छत्तीसगढ़

कोमल भाजपा हाईकमान की नजर मे सौ प्रतिशत गोल्ड जो मिला दायित्व निभाया जमकर भाई राजा के सम्बोधन से कार्यकर्ता को आत्मीयता का एहसास

कोमल भाजपा हाईकमान की नजर मे सौ प्रतिशत गोल्ड जो मिला दायित्व निभाया जमकर भाई राजा के सम्बोधन से कार्यकर्ता को आत्मीयता का एहसास

देवेन्द्र गोरले सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-राजनांदगांव 
भाजपा के सदाबाहर मिलनसार नेताओ की बात की जाए तो गिनती के दो तीन ही है।अब तीन मे दो कौन है आप भी जानते है। हम तो तीसरे की बात कर रहे है। भाई राजा का सम्बोधन कोमल सिह राजपूत करते है । अक्सर वह किसी से मिलते है तो यह शब्द जैसे ही उनके मुख से निकलता है ।सामने वाला एक बार में ही गदगद हो जाता है और उसे वाकई लगता है कि कोई हमे इतने आत्मीयता से सम्बोधित कर सम्मान दे रहा है। वैसे देखा जाय तो भाजपा नेता कोमल सिंह राजपूत को भाजपा राज के 15 वर्ष में लाल बत्ती नहीं मिली , जबकि वह इसके स्वाभाविक हकदार थे .यह लाल बत्ती नही मिलने के वैसे कई कारण है जो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ,तत्कालीन प्रदेश भाजपाअध्यक्ष धरमलाल कौशिक सहित स्वयं कोमल सिंह भी जानते हैं पर उनको सौंपी गई जिम्मेदारी को जिस शानदार तरीके से उन्होंने सत्ता न होने पर निभाया है। वह भी काबिले तारीफ है। उनको पहले गंडई नगर पचायत मे भाजपा समर्पित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाने का प्रभार सौंपा गया था। यह दायित्व भी उन्होंने अच्छे से निभाया और खास रणनीति के तहत श्यामपाल को अध्यक्ष तथा मुजमिल खान को उपाध्यक्ष बनाने मे कामयाब रहे। दूसरी जिम्मेदारी उनकी राजनादगाव जनपद मे भाजपा समर्पित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनवाने की थी। यह काम भी सफल रणनीति के तहत चार चार दावेदारो मे एक प्रतीक्षा की प्रतीक्षा खत्म कर उसको अध्यक्ष बनवाया। कोमल की रणनीति ने भाजपा जनपद सदस्यों मे तोडफोड या कांग्रेस की ओर से इस पद के लिए कोई अन्य दावेदार को गडबडी करने का भी मौका नही दिया। वही अध्यक्ष बनाने के बाद उपाध्यक्ष पद पर चुनाव तय हुआ। तब भी भाजपा के कुछ नेता दिलीप व शीला पर नही अमीन को भाजपा की ओर से उपाध्यक्ष पद का चुनाव लडाना चाहते थे परन्तु बताते है कि कोमल सिंह राजपूत ने इसका विरोध किया और कहा कि ऐसा नही चलेगा।राजनादगाव का मुझे प्रभारी बनाया है तो मै पार्टी हित को मानकर सही निर्णय लूगा और अन्ततः दिलीप पटेल ही उपाध्यक्ष के लिए भाजपा से चुनाव मैदान मे आ गए । बताते है कि अमीन पर भाजपा के नेता मतदान के लिये सहयोग की बात करते थे तो वह स्वयं भाजपा से उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनने की बात करता था। इस पर एक नेताजी राजी भी हो गए पर कोमल के विनम्र चेतावनी पर उनकी भी नही चली। यह भी माना जा रहा था कि कांग्रेस विचारधारा मे रुचि रखने वाले अमीन पर अगर भाजपा दांव भी लगाती तो देर सबेरे कांग्रेस मे उसका जाना तय माना जा रहा था। भाजपा का दिलीप उपाध्यक्ष चुनाव मतदान मे कांग्रेस के रोहित से हार गया, परन्तु इस हार मे भी भाजपा के जनपद सदस्यों को जीत का एहसास था। कारण सब एकजुटता से एकमत व सदस्यों की पूछपरख से सम्मानित महसूस कर रहे थे।एक मुलाकात मे दिलीप का कहना था कि मैने कभी उम्मीद नही की थी कि पार्टी मुझ साधारण सदस्य को उपाध्यक्ष पद का चुनाव लडवाएगी। उपाध्यक्ष चुनाव मे दो मत नही कि भाजपा नेता कांग्रेस समर्थक ढुलमुल रवैये वाले सदस्यों को अपने पक्ष मे नही कर पाये। बताते है कि मामला मैनेजमैन्ट का थाऔर बडे नेता भी हाथ खीचकर ध्यान दे रहे थे।भ्रमण के लिए भी नानुकुर चला पर कोमल ने कहा कि अब नही तो कब? बाद मे नेता भी इसके लिए तैयार हो गए। वैसे इस चुनाव से पहले सत्ता का प्रलोभन व सामदन्ड का खेल भी चला । जिसमे राजनीति मे रूचि रखने वाले एक पुलिस अफसर इतना डूब गए कि उन्हें ध्यान नही रहा कि वे डयूटी छोडकर क्या कर रहे है। इन सबसे कैसे निपटा गया। भाजपा के चन्द नेता ही जानते है।अभाविप से बजरगदल ,विहिप का काम करने वाले कोमल सिंह राजपूत भाजपा से जुडे तो उसने अलग ही भाजपा की टीम बनाई जो शायद यहां के बडे नेताओं के पास भी नही दिखती है। अब इसका कुछ प्रतिफल यहाँ कोमल को मिल सकता है क्योंकि राज्य मे भाजपा की पतली हालत व गिरते ग्राफ को देखकर भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी जिलो मे ऐसे कर्मठ कार्यकर्ताओं की तलाश कर रहा है। जिन्हें बडी जिम्मेदारी देकर सगठन को मजबूत कर आने वाले समय मे दोबारा छतीसगढ मे अपनी सरकार लायी जा सके।

 

 

 

 

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