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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO नरेंद्र भूषण किस मैनेजमेंट के बल पर कोरोना पर कर रहे हैं कंट्रोल! – Greater Noida Authority CEO IAS officer Narendra Bhushan management on Coronavirus lockdown nodrss | greater-noida – News in Hindi

ग्रेटर नोएडा. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ (CEO) नरेंद्र भूषण (Narendra Bhushan) आजकल चर्चा में हैं. नरेंद्र भूषण पिछले दिनों तब चर्चा में आए थे जब उनको गौतमबुद्धनगर (Gautam Budh Nagar) जिले में कोरोना (Coronavirus) कोर्डिनेशन कमेटी का इंचार्ज बनाया गया था. बता दें कि पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का गौतमबुद्धनगर जिला कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर चर्चा में रहा था. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) जिले में बड़े स्तर कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने से खासे नाराज थे. कोरोना पीड़ितों की बढ़ती संख्या के बीच योगी आदित्यनाथ ग्रेटर नोएडा पहुंचे थे और यहां पर कोविड-19 महामारी को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. बैठक में सीएम ने जिले के डीएम सहित कई बड़े अधिकारियों की जमकर फटकार क्लास लगाई थी. बाद में योगी की नाराजगी के कारण जिले के डीएम और सीएमओ को बदल दिया गया. कोरोना से लड़ने के लिए नए अधिकारियों की टीम तैयार की गई. इस टीम में नए डीएम के साथ नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ को भी रखा गया. इसका परिणाम यह हुआ कि बीते बुधवार को जिले में कोरोना का कोई भी नया केस सामने नहीं आया.

कोरोना कोर्डिनेशन कमेटी के इंचार्ज हैं भूषण
इस समय जिले में तीन अलग-अलग अथॉरिटी काम कर रही है. तीनों अथॉरिटी की सरकार की अलग-अलग रिपोर्टिंग है. नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु महेश्वरी 2003 बैच की हैं. ग्रेटर नोएडा के सीईओ नरेंद्र भूषण 1992 बैच के अधिकारी हैं और वर्तमान में पुलिस कमिश्नर भी 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. ऐसे में कहा गया कि कुछ दिन पहले इसलिए हालात बिगड़े थे, क्योंकि पुराने डीएम के साथ इन लोगों का कॉर्डिनेशन ठीक ढंग से नहीं बन पा रहा था. लेकिन, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण को पूरे जिले का कोरोना कोर्डिनेशन कमिटी का हेड बनाने के बाद स्थिति बदल गई. इसके बाद से स्थिति में सुधार ही नहीं हुआ है एक तरह से कोरोना के संक्रमण पर लगभग काबू पा लिया गया है. नरेंद्र भूषण (Narendra Bhushan) ने यहां के सभी वरिष्ठ अधिकारियों से कोर्डिनेशन कर स्थिति को अब तक संभाले रखा है.

न्यूज 18 हिंदी ने नरेंद्र भूषण से कोरोना को लेकर किए गए उपाए और उस पर अभी तक काबू पाने को लेकर विस्तार से बातचीत की है.प्रश्न- कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए आपने आने के बाद प्रशासन को किस तरह से एक्टिव किया? अभी तक आपने क्या-क्या कदम उठाए हैं?
जवाब- हमने सबसे पहले यहां की स्ट्रेटेजी को समझा. जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों के साथ तीनों अथॉरिटी के सीईओ जिसमें मैं खुद भी हूं बैठकर स्ट्रेटेजी को आगे बढ़ाया. हमने जिले में सबसे पहले आइसोलेशन और क्वारंटीन फैसिलिटी की व्यवस्था की. इसके लिए मैन पावर, पीपीई किट, एन-95 मास्क और अन्य चीजों की व्यवस्था की. हमने कोरोना को लेकर पांच टाइम पीरियड का प्लान तैयार किया. पहला सप्ताह इमीडिएट एंड अर्जेंट, दूसरा स्पताह नियर इमीडिएट, तीसरा सप्ताह अप्रैल महीने के खत्म होने का प्लान, चौथा मई के खत्म होने पर और पांचवा सप्ताह जून के खत्म होने पर क्या व्यवस्था होनी चाहिए. इन पांच बातों को ध्यान में रख कर ही हमने भविष्य का प्लान तैयार किया है. इसमें कितने आइसोलेशन वार्ड, कितने क्वरांटीन सेंटर बनाए जाएं. क्या हमारे पास मैन पावर या पीपीई किट और दवाईयों की उपल्बधता को ख्याल रख कर प्लान तैयार किया गया. रोज रात आठ बजे सभी अधिकारी बैठते हैं और जिस किसी भी चीज की जरूरत होती है उसको तुरंत ही हमलोग मिल कर उपलब्ध कराते हैं.

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ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण को पूरे जिले का कोरोना कोर्डिनेशन कमिटी का हेड बनाने के बाद स्थिति बदल गई.

प्रश्न- पहले और अब की स्थिति में कितना अंतर आया है? जिले में आइसोलेशन वार्ड और क्वारंटीन सेंटर्स कितने बन गए हैं? कोरोना संक्रमित पाए जाने पर क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
जवाब- हमने 31 मार्च को ज्वाइन किया था उसमें जिले में कोरोना के मरीजों के लिए मात्र 40 बेड्स ट्रीटमेंट की स्थिति में उपलब्ध थे, लेकिन आज हमारे पास 400 बेड्स ऑपरेशनल हैं. जबकि, हमारे जिले में कोरोना के मरीज सिर्फ 56 हैं. क्वारंटीन फैसिलिटी के लिए हमने होटल और कॉलेज के हॉस्टल्स में क्वारंटीन की व्यवस्था तैयार की है. यहां पर विदेशी की संख्या भी ज्यादा है. ऐसे लोगों को हमने चिन्हित किया है. अगर कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो अगले छह घंटों के अंदर हम उसके संपर्क में आए लोगों को पहचान कर उनको भी क्वारंटीन कर देते हैं. ताकी उससे यह बीमारी किसी दूसरे शख्स में नहीं फैले. फिर हम कॉल सेंटर के माध्यम से उनके 14 दिनों की हिस्ट्री लेकर उनकी पहचान कर उनकी जांच कर क्वारंटीन करते हैं.

प्रश्न- जिले में प्रशासनिक स्तर पर कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद किस तरह से आपलोग काम करते हैं? उसके लिए क्या-क्या कदम उठाए जाते हैं?
जवाब- कोई अगर कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके बाद से उसके संपर्क में आए लोगों को खोजने के लिए सर्विलांस एक्टिविटी बड़े पैमाने पर शुरू करते हैं. अगले दिन हम इलाके में टीमें भेजते हैं. एक टीम 50 लोगों को कवर करती है. इस टीम में दो हेल्थ वर्कर, एक-दो तहसील का कर्मचारी या किसी अन्य विभाग का कर्मचारी के साथ पुलिस की भी टीम होती है. यह सर्विलांस टीम आस-पास के 50 घरों को कवर करत है. यह एक टीम के द्वारा किया जाता है. इस तरह की 600 टीमें हमारे पास उपलब्ध हैं. ये टीम लोगों को चिन्हित करती है और लक्षण पता करती है.

प्रश्न- लॉकडाउन का पालन और सोशल डिस्टेंशिंग के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं?
जवाब-हमलोगों मरीजों को समय पर चिन्हित कर तुरंत कार्रवाई शुरू कर देते हैं. इसका नतीजा भी दिखने लगा है. नए केसेज अब न के बराबर आ रहे हैं. प्रशासन ने लॉकडाउन को ठीक से पालन करने के लिए भी लोगों से बार-बार अपील कर रही है. हमने 14 दिनों तक कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए जिले में 2 मीटर की सोशल डिस्टेंशिग को सख्ती से पालन करा रहे हैं.

प्रश्न- सेनिटाइजेशन के लिए क्या किया जा रहा है? जिले में अब तक कितने हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं?
जवाब- हमने इसके लिए दो तरह के स्ट्रेटेजी बनाए हैं. एक तो पूरा जिला लॉकडाउन है, उनमें भी हमने 27 हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं. जहां पर कुछ कोरोना केसेज पाए गए हैं. इन हॉटस्पॉट जगहों को कर्फ्यू जैसी स्थिति में बदल दिया है. मतलब यह इलाका पूरी तरह से सील कर दिया गया है. वहां पर कोई भी एक्टिविटी मंजूर नहीं है. इन जगहों पर जिला प्रशासन ने फायर टेंडर जारी कर या नए मशीन खरीद कर सेनेटाइजेशन का काम कर रही है. सेनिटाइजेशन काम न केवल सील्ड इलाके में बल्कि दूसरे जगहों पर भी किया जा रहा है. इससे हमको फायदा भी हो रहा है. हम शुरुआती दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों के नजरिए से सबसे ऊपर थे, लेकिन अब यहां की स्थिति काफी नियंत्रित हो गई हैं.

प्रश्न- गरीब और जरूरतमंद लोगों को किस तरह से मदद पहुंचाई जा रही है? खासकर दिहाड़ी मजदूरों और गरीब लोगों को खान-पान के लिए किस तरह बंदोबस्त किए गए हैं?
जवाब- सभी व्यक्तियों के लिए आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई हमने सुनिश्चित की है. दूध, फल, सब्जी और मेडिसिन की व्यवस्था की है. दिहाड़ी मजदूरों के लिए भी हमने बड़े स्तर पर खाने का प्रबंध किया है. कम्यूनिटी किचन चला कर, निजी संस्थानों और एनजीओ की मदद से हम लगभग 60 हजार पैकेट नोएडा अथॉरिटी के द्वारा, 40 हजार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के द्वारा और इस तरह के लगभग 1 लाख पैकेट हर रोज गरीब मजदूरों में बांट रहे हैं. हमने ई-कॉमर्स कंपनियों के डिलेवरी बॉय को होम डिलेवरी करने की इजाजत दी है. हमने शील्ड एरिया में भी स्थानीय लोगों को चिन्हित कर कशिश की है कि 25 लोग एकत्रित न हों. मेरा मकसद है कि एक वॉलेंटियर 25 घरों के सामने जा कर जरूरी सामान की सप्लाई करे. जो एरिया शील्ड नहीं है वहां भी जरूरी सामान लेने वालों के लिए सर्कल बनाई गई है और वह उसका पालन कर जरूरी सामान खरीद रहे हैं.

प्रश्न- गौतमबुद्धनगर जिले में अब-तक कितने लैब काम कर रहे हैं? हर रोज कितने लोगों की टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध है?
जवाब- पहले जिले में हमारा टेस्टिंग सिर्फ एक जगह होती थी. फिर बाद में टेस्टिंग की जांच के लिए सेंपल्स अलीगढ़ भेजने लगे. लेकिन, अब जीआईएमएस (Government Institute of Medical Sciences)) कासना ग्रेटर नोएडा में वह फंक्शनल हो गया है. 50 किट की फैसिलिटी पर वह काम कर रहा था लेकिन आज से उसकी कैपिसिटी 100 करीब हो जाएगी. इसके अलावा नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ बॉयोलोॉजिकल (एनआईबी) और एक भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक लैब भी हमारे जिले में है जिसकी कैपिसिटी 1000 की है वह भी काम करने लगेगी. यहां पर ने केवल गौतमबुद्धनगर जिला ही बल्कि मेरठ और साहरनपुर मंडल के जांच भी प्रारंभ कर दिए गए हैं. टेस्टिंग फास्ट हो रही है. रैपिड टेस्टिंग किट भी अपने जिले में शुरू करने जा रहे हैं. अब तक 1600 सेंपल लिए जा चुके हैं. शुरु में यह संख्या 35 थी बाद में 100 हो गई. अब हमलोग 250 सेंपल डेली कर रहे हैं. जिले में अब तक 82 कोविड कनफर्म केसेज निकल चुके हैं, जिसमें 24 मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. अभी तक जिले में किसी भी मरीज को वेंटिलेटर्स की जरूरत नहीं पड़ी है.

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