सहायक लोको पायलट की लापरवाही पड़ सकती हैं सब पर भारी, 17 दिनों से खांसी होने के बाद भी करते रहे काम

सहायक लोको पायलट की लापरवाही पड़ सकती हैं सब पर भारी, 17 दिनों से खांसी होने के बाद भी करते रहे काम
देवेन्द्र गोरले सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-डोंगरगढ- जहां एक ओर आज पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी की चपेट में है वहीं दूसरी ओर भारत सरकार की सावधानी और सूझबूझ के चलते अन्य देशों के मुकाबले में भारत मे कोरोना का असर कम देखने को मिला है क्योंकि भारत सरकार द्वारा लगातार टीवी विज्ञापनों, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों एवं विभिन्न माध्यमों से कोरोना के प्रति जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है साथ ही यह भी हिदायत दी जा रही हैं कि किसी भी प्रकार की बुखार, खांसी या सांस में तकलीफ होने पर तत्काल अस्पताल में या डॉक्टरों से संपर्क करने की सलाह दी जा रही हैं लेकिन इन सबके बावजूद धर्मनगरी डोंगरगढ में कार्यरत सहायक लोको पायलट राणा प्रताप ने सरकार की तमाम कोशिशों को दरकिनार करते हुए लगभग 17 दिनों से खांसी होने पर भी ना तो नजदीकी अस्पताल या सही चिकित्सक से समय पर ईलाज करवाया बल्कि अपने विभागीय अधिकारी को जानकारी दी और लगातार कार्य करते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब तकलीफ बढ़ने लगी तब जाकर डोंगरगढ सरकारी अस्पताल में जाकर एक्सरे करवाया तो यहां कि रिपोर्ट में पता चला कि लंग्स में पानी भरा है जिससे टीवी या कोरोना की सम्भावना जताई गई जिसके बाद रेलवे के रनिंग स्टॉफ ने प्राइवेट एम्बुलेंस कर सहायक लोको पायलट को राजनांदगांव जिला अस्पताल पहुंचाया जहां पर पुनः डिजिटल एक्सरे करवाया गया जिसमें फिलहाल तो सबकुछ ठीक बताया गया है लेकिन कोरोना टेस्ट के लिए उनका सैम्पल जांच के लिए भेजा गया है जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है लेकिन एहतियात के तौर पर सहायक लोको पायलट राणा प्रताप को 30 मार्च से 14 दिनों के लिए होम आइसोलेशन में रखा गया था। सूत्रों ने बताया कि राणा प्रताप ने अपने अधिकारी परिचालन नियंत्रक पी के शेंडे को होम आइसोलेशन की जानकारी दी लेकिन उन्होंने राज्य सरकार की जिला अस्पताल द्वारा लगाई सील व मुहर को मानने से इंकार करते हुए आरएमसी लाने को कहा किन्तु राणा प्रताप ने भी आरएमसी लाने में 4 से 5 दिन लगा दिए और इस दौरान वे काम करते रहे जब 4 अप्रैल को वे आरएमसी लेकर पहुंचे तो उन्हें पी के शेंडे द्वारा छुट्टी दे दी गई जिसके बाद से राणा प्रताप घर पर ही आइसोलेट है।
अब सवाल यह उठता है कि यदि राणा प्रताप की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो 30 मार्च से 4 अप्रैल के बीच का समय जो उन्होंने काम पर बिताया है उस दौरान ना जाने कितने लोग उनके संपर्क में आये होंगे और फिर वो लोग कितने लोगों के संपर्क में आये होंगे यह बड़ा चिंता का विषय है भगवान करें रिपोर्ट निगेटिव आये नहीं तो राणा
प्रताप की लापरवाही उनके सहकर्मियों के साथ साथ जिस मोहल्ले में वे किराये से रहते है उनके लिए भी भारी पड़ सकती है। आपको बता दें कि राणा प्रताप बलौदा बाजार के रहने वाले हैं और वर्तमान में डोंगरगढ के कालकापारा में किराये के मकान में रहते हैं लेकिन उनकी इस खांसी ने पूरे मोहल्ले की नींद उड़ा दी है यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पूरे मोहल्ले को सील कर दिया जायेगा और पूरे मोहल्ले में कोरोना का खतरा मंडरा जायेगा।
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