गुण्डरदेही विधायक ने किया निषाद भवन का लोकार्पण

दुर्ग। नयापारा वार्ड नं.-1 पंचशील नगर बाजार में श्रीराम भक्त गुहा निषाद राज जयंती के अवसर पर अरूण वोरा की अनुशंसा पर मोतीलाल वोरा के राज्यसभा सांसद निधि से नवनिर्मित निषाद भवन का लोकार्पण मुख्य अतिथि मान.कुंवर सिंग निषाद विधायक गुण्डरदेही तथा वार्ड पार्षद व नेता प्रतिपक्ष लिखन साहू के द्वारा किया गया ।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि के द्वारा भगवान रामचन्द्र के चित्र पर गुलाल व माला पहनाया गया तत्पष्चात् उपस्थित अतिथियों का स्वागत समाज के प्रमुखों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विषेष अतिथि के रूप में समाज के अध्यक्ष नरेन्द्र निषाद, उपाध्यक्ष विष्णु निषाद, सचिव सत्तू निषाद, शिव प्रसाद, उदेराम पारकर कांग्रेस पार्षद राजकुमार वर्मा, विजयंत पटेल, जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग के प्रवक्ता संदीप श्रीवास्तव उपस्थित थे।
निषाद समाज के लोगों ने समाज के गौरव मान.कुंवर निषाद जी का स्वागत फुल माला के साथ किया साथ ही समाज की ओर से श्री फल,स्मृति चिन्ह व शाल भेंट कर उनका सम्मान किया गया। इस अवसर पर गुण्डरदेही विधायक श्री कुंवर निषाद ने सभी निषाद समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज के द्वारा मुझे विधानसभा चुनाव के द्वारा अपने तन-मन-धन से सहयोग किया है जिसका परिणाम है कि आप लोगों की मेहनत से मैं आज इस मुकाम पर पहुॅच पाया हुआ । मैं इस कार्यक्रम में विधायक बनकर नहीं आया हूॅ बल्कि अपने समाज के, अपने परिवार के बीच में किसी का भाई, भांचा, भतीजा व बेटा बनकर आया हूॅ, और मैं आपको विष्वास दिलाता हूॅ कि प्रषासनिक स्तर पर, समाज स्तर पर मुझसे जितना हो सकेगा समाज के उत्थान के लिए मैं करूंगा। कार्यक्रम का संचालन संतोष जलतारे द्वारा किया गया ।
जयंती के अवसर पर समाज की महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा निकाली गई, तत्पष्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई तथा रामायण का पाठ का आयोजन भी किया गया। जयंती में प्रमुख रूप से शिव निषाद, मनहरण निषाद विष्णु निषाद, राजू निषाद, लोचन निषाद, हेमंत निषाद, छोटू निषाद, हितेष निषाद, भरत निषाद, छबि निषाद, चेतन निषाद, छोटू निषाद, रामरतन निषाद, देवचंद निषाद,पुरूषोत्तम निषाद, नारायण निषाद,नीलकंठ निषाद, कुसउराम निषाद, कुन्ती लाल निषाद, कैलाष निषाद, अनिता निषाद, दुलारी निषाद, क्षमा निषाद, मोतीराम निषाद, सुश्री ममता निषाद, षिव प्रसाद निषाद, रतन निषाद,सुदर्षन निषाद, ओपी निषाद, सहित समाज के स्वाजातीय बंधु मौजूद थे।