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Corona Lockdown 20 Why is the Prime Minister waiting 6 days to relax the lockdown from red zone to green zone |Corona Lockdown 2.0: लॉकडाउन में ढील देने के लिए क्यों प्रधानमंत्री कर रहे 6 दिन का इंतजार? | nation – News in Hindi

Corona Lockdown 2.0: लॉकडाउन में ढील देने के लिए प्रधानमंत्री क्यों कर रहे 6 दिन का इंतजार?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने के बाद 4 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने Aarogya Setu App डाउनलोड किया.

सवाल उठ रहा है कि अगर 14 अप्रैल को लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) की अवधि हो रही थी तो फिर इस ग्रीन जोन में छूट के लिए 20 अप्रैल तक का इंतजार क्यों? सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्र के नाम संबोधन से कुछ दिन पहले देश में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के संकेत दिये थे. उन्होंने मुख्यमंत्रियों के साथ बात करते हुए कहा था कि भारत के भविष्य के लिए जीवन और आजीविका पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है. हालांकि उनका जोर ‘जान है तो जहान’ पर भी रहा. ऐसे में उन्होंने 3 मई तक राष्ट्रीय लॉकडाउन (Lockdown In India) की अवधि बढ़ा दी, लेकिन 20 अप्रैल से उन क्षेत्रों में प्रतिबंधों में ढील देने का प्रावधान किया गया, जहां कोविड -19 मामले नहीं हैं. इन क्षेत्रों को ग्रीन जोन के रूप में वर्गीकृत किया जा रहा है. लॉकडाउन के बाद यह पहली बार होगा जब आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा.

हालांकि इस बीच एक सवाल उठ रहा है कि अगर 14 अप्रैल को लॉकडाउन की अवधि हो रही थी तो फिर इस ग्रीन जोन में छूट के लिए 20 अप्रैल तक का इंतजार क्यों? सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बारे में कहा कि 6 दिन का अंतर यह सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है कि हर कोई यह समझने में सक्षम हो कि लॉकडाउन के बाद पहला कदम कैसे उठाया जाए और इसके लिए अच्छी तैयारी की जाए. केंद्र में कोविड-19 पर अधिकार प्राप्त समितियों में से एक के मुख्य अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.

द हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने कहा कि जब पीएम मोदी ने 24 मार्च की शाम को लॉकडाउन का ऐलान किया तो लोगों के पास इसका लाभ नहीं था. लॉकडाउन लगाने पर लोगों को पहले से ही जानकारी देने से इसका उद्देश्य हासिल नहीं हो पाता. जिन लोगों में कोरोना के लक्षण थे उनकी आवाजाही और उनसे किसी भी किस्म के संपर्क से लॉकडाउन का उद्देश्य असफल हो सकता था. इसके अलावा लोगों को घर के अंदर रहने के बजाय यह सुनिश्चित करना आसान है कि उनमें से कुछ ही लोग बाहर निकलें.

फिर भी केंद्र के द्वारा जारी किये जा रहे निर्देशों में कुछ कम्यूनिकेशन गैप्स थे. इसका बड़ा सबूत है कि कि केंद्र सरकार की ओर से पुलिस को लगातार निर्देश दिये जा रहे थे कि वह एक जगह से दूसरी जगह सामान लेकर जा रहे ट्रक वालों को ना रोकें.क्यों किया जा रहा इंतजार?
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि योजना यह है कि एक जिले के वह क्षेत्र जो जिला प्रशासन द्वारा सील नहीं किया गया है, वहां मौजूद इंडस्ट्रियल यूनिट्स को शुरू किया जा सके. इसके साथ ही इसके तहत निजी कंपनियों को भी छूट दी जाएगी कि वह ग्रीन जोन में ऑपरेट करें. रिपोर्ट के अनुसार एक तीसरे अधिकारी ने कहा ‘हमें यह भी उम्मीद है कि जिला प्रशासन इस समय का उपयोग इस संदेश को सुदृढ़ करने के लिए भी करेगा कि जिन इलाकों में कोविड -19 मामले हैं, उन क्षेत्रों में तालाबंदी लागू करने के लिए अधिक से अधिक भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि लॉकडाउन तभी हटेगा जब एक भी केस नहीं होंगे.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने बुधवार को राज्यों भेजी गई एक चिट्ठी में बताया है कि जिलों को तीन श्रेणियों में बांट कर नये दिशानिर्देशों के मुताबिक संक्रमण रोधी अभियान चलाया जाए. इसमें तीन जोन होंगे. जो इलाके हॉटस्पॉट यानी रेड जोन हैं और वहां अगले 14 दिन तक वहां कोई मामला नहीं आता तो वह ऑरेंज जोन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद अगर 28 दिन तक कोई मामला नहीं आता है तो फिर क्षेत्र को ग्रीन जोन घोषित कर दिया जाएगा.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सर्वाधिक संक्रमण वाले 170 जिलों को हॉटस्पॉट जिले, सीमित संक्रमण वाले 207 जिलों को ‘संभावित हॉटस्पाट जिले’ और संक्रमण मुक्त शेष जिलों को ‘ग्रीन जोन’ में बांटते हुये राज्यों से कहा है कि अगर उनकी दृष्टि में ऐसे कोई जिले हैं जो हॉटस्पॉट के मानकों को पूरा करते हों, तो वे इन्हें इस श्रेणी में शामिल कर सकते हैं.’

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First published: April 16, 2020, 7:18 AM IST



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