जाएगी बर्बाद
तब इस रिपोर्ट में कहा गया, बहुत तेजी से फैलने वाला पैथोगन करोड़ों लोगों को मार देगा, जिससे इकोनॉमी बहुत बुरा असर पड़ेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर कर देगा. रिपोर्ट में कहा था कि ये महामारी बहुत तेजी से ना केवल फैलेगी बल्कि 05 से 08 करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाएगी. ये दुनिया की 05 फीसदी इकोनॉमी को तबाह कर देगी. रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी हालत में इच्छाशक्ति और नेतृत्व की जरूरत होगी. देशों को खराब से खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.
देशों ने दिखाई है स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही
रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारों ने वर्ष 2014-16 के बीच पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला के बीच स्वास्थ्य को लेकर जो रुख दिखाया है, उसे कतई पर्याप्त नहीं कहा जा सकता. इस रिपोर्ट में 1918 में आई स्पेनिश फ्लू की भी चर्चा की गई, जिसमें 05 करोड़ लोगों की जान गई थी.
जिस तरह रोज लोग विमानों के जरिए दुनियाभर में एक देश से दूसरे देश की यात्राएं करते हैं, उससे हवा से फैलने वाली कोई भी बीमारी 36 घंटे से भी कम समय में पूरी दुनिया को लपेटे में ले सकती है और 05-08 करोड़ लोगों को मार सकती है. अगर ऐसी कोई महामारी आई तो कई देशों का हेल्थ सिस्टम-खासकर गरीब देशों में बिल्कुल नष्ट हो जाएगा.

साइंटिस्ट ने तब ये भी कहा था कि जब इस बीमारी के विषाणु शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं तो पूरे शरीर के सिस्टम को हिला देते हैं. ये इतनी बड़ी संख्या में इम्यून सेल बनाने लगते हैं कि शरीर का पूरा तंत्र बुरी तरह गड़बड़ा जाता है
न्यूज 18 ने भी दी थी ये रिपोर्ट
तब न्यूज 18 ने भी इस रिपोर्ट के आधार पर आगाह किया था कि दुनियाभर में कोई रहस्यमय बीमारी फैल सकती है, जो बड़े पैमाने पर लोगों की जान लेगी.
जिस स्पेनिश फ्लू की चर्चा इस रिपोर्ट में की गई है, उसका प्रकोप भारत में भी फैला था. जिसमें 1918 से 1920 के बीच पूरे देश में 1.8 करोड़ लोगों की जान गई थी. कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ने अपने संस्मरण में लिखा, जब मैं डालमऊ में नदी किनारे पहुंचा तो गंगा लाशों से पटी पड़ी थी. मेरे ससुराल से खबर आई कि मेरी पत्नी बीमारी का शिकार होकर गुजर गई. ये वही स्पेनिश फ्लू था, जिसने भारत में भी उन दिनों हाहाकार मचा दिया था.
इस महामारी को डिजीज एक्स कहा गया था
तब इस साइंटिस्ट बॉडी ने इस महामारी को डिजीज एक्स कहा था. ये कहा था कि अभी उसके बारे में कुछ ज्यादा मालूम ही नहीं है. लेकिन ये जरूर है कि ये दुनिया के लिए नया खतरा जरूर है.

तब वैज्ञानिकों की संस्था ने इस महामारी को डिजीज एक्स माना था और कहा था कि अभी उन्हें उसके बारे में कुछ ज्यादा नहीं मालूम
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि दुनिया में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं. रिपोर्ट कहती है कि इस खतरे में हल्के में लेना कतई ठीक नहीं, क्योंकि ये खतरा वास्तविक है और दुनिया को इसकी चपेट में आना ही है.
कहा था कि सांस लेने के तंत्र पर इसके विषाणु हमला करते हैं
तब इस संस्था के वैज्ञानिकों ने कहा था कि इस फ्लू के रोगाणु बहुत तेज गति से फैलते हैं. सीधे आपके सांस लेने के तंत्र पर तेज हमला करते हैं. चूंकि दुनिया अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा जुड़ गई है, लिहाजा इसका खतरा भी बड़ा हो गया है.

रिपोर्ट में माना गया था कि अगर ये महामारी आई तो दुनियाभर के हेल्थ सिस्टम उसके आगे घुटने टेक देंगे
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