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ये होती है RT_PCR जांच
भारत में वैश्विक स्वास्थ्य मानकों के मुताबिक अभी दो तरह की नैदानिक जांच की जा रही हैं- आरटी-पीसीआर जांच और रैपिड एंटीबॉडीज जांच. विशेषज्ञों का कहना है कि रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) परीक्षण प्रयोगशाला की एक तकनीक है जिसमें आरएनए का डीएनए में रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन किया जाता है जिससे विषाणु का पता चलता है जबकि एंटीबॉडीज जांच में रक्त का इस्तेमाल होता है और इसमें वायरस पर शरीर की प्रतिक्रिया देखी जाती है.
डॉक्टरों ने बताया सबकुछदिल्ली स्थित फेफड़ों के प्रख्यात सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा, “आरटी-पीसीआर में देखा जाता है कि वायरस मौजूद है या नहीं. व्यक्ति की श्वास नली से एक नमूना लिया जाता है या फिर गले अथवा नाक से नमूना लेकर जांच की जाती है. नतीजे आने में 12 से 24 घंटे लगते हैं.”यहां सर गंगाराम अस्पताल में काम करने वाले कुमार कहते हैं कि आरटी-पीसीआर जांच में समय लगता है और यह महंगा भी है क्योंकि उसके किट में कई चीजें शामिल हैं.
ये होता है Rapid antibody test
उन्होंने कहा, “दूसरी तरफ, रैपिड एंटीबॉडीज परीक्षण कम महंगे हैं और नतीजे 20 से 30 मिनट में आ जाते हैं. यह अनिवार्य रूप से परीक्षण करता है कि कोरोना वायरस संक्रमण की प्रतिक्रिया में एंटीबॉडीज बनी या नहीं.” यह जांच सामान्य तौर पर संक्रमित स्थानों पर की जाती हैं जहां किसी खास क्षेत्र में संक्रमण की अधिकता मिली हो.
संक्रमित स्थान (हॉटस्पॉट) वह क्षेत्र है जहां से कोविड-19 के मामले ज्यादा मिले हों. दिल्ली में सोमवार रात तक संक्रमण की अधिकता वाले 47 स्थान चिन्हित किये गए थे और उन्हें सील कर दिया गया है. कुमार ने कहा, “रैपिड एंटीबॉडीज जांच में नतीजे तभी सकारात्मक आएंगे जब एंटीबॉडीज बनेंगी. इसलिए, भले ही कोई व्यक्ति संक्रमित हो लेकिन एंटीबॉडीज नहीं बन रही हों तो उसकी जांच का नतीजा नकारात्मक रहेगा.”
सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच निशुल्क है
पूर्व में कई मामलों में ऐसा हुआ है जब पहले किसी व्यक्ति की जांच में संक्रमण नहीं मिला हो लेकिन कुछ दिनों बाद जब वह किसी दूसरे देश में पहुंचा या पहुंची हो तो वहां उसमें संक्रमण मिला हो. अगर उस व्यक्ति का आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया होता तो वह संक्रमित मिलता, लेकिन इसके उपयोग की व्यवहार्यता का मुद्दा है. सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच निशुल्क है लेकिन निजी प्रयोगशालाओं में जो आरटी-पीसीआर जांच करती हैं उनकी लागत 4500 रुपये है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया फैसले में बदलाव
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपने आठ अप्रैल के उस आदेश में बदलाव किया जिसमें उसने कहा था कि निजी प्रयोगशालाएं कोविड-19 की जांच निशुल्क करें. न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यह लाभ उन्हीं लोगों को उपलब्ध होगा जो “आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग” से आते हैं और जो आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजना के तहत लाभार्थी हैं.
सरकार द्वारा जांच के लिये अधिकृत की गई प्रयोगशालाओं में से एक थायरोकेयर लैब्स के प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षण बेहद न्यायोचित तरीके से होना है क्योंकि भारत में जांच किटों की संख्या सीमित है.
उन्होंने कहा, “हम जांच करें उससे पहले इसके लिये डॉक्टर की अनुशंसा जरूरी है. मुंबई के रहने वाले चर्चित वीडियो ब्लॉगर निखिल हाल ही में ब्रिटेन से लौटे थे और उन्होंने अपनी जांच करवाई और जागरुकता फैलाने के लिये उसका वीडियो भी बनाया कि विदेशों से आने वाले लोगों को डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.”
कई कारकों पर है निर्भरता
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मंगलवार को देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 339 हो गयी जबकि संक्रमित लोगों का आंकड़ा 10,363 था. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने कहा कि नाक या मुंह से लिये गए नमूनों में से कोई भी सकारात्मक आता है तो व्यक्ति को कोविड-19 से पीड़ित माना जाता है.
विशेषज्ञों ने कहा कि इन परीक्षणों के नतीजे कितने सही होंगे यह कई कारकों पर निर्भर करता है जिनमें बीमारी के शुरू होने का समय, नमूने में वायरस का संकेंद्रण, व्यक्ति से लिये गए नमूने की गुणवत्ता, उसके विश्लेषण कैसे किया गया और जांच किट के अभिकर्मकों का सटीक निरूपण हुआ या नहीं,शामिल हैं.
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