संासद विजय बघेल के प्रयास से मिला भिलाई इस्पात संयंत्र के श्रमिकों को राहत

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत् श्रमिकों को प्राय: उनका पूर्ण वेतन प्राप्त नही होता था जिसका मूल कारण भिलाई इस्पात संयंत्र के किसी ठेका का उसके मूल लागत से 30 प्रतिशत कम तक में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा दिया जाना था। प्रतियोगिता के कारण भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत् ठेकेदारों द्वारा न्यूनन्तम दर पर कार्य को ले लिया जाता था जिस पर कई ठेकेदार तो इतने कम में काम को लेते थे कि घाटे के नाम पर काम भी आधे में छोड़ कर चले जाते थें एवं जो ठेकेदार काम को पूर्ण करते भी थे तो घाटे के नाम अपने पास कार्यरत् श्रमिकों को उनका वेतन या अन्य मिलने वाली राशि उन्हे नही मिल पाता था। इस कारण वर्ष 2019 में सर्वाधिक श्रमिकों को भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा विभागीय ढग़ से वेतन भुगतान करना पड़ा जिस पर सैकड़ो श्रमिकों ने आकर सांसद बघेल से शिकायत किया। जिसे गंभीरता से लेते हुई सांसद विजय बघेल ने सेल चेयरमेन अनिल चौधरी के भिलाई आगमन पर भिलाई निवास पर इस विषय चर्चा किया एवं केन्द्रीय मंत्री को भी इसकी जानकारी प्रदान किया गया । जिसे गंभीरता से लेते हुइ एवं सांसद के सुझाव को मानकर भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन अपने सभी कान्टे्रक्टर में यह प्रवधान लाया कि अब कोई भी कान्ट्रेक्टर को ठेकेदार या अन्य संस्था भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा निवादा में निकाली गई लागत से 10 प्रतिशत ही नीचे तक आवेदन कर सकती है जो कि पूर्व में 30 प्रतिशत नीचे तक जाने का प्रवधान था। अन्डर कोड टेन्डर नियम में इस परिवर्तन स ेअब घाटे के नाम पर भिलाई इस्पात संयंत्र में काम बंद नही हो पायेगा एवं श्रमिकों केा उनका वेतन या अन्य सुविधायें घाटे के बहाने नही देने कि प्रवृत्ति में लगाम लगेगी। तथा भिलाई इस्पात संयंत्र का काम सुधारू रूप से चल सकेगा एवं कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित नही होगी।