Coronavirus: क्या दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है संक्रमण – Can Coronavirus damage the human brain as well as respiratory system | knowledge – News in Hindi


दुनियाभर के वैज्ञानिक अब दिमाग पर कोरोना वायरस के असर को लेकर शोध औरर अध्ययन कर रहे हैं. (फोटो साभार: मेडस्केप)
कोरोना वायरस (Coronavirus) के ज्यादातर शोध में श्वसन तंत्र (Respiratory system) पर असर का अध्ययन किया गया है. अब कुछ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने संक्रमण के दिमाग (Brain) पर असर को लेकर भी अध्ययन किया है. इन अध्ययनों के नतीजे दुनियाभर के डॉक्टरों को चिंता में डालने वाले हैं.
सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर भी हमला कर सकता है कोरोना
कोरोना वायरस के दिमाग पर असर को लेकर किए शोधों में संकेत मिले हैं कि ये सेंट्ल नर्वस सिस्टम (CNS) पर भी हमला कर सकता है. संक्रमण से ठीक होने के बाद भी मरीज को सीएनएस पर हमले में हुए नुकसान से उबरने में लंबा समय लग सकता है. वहीं, ज्यादा गंभीर मामलों में ये मौत का कारण भी बन सकता है. इस शोध को MedRxiv में प्रकाशित किया गया है, जिसकी वुहान (Wuhan) के कुछ डॉक्टर्स ने पुष्टि की है. थाइलैंड मेडिकल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन (China) की हुआझोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के यूनियन हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. हू बो ने शोध के दौरान 214 नए मरीजों पर अध्ययन किया. इनमें 30 फीसदी यानी 70 मरीजों को न्यूरोलॉजिकल परेशानियां पैदा हुईं. शोध के लिए चुने गए मरीजों में 88 गंभीर रूप से बीमार थे. इनकी औसत उम्र 52.7 साल थी.

कोरोना वायरस के कुछ मरीजों को कंफ्यूजन की शिकायत हो रही है. साथ ही कुछ को समय का अहसास भी नहीं हो रहा है.
कोरोना वायरस के मरीज को हो सकती है इंसेफेलोपैथी
कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले लोगों को खांसी, जुकाम, सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई और न्यूमोनिया के साथ दिमाग से संबंधित गंभीर दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक, कोरोना के कारण लोगों के दिमाग पर असर पड़ने को इंसेफेलोपैथी (Encephalopathy) के नाम से भी जाना जाता है. इसमें लोगों की दिमागी क्षमता प्रभावित होने के साथ ही सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता घट रही है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक 74 वर्षीय मरीज को मार्च की शुरुआत में फ्लोरिडा के बोका रैटन अस्पताल लाया गया. उस समय उसे खांसी और बुखार की ही शिकायत थी. एक्स-रे की रिपोर्ट में उसकी हालत सामान्य नजर आई तो डॉक्टरों ने उसे घर जाने दिया. बुखार बढ़ने पर अगले दिन उसे फिर अस्पताल लाया गया. वह सांस लेने में दिक्कत के साथ ही होश भी खो चुका था. मरीज अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था. जांच में उसके संक्रमित होने की पुष्टि हो गई.
संक्रमण से दिमाग की कोशिकाएं हो सकती हैं डैमेज
एक एयरलाइन में काम करने वाली डेट्रायट की 50 साल की महिला मरीज कोरोना की चपेट में थी. महिला के सिर में दर्द था. साथ ही उसे कंफ्यूजन (Confusion) की शिकायत भी हो रही थी. मरीज भी डॉक्टरों को अपना नाम नहीं बता पा रही थी. वह समय को लेकर भी भ्रम की स्थिति में थी. उसके दिमाग की स्कैनिंग करने पर कई हिस्सों में सूजन मिली. इन हिस्सों में कुछ कोशिकाएं (Cells) मृत भी पाई गईं. डाक्टरों ने इसे अति-गंभीर बताते हुए एक्यूट नेक्रोटाइजिंग इंसेफेलोपैथी (ANE) नाम दिया. यह हालत इंफ्लुएंजा जैसे वायरल संक्रमण के बिगड़ने पर पैदा होती है. हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम की डॉक्टर एलिजा फोरी ने बताया कि इस महिला मरीज की हालत खराब है. इस केस से साबित होता है कि कुछ परिस्थितियों में वायरस सीधे दिमाग पर हमला कर सकता है.

कई मरीजों को पैरालिसिस, ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत भी हो रही है. मेडिकल साइंस में इन्हें एक्रोपैरेस्थेशिया भी कहा जाता है.
हो सकती है पैरालिसिस, अंगों के सुन्न होने की दिक्कत
अमेरिका की ही तरह इटली (Italy) और अन्य देशों के डॉक्टरों ने भी पाया है कि कोरोना वायरस कुछ मरीजों के दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है. कई मरीजों को पैरालिसिस, अंगों का सुन्न होना, ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत भी हो रही है. मेडिकल साइंस में इन्हें एक्रोपैरेस्थेशिया भी कहा जाता है. कुछ मामलों में तो लोगों को बुखार आने और सांस लेने में तकलीफ होने से पहले ही दिमागी हालत बिगड़ गई. इटली के ब्रेसिया शहर में ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए अलग न्यूरोकोविड यूनिट बनानी पड़ी. इलाज के लिए लाए गए इंसेफैलोपैथी के लक्षण वाले ज्यादातर मरीज कंफ्यूजड थे. इनमें कई बार-बार बेहोश भी हो रहे थे. पीट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ मेडिसिन के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शेरी एच. वाई चाऊ ने कहा कि इस वायरस के न्यूरो सिस्टम पर पड़ने वाले असर के बारे में अभी काफी कुछ पता करना है.
चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी दिमाग पर असर की बात मानी
कई विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के ज्यादातर मरीजों की दिमागी हालत सामान्य रहती है. इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. बाल्टीमोर के जॉन हापकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिंस के डॉ. रॉबर्ट स्टीवंस ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस के दिमाग पर असर का अध्ययन करने के लिए जिन मरीजों को चुना है, वे पूरे होश में रहते हैं. साथ ही उन्हें अपने आसपास के माहौल की पूरी जानकारी भी रहती है. वहीं, एक रिसर्च पेपर में चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस श्वसन तंत्र तक ही सीमित नहीं रहता है. ये वायरस कुछ मरीजों के दिमाग पर भी बुरा असर डालता है.
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First published: April 9, 2020, 1:16 PM IST