केरल से क्या सीख सकते हैं देश के बाकी राज्य, 10 खास बातें not just lockdown but india can learn these ten things from kerala to control coronavirus mrj | knowledge – News in Hindi

कोरोना से जंग में केरल के आगे होने का सबसे अहम हिस्सा है उसकी तैयारियां. केरल का हेल्थ केयर सिस्टम दूसरे राज्यों के मुकाबले पहले से ही मजबूत रहा है. यहां हर 3 गांवों के बीच कम से कम 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. देश का औसत 7.3 किलोमीटर है, जबकि केरल में ये स्वास्थ्य केंद्र हर 3.95 पर हैं. यहां पर अनुभवी डॉक्टर होते हैं, जिन्हें दूसरे बड़े अस्पतालों की तरह ही तनख्वाह दी जाती है. केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट फंड बोर्ड (Kerala Infrastructure Investment Fund Board) के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपकरण निवेश में लगभग 4,000 करोड़ रुपए लगाए गए हैं. 5775 नई पोस्ट निकाली गईं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं शुरू हुईं जैसे Aardram Health Mission. इसकी योजना की टैग लाइन है- हमारा स्वास्थ्य, हमारी जिम्मेदारी. यानी खुद आम जनता ही इसे आगे ले जाएगी.

केरल का हेल्थ केयर सिस्टम पहले से ही मजबूत रहा है
मुश्किल हालातों में काम करने के लिए यहां के हेल्थ वर्कर ज्यादा मजबूत हैं क्योंकि वे इससे पहले जानलेवा निपाह वायरस और बाढ़ के बाद की बीमारियों पर काम कर चुके हैं. यही वजह है कि जैसे ही वुहान में सांस की बीमारी फैलने की खाबर आई, केरल सरकार ने बिना किसी मामले के आए बगैर ही अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दीं. इसके तहत एक कंट्रोल रूम बना, जिसमें 18 एक्सपर्ट्स की टीम कई बातों को मॉनिटर करने के लिए तैयार हुई. इसमें होम क्वारंटीन का पालन, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन, मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग जैसी बातें शामिल थीं. ये टीम रोज दिन में 2 बार मिलती और समस्याएं सुनती-बताती. शाम की मीटिंग में हेल्थ मिनिस्टर भी शामिल होते और जिलों की अपडेट सुनते. अस्पतालों में मॉक ड्रिल होने लगी. जैसे ही गल्फ और यूरोप से लोग आने लगे, चीजें हाथ से निकलती दिखीं. हालांकि तुरंत ही प्रशासन ने इसे संभाल लिया. रोज लोगों के रिकवरी की खबरें आ रही हैं. इसमें 93 साल के मरीज का स्वस्थ होना भी केरल हेल्थ केयर की सफलता ही है.स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया गया. उन्हें प्रोटेक्टिव गीयर मिले, समय-समय पर आराम मिला और सबका सहयोग मिला. हेल्थ मिनिस्टर KK Shailaja रिव्यू समिति तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि खुद कोरोना पर काम कर रहे फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं से मिलती रहीं.
कोविड-19 का रूट मैप तैयार हुआ और इसका ग्राफिक अखबारों में छापा गया, जिसके साथ अपील हुई कि फलां रास्ते से गुजरने वाले सारे लोग अपने लक्षणों को देखें और अगर कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण हों तो तुरंत पास से अस्पताल में संपर्क करें. लोग खुद सामने आए. लगातार जांच हुई.

कोरोना जैसे लक्षण होने पर लोगों को खुद सामने आने को प्रेरित किया गया
सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताने के लिए Break the Chain Campaign चलाया गया. साथ ही हैंड वॉशिंग कैंपेन भी चलाया गया. इसके तहत जगह-जगह नल लगवाए गए ताकि लोग सड़कों से गुजरते हुए भी हाथ धोना न भूलें.
संदिग्ध या विदेश से लौटे लोगों को 14 दिन की बजाए एतहियात के तौर पर 28 दिन क्वारंटाइन में रखा गया क्योंकि कुछ मामलों में देखा गया है कि लक्षण 22 सामने आने में 22 दिनों का वक्त भी लेते हैं. गांवों के स्तर पर भी केरल में तैयारी हुई. यहां पंचायत के सदस्य और स्वास्थ्य कर्मी लगातार इसपर नजर रखते कि होम क्वारंटाइन किए गए लोग 28 दिनों तक बाहर न निकलें. होम क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को ट्रैक करने के लिए एक लोकल ऐप Corona RM की मदद ली गई. अगर कोई घर से बाहर निकले तो तुरंत ये ऐप अलर्ट कर देता था.
क्वारंटाइन हुए लोगों के लिए कॉल सेंटर बना. 14 हेल्थ वर्करों की टीम ने कॉल सेंटर की तर्ज पर काम किया और दिन-रात उन लोगों की काउंसलिंग की जो घरों पर क्वारंटाइन किए गए थे. इस दौरान इतनी छोटी सी टीम ने लगभग 4000 लोगों से रोज फोन पर हालचाल लिया और समझाया. अकेले रहने के दौरान उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखी गई ताकि कोरोना से उबरने के बाद कोई दूसरी स्वास्थ्य समस्या न हो जाए.
एक मीडिया मॉनिटरिंग टीम बनी, जो फेक न्यूज पर नजर रखती. ये सोशल मीडिया पर कोरोना या उसके इलाज को लेकर चल रही अफवाहों को देखती और उनपर सही चर्चा कराती. कई मामलों में फेक न्यूज फैलाने वालों को अरेस्ट भी किया गया.

संदिग्ध या विदेश से लौटे लोगों को 14 दिन की बजाए एतहियात के तौर पर 28 दिन क्वारंटाइन में रखा गया
केरल में लॉकडाउन पर ही जोर की बजाए जांच पर जोर दिया गया. साथ ही बंदी के दौरान 5 5लाख बुजुर्गों और वंचितों को 8,500 रुपए दिए गए हैं. वेलफेयर फंड से 1000 से 3000 रुपए श्रमिकों को दिए जा रहे हैं. हर परिवार को खाद्य सामग्री दी गई. साथ ही 2,000 करोड़ का बिना ब्याज का लोन दिया गया. साथ ही स्थानीय स्तर पर रोज 4 लाख भोजन पैकेटों को वितरण हो रहा है जो कम्युनिटी किचन में तैयार होता है. प्रवासी लोगों के भी खाने और दवाओं की व्यवस्था देखी जा रही है.
इस सारी व्यवस्था में अकेले राज्य सरकार ने काम नहीं किया, बल्कि स्थानीय स्तर पर पूरी मदद मिली. सहकारी समितियों, महिला समूहों (Kudumbashree) और सिविल सोसायटी संस्थाओं- सबने एक साथ मिलकर काम किया. यही बात केरल को सबसे अलग बनाती है. कुल मिलाकर यहां तक लोकतांत्रिक व्यवस्था का डिसेंट्रलाइजेशन हुआ, जिससे कोरोना से लड़ाई हर स्तर पर हो सकी.
केरल के मुख्यमंत्री Pinarayi Vijayan ने नेतृत्व में कई स्तरों पर योजना बनाई गई, जिसमें सारे लोग शामिल हुए. तकनीकी समितियों ने इसमें खास काम किया. हर शाम सीएम लगभग एक घंटे तक टीवी पर बता रहे हैं कि कोरोना से जंग में वे कहां पहुंचे हैं और क्या किया जाना चाहिए. इससे आखिरी शख्स तक बात पहुंच रही है और कोरोना को लेकर जागरुकता बढ़ी है.
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