कोरोना लाया दुनिया की सबसे बड़ी मंदी! RBI गवर्नर ने कहा- बच सकता है भारत अगर…-RBI Governor Says World faces worst recession since Great Depression as Coronavirus | business – News in Hindi


भारतीय रिज़र्व बैंक
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि IMF ने अनुमान लगाया है कि दुनिया में सबसे बड़ी मंदी आने वाली है, जो कि खतरे की घंटी है. कई देशों में आयात और निर्यात में भारी गिरावट देखने को मिली है.
शक्तिकांत दास ने कहा कि इस संकट के बीच भी कृषि क्षेत्र टिकाऊ है, हमारे पास बफर स्टॉक है. उन्होंने कहा कि इस साल मॉनसून की बारिश अच्छा रहने का अनुमान है, फरवरी में ट्रैक्टर की बिक्री में अच्छी बढ़त हुई थी.
आरबीआई गवर्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मार्च 2020 में निर्यात में भारी गिरावट आई है, इसके बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार 476 अरब डॉलर का है जो 11 महीने के आयात के लिए काफी है. दुनिया में कच्चे तेल के दाम लगातार घट रहे हैं, जिससे फायदा हो सकता है.
ये भी पढ़ें :-कोरोना वायरस महामारी से इकॉनमी को बचाने के लिए RBI ने की ये 7 बड़ी घोषणाएंसबसे बड़ी मंदी की दहलीज पर खड़ी ग्लोबल अर्थव्यवस्था- आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़े नुकसान की आशंका जताई है. IMF का कहना कि 1930 की महामंदी के बाद दुनिया भयानक संकट में है. अगर महामारी लंबी चली तो सरकारों और केंद्रीय बैंकों के लिए संकट पर काबू पाना बड़ी चुनौती साबित होगा.
कोरोना वायरस महामारी ने दुनिया को ऐसे हालत में पहुंचा दिया है जिसका सामना दुनिया को पहले कभी नहीं करना पड़ा. IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन का मानना है कि पैदा हुए संकट से अगले दो बरसों में दुनिया की GDP में 9 लाख करोड़ डॉलर की कमी आ सकती है.
IMF की हालिया रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था आउटलुक में ब्रिटेन, जर्मनी, जापान महामारी के खिलाफ उठाए कदमों की प्रशंसा की गयी है. मगर रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोई भी मुल्क इस संकट से नहीं बच सकेगा.
CNBCTV18 को दिए खास इंटरव्यू में IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन ने बताया कि अगर 2020 के जून में महामारी कम हो जाती है तो अगले साल वैश्विक सतह पर आर्थिक विकास की रफ्तार तेज होकर 5.8 फीसद हो जाएगी. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि जनवरी 2021 में आंशिक तौर पर विकास की रफ्तार पकड़ सकती है. मगर GDP पूर्व के अनुमान से नीचे रहेगी.
गीता गोपीनाथन ने बताया कि 1930 की महामंदी के बाद पहली बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. जिसमें विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था के मंदी में आने की आशंका पैदा हो गई है. उन्होंने ये भी बताया कि विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में विकास की रफ्तार 2022 से पहले तक पटरी पर नहीं जा सकेगी. अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विकास में 5.9 फीसद की कमी होगी. जबकि 1946 के बाद से अब तक ये सबसे बड़ी सालाना गिरावट दर्ज होगी. इसके अलावा अमेरिका में अगले साल बेरोजगारी की दर 10.4 फीसदी हो जाएगी.
गीता गोपीनाथन ने कहा कि वायरस के फैलाव को धीमा करने के लिए आगे बढ़कर कदम उठाने की जरूरत है. जिससे स्वास्थ्य सुविधा की मजबूती के साथ आर्थिक गतिविधियां जल्द से जल्द शुरू हो सकें. IMF ने महामारी से निपटने के लिए चार प्रस्तावों पर अमल करने का सुझाव दिया है. स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अतिरिक्त रकम, मजदूरों, कारोबारियों के लिए आर्थिक मदद, केंद्रीय बैंक की हिमायत को जारी रखना और पटरी पर आने के उपाय शामिल हैं.
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First published: April 17, 2020, 12:17 PM IST