NBFC सेक्टर के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है RBI का ये कदम, सुधरेगी स्थिति – RBI LTRO decission to be of immense help to NBFC sector will help in working capital and cash flow | business – News in Hindi
भारतीय रिज़र्व बैंक
अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय रिर्ज़व बैंक ने आज LTRO के तहत 50,000 करोड़ रुपये सहायता उपलब्ध कराने का ऐलान किया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आरबीआई का यह कदम एनबीएफसी सेक्टर के लिए बेहद मददगार होगा.
एनबीएफसी सेक्टर में जान फूंकने का प्रयास
रेलिगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड की एग्जीक्युटिव चेयरपर्सन डॉ रश्मि सलूजा ने कहा, ‘आरबीआई का यह कदम स्वागत योग्य है और इससे एनबीएफसी सेक्टर को अपने वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो कम कम करने में मदद मिलेगी.’ उन्होंने बताया कि आरबीआई ने एनबीएफसी सेक्टर के लिए उचित दिशा में कदम उठाया है.
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रश्मि ने बताया कि इसके लिए SIDBI और NABARD के लिए 50,000 करोड़ रुपये की रिफाइनेंसिंग विंडो से एनबीएफसी सेक्टर की स्थिति बेहतर होगी. साथ ही एनपीए या एसेट क्लासिफिकेशन के लिए मोरेटोरियम पीरियड को लेकर लिया गया फैसला भी इस सेक्टर के लिए बेहद मददगार होगा.
उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है और लिक्विडिटी के लिए उठाया गया कदम साकारात्मक है. हमें केंद्र सरकार और आरबीआई द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदम का आभार देना चाहिए.
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क्या होता है एलटीआरओ?
LTRO शब्द का चलन यूरोप में सॉवरेन डेट संकट के समय शुरू हुआ था. इसके तहत यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) ने यूरोजोन के बैंकों को बहुत कम ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराया था. बैंक अर्थव्यवस्था के बुनियादी सेक्टरों को ज्यादा कर्ज दे सकें, इसके लिए टीएलटीआरओ का इस्तेमाल किया जाता है.
एलटीआरओ से अर्थव्यवस्था पर कैसे असर होता है?
अक्सर इसके लिए केंद्रीय बैंक ब्याज की दरों को काफी कम रखता है. सस्ती दरों पर कर्ज की उपलब्धता होने से बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ जाती है. इस तरह वे इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं.
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First published: April 17, 2020, 8:53 PM IST