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…तो क्या अब विजय माल्या को भारत के हाथों सौंप देगा UK, जानिए क्या है अड़चन – Vijay mallya may be extradited to india but seems tough during corona crisis says experts | business – News in Hindi

...तो क्या अब विजय माल्या को भारत के हाथों सौंप देगा UK, जानिए क्या है अड़चन

शराब कारोबारी विजय माल्या

प्रत्यर्पण मामलों के एक विशेषज्ञ का कहना है कि कोरोना वायरस माहामारी की रोकथाम के लिये लागू शारीरिक दूसरी सबंधी नियमों को देखते हुए प्रत्यर्पण की कार्रवाई में मानवाधिकार की पेंच लग सकती है.

नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के चलते भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन से वापस लाने में कुछ ज्यादा समय लग सकता है जबकि ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने प्रत्यपर्ण आदेश के खिलाफ माल्या की अपील सोमवार को खारिज कर दी .

लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि 64 साल के माल्या के खिलाफ भारत में 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के संदर्भ में वहां की अदालतों में जवाब देने को लेकर प्रथम दष्ट्या मामला बनता है.

लग सकती है मानवाधिकार की पेंच
हालांकि प्रत्यर्पण मामलों के एक विशेषज्ञ का कहना है कि कोरोना वायरस माहामारी की रोकथाम के लिये लागू शारीरिक दूसरी सबंधी नियमों को देखते हुए प्रत्यर्पण की कार्रवाई में मानवाधिकार की पेंच लग सकती है. उनके अनुसार यहां मानवाधिकारों पर यूरोपीय संधि के अनुच्छेद 3 का मामला बनता है क्यों कि ब्रिटेन इस संधि में शामिल है. यह अनुच्छेद अमानवीय और अनुचित व्यवहार या दंड से संबद्ध है.यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट से विजय माल्या को लगा झटका, खारिज हुई प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका

कोरोना वायरस की वजह से अटक सकता है मामला
अधिवक्ता और गुएरनिका 37 इंटरनेश्नल जस्टिस चैंबर्स के सह-संस्थापक टोबी कैडमैन ने कहा, ‘‘समयसीमा के संदर्भ में अब चीजें काफी हद तक कारोना वायरस के कारण अटकती जान पड़ रही है. सवाल यह है कि अगर किसी व्यक्ति को उस देश में भेजा जाता है जहां उसे ऐसे माहौल में हिरासत में रखा जा सकता है जहं कोरोना वायरस संक्रमण का जोखिम है, तो क्या यह अनुच्छेद 3 का उल्लंघन नहीं होगा?’’ रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी.

अपील करने के लिए माल्या के पास 14 दिन का समय
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हमने प्रथम दृष्टि में गलत बयानी और साजिश का मामला पाया और इस प्रकार यह मनी लांड्रिंग का भी मामला बनता है.’ उच्च न्यायालय में अपील खारिज होने से माल्या का भारत प्रत्यर्पण का रास्ता बहुत हद तक साफ हो गया है. उसके खिलाफ भारतीय अदालत में मामले हैं. उसके पास अब ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील के लिये मंजूरी का आवेदन करने के लिए 14 दिन का समय है.

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अपील नहीं करने पर 28 दिनों के अंदर प्रत्यर्पण की संभावना
अगर वह अपील करता है, ब्रिटेन का गृह मंत्रालय उसके नतीजे का इंतजार करेगा लेकिन अगर उसने अपील नहीं की तो भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत अदालत के आदेश के अनुसार 64 साल के माल्या को 28 दिनों के भीतर भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है. प्रत्यर्पण से जुड़े चर्चित मामलों से जुड़े रहे कैडमैन ने कहा, ‘‘यह मामला काफी ऊपर पहुंच गया है…मुख्य मजिस्ट्रेट और अब उच्च न्यायालय में सुनवाई तथ्यों के आधार पर हुआ है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि अगर मुख्य मजिस्ट्रेट के पास जाना गलत था, उनका निर्णय गलत नही था. इसीलिए साफ है कि माल्या को अब उच्चतम न्यायालय में मामले को ले जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.’’

कैडमैन ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर माल्या इस आधार पर प्रत्यर्पण के खिलाफ मानवाधिकार पर यूरोपीय अदालत में जा सकते हैं कि उनके साथ उचित व्यवहार नहीं होगा और उन्हें ऐसी स्थिति रखा सकता है जिससे अनुच्छेद 3 का उल्लंघन होगा. इस संधि पर ब्रिटेन ने भी हस्ताक्षर कर रखा है.

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First published: April 20, 2020, 11:05 PM IST



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