जानें देश के पहले हॉटस्पॉट जिले को कलेक्टर पीबी नूह ने कैसे किया मैनेज – Know how did IAS officer PB Nooh manage first coronavirus hotspot district in india | knowledge – News in Hindi

पीबी नूह ही कुछ हफ्तों में ही पतनमथित्ता में संक्रमण के खराब होते हालात पर न सिर्फ अंकुश लगाया बल्कि तस्वीर को पलटकर रख दिया. नूह की टीम ने सबसे पहले पॉजिटिव केसेस के संपर्क में आए 1,200 लोगों को ढूंढ निकाला. इसके बाद उन सभी को आइसोलेशन में रखा गया. साथ ही लक्षणों की जानकारी जुटाने के लिए आइसोलेशन क्वेश्नायर तैयार किया. क्वारंटीन में रखे गए लोगों की निगरानी के लिए कॉल सेंटर की स्थापना की गई. फिर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सबसे जरूरी चीज टेस्टिंग अभियान को आक्रामक तरीके से चलाया. इसी का नतीजा है कि आज जिले में कोरोना वायरस के सिर्फ 8 पॉजिटिव केस हैं. आज पतनमथित्ता केरल ही नहीं दूसरे राज्यों के लिए भी मिसाील बन चुका है. पतनमथित्ता के 40 वर्षीय कलेक्टर पीबी नूह की पत्नी मेडिकल स्टूडेंट हैं. नूह पेरंबदूर में पले-बढे हैं. उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु में यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस से ग्रेजुएट किया. उनके बडे भाई पीबी सलीम पश्चिम बंगाल कैडर के अधिकारी हैं.
केरल में आई भीषण बाढ के दौरान पीबी नूह ने 1.5 लाख लोगों को ऐसे इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया, जहां तब पहुंचना मुश्किल था. इसके बाद उनके फैंस ने एक फेसबुक पेज ‘Nooh Bro’s Ark’ बनाया. उन्हें पतनमथित्ता का कलेक्टर ठइीक उसी समय बनाया गया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर आयु की महिलाओं को प्रवेश की पाबंदी हटा दी थी और जिला हिंसा की आग में जल रहा था. नूह कहते हैं कि शायद ये सभी हालात मुझे कोविड संकट से निपटने के लिए तैयार कर रहे थे. वह संक्रमण को फैलने से रोकने का श्रेय 1,000 स्वयंसेवकों के साथ ही सवास्थ्य अधिकारियों, डॉक्टरों और नर्सों को देते हैं. वह कहते हैं कि इन सभी सरकारी नौकरी की तरह काम नहीं किया बल्कि इस संकट से निपटने के लिए योद्धाओं की तरह दिनरात मेहनत की.

आईएएस अधिकारी पीबी नूह ने पतनमथित्ता में कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर तरह से लोगो की मदद की. (फोटो साभार: हिंदुस्तान टाइम्स)
कलेक्टर पीबी नूह बताते हैं कि 7 मार्च को जिले में पहले 5 पॉजिटिव केस सामने आए. केरल में 30 जनवरी को ही पहले तीन मामले सामने आ गए थे. ये तीनों स्टूडेंट्स वुहान से लौटे थे. इसके बाद राज्य सरकार की ओर से हर जिले में अधिकारियों की एक टीम बनाकर चार देशों की यात्रा से लौटे लोगों की निगरानी के निर्देश आ गए थे. इसलिए हमने भी निर्देशों का पालन किया, लेकिन यह कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए काफी नहीं था. पहले तीनों मामले एक महीने के भीतर कोरोना टेस्ट में निगेटिव हो गए थे. वहीं, किसी भी एक जगह पर ज्यादा पॉजिटिव केस सामने नहीं आए थे. अचानक 7 मार्च को हमें पतनमथित्ता में 5 पॉजिटिव केस मिले. इसके 3 बाद फिर 6 मामले सामने आए. सिर्फ हमारे जिले में ही 11 पॉजिटिव केस हो गए थे. कोरोना टेस्ट का रिरजल्द 7 मार्च की शाम को हमें मिले थे.
नूह ने बताया कि 7 मार्च को हमारी सचिव, डायरेक्टर और शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई. हमने आक्रामक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग स्ट्रैटजी पर अमल करने का फैसला किया. हमने तय किया कि संक्रमितों के संपर्क में आए हर आदमी को खोजने के लिए हर मरीका अपनाया जाए. इसके बाद 8 मार्च की सुबह हमने 7 टीम बनाईं. हर टीम में 2 डॉक्टर और 2 पैरामेडिक को शामिल किया गया. इन सातों टीमों ने मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों से बात कर सभी जानकारियां जुटाईं. हमने मोबाइल टावर लोकेशन के जरिये लोगों को खोजा और गूगल मैप की भी मदद ली. इन सभी जानकारियों की मदद से हमने कोरोना वायरस का एक मैप तैयार किया. दरअसल, हमने पतनमथित्ता में 29 फरवरी को इटली से लौटे परिवार के आने के बाद जिले में हुए घटनाक्रम का फ्लोचार्ट बनाया था.

पतनमथित्ता के कलेक्टर पीबी नूह ने कई टीमें बनाकर संक्रमितों के संपर्क में आए लोगोंं को ढूंढ निकाला.
हमें पता चला कि इटली के परिवार के एक रिश्तेदार में 6 मार्च को कोविड-19 के शुरुआती लक्षण नजर आए थे. हमने इस व्यक्ति की ट्रैवल हिस्टी निकाली तो पता चला कि वह इटली से लौटे परिवार के संपर्क में आए थे. हमने किसी मरीज का नाम लिखे बिना एक फ्लो चार्ट बनाया. इसके बाद हमने फ्लोचार्ट को सार्वजनिक कर दिया और लोगों से खुद सामने आने का आग्रह किया. हमने दो नंबर भी जारी किए. अगले 4 दिन में हमने इटली के परिवार के संपर्क में आए 1,254 लोगों का पता लगा लिया था. साथ ही हम ये भी सुनिश्चित कर रहे थे कि ये लोग सख्ती के साथ क्वारंटीन का पालन करें. समस्या ये थी कि कोरोना वायरस के हालात में हर दिन तेजी से बदलाव हो रहे थे. हमें नहीं पता था कि किस चीज से वास्तव में मदद मिलेगी. हमने दो दिशाओं में एकसाथ काम किया. पहला, आक्रामक जागरूकता अभियान चलाकर लोगोंं को होम क्वारंटीन की अहमियत समझाई.
आइसोलेशन में रखे गए लोगों की मदद के लिए कॉल सेंटर बनाया. मेरे ऑफिस में 200 लोगों को बैठाया गया. ये लोग आइसोलेट किए गए लोगों के परिवारों को कॉन्टैक्ट कर हर तरह की जानकारी ले रहे थे. बाद में हमने इसे इंटरेक्टिव वायस रेस्पांस सिस्टम (IVR) में बदल दिया. हमने आइसोलेशन में रह रहे लोगों की मेडिकल के साथ ही खाने जैसी नॉन मेडिकल जरूरतों पर भी ध्यान दिया. इन लोगों के मनोवैज्ञानिक हालात को संभाले रखने के लिए शुरुआत में 30 काउंसलर्स की मदद ली गई. आज इस काम में आईवीआर के जरिये 90 काउंसलर ये काम कर रहे हैं. इसके अलावा त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज ने एक आइसोलेशन सर्वे क्वेश्नायर तैयार किया. इसे हमारे कॉल सेंटर के लोगों ने आइसोलेशन में रह रहे लोगों से बात करके भरा. अगर उन्हें लगता था कि कोई व्यक्ति क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो कानूनी कार्रवाई के लिए जानकारी पुलिस विभाग को दे दी जाती थी.

पीबी नूह ने अपने ऑफिस में ही कॉल सेंटर बनाकर आइसोलेशन में रखे लोगों के परिजनों से हर तरह की जाानकारी जुटाई.
पतनमथित्ता के कलेक्टर बताते हैं कि अब हमने अपनी प्रश्नावली में कुछ नए सवाल भी शामिल किए हैं, जो कोरोना वायरस के लक्षणों से संबंधित हैं. अगर कोई लक्षण नजर आता है तो हमारी मेडिकल टीम तुरंत उनसे बात करती है. अगर मेडिकल टीम को लक्षण कोविड जैसे लगते हैं तो वो तय करते हैं कि उस व्यक्ति को अस्पताल भेजना है या सैंपल के लिए जाना है. द न्यूजमिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉल सेंटर की मदद से सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसे लोग घर पर ही रहें. इसके बाद 24 मार्च से लॉकडाउन घोषित हो गया. उस समय जिले में 4,100 अंतरराष्ट्रीय यात्री थे. हालांकि, हम 7 मार्च से ही शहर में बस, ट्रेन या फ्लाइट से आने वाले हर व्यक्ति की जांच कर रहे थे. लॉकडाउन के दिन जिले में दूसरे राज्यों के करीब 3,000 लोग मौजूद थे. इनके अलावा 7,361 लोगों को हमने क्वारंटीन किया हुआ था. इसके बाद हमारे कॉल सेंटर पर हर दिन 10 हजार कॉल्स आने लगीं.
लॉकडाउन के कारण जिले में 16 हजार मजदूर फंस गए थे. हर तालुका के लिए 6 टीम बनाई गईं, जिनमें एक डॉक्टर, एक पैरामेडिक, एक मेडिकल स्टूडैंट, पुलिसकर्मी और कुछ कुछ अन्य लोगों को शामिल किया गया. ये टीमें अब तक दो बार इन 16 हजार मजदूरों की स्क्रीनिंग कर चुके हैं. वहीं, हमने हर अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले का सैंपल लेकर कोरोना टेस्ट के लिए भेजा. हमने अमेरिका और इटली से लौटे लोगों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया. इसके बाद देश में लगातार यात्राएं करने वालों, दूसरे जिलों से लौटे और अंत में प्रवासियों पर ध्यान दिया. सबसे आखिर में हमने विदेश और राज्य में यात्राएं करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर ध्यान दिया. जनगणना 2011 के मुताबिक, पतनमथित्ता की आबादी 11,97,000 है. जिले में बुजुर्गों की संख्या 2,44,599 है. हमने उनके चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना दिया. हमने उनकी जरूरत की हर चीज उनके घरों में ही पहुंचवाई ताकि उन्हें घर के बाहर कदम रखने की जरूरत ही न हो.
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