
लौह अयस्क नगरी दल्ली राजहरा के प्राकृतिक झरनों के संरक्षण के बारे में शासन प्रशासन स्थानीय नगरपालिका के द्वारा कोई भी पहल नहीं की गई नहीं तो यह क्षेत्र नगर के पर्यटन के लिए बहुत ही बड़ा केंद्र होता जब यह शहर बसा भी नहीं था तब से यह प्राकृतिक झरना है दक्षिण दिशा बस्तर की ओर नगर के प्रथम प्रवेश द्वार पर यह स्थित है किसी समय इस क्षेत्र में पहले दलदली हुआ करती थी इसी दलदली क्षेत्र के नीचे से प्राकृतिक झरने का उद्गम हुआ था जो आज भी निरंतर बहता है सदियों से यह झरना एक ही रफ्तार में बहता रहता है जबकि गर्मियों के दिनों में पूरे शहर में पानी का संकट पैदा होता है लेकिन झरन कुंड का पानी लेश मात्र भी कम नहीं होता पुराने बुजुर्ग लोग बताते हैं कि यह झरना बस्तर कांकेर जिले के सोनादई जलकुंड से चलकर खंडी घाट जलकुंड से दल्लीराजहरा के कुंड में आता है खंडी घाट के पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि एक समय एक जानवर का शावक खंडी घाट के जल कुंड में गिर गया था जो कि बाद में दल्ली राजहरा के झरण कुंड से निकला था झरन कुंड से प्राचीन मूर्तियों का उद्गम भी हुआ था जिसमें शिवलिंग नंदी बैल राजा महाराजा सैनिक की आकार की मूर्तियां बहुत मात्रा में निकली थी जिसे यह पत्थर का चबूतरा बना रखा गया था कुछ मूर्तियों को मूर्ति तस्कर यहां से देख रेख के अभाव में उठाकर भी ले गए इसी चबूतरे पर शिवलिंग नंदी बैल प्राचीन मूर्तियों की पूजा करते थे इसकी खूब मान्यता भी रही है यहां पूर्व में माघी पूर्णिमा महाशिवरात्रि को बहुत बड़ा मेला का आयोजन भी होता था लेकिन इस क्षेत्र की अनदेखी की वजह से यह सब धीरे धीरे बंद हो गया आज भी बारह गांव की देवी में शामिल है वहीं इनकी सात बहने हैं जिनका विराजमान झरन कुंड के दोनों और जो पहाड़ी है उन पर विराजमान है यह शहर जब बसा तो लोगों के पीने के पानी लिए व निस्तारी के लिए एक मात्र साधन था आज भी वार्ड नंबर 10 12 18 19 के लिए निस्तारी व पीने का पानी यहां से उपयोग करते आ रहे है इस झरने का विलुप्त होने का प्रमुख कारण इस पूरे कुंड के अंदर फाइस घुस गई है वहाँ बनी समस्त सी सी पानी की टंकी दब गई है वही इसके समीप से बीएसपी की झरनदल्ली पहाड़ी के पास से निकलने वाले पानी से बारहमासी नाला बहता है कभी यह नाला झरन कुंड से 20 फीट नीचे बहता था आज जमीन लेबल से 5 फिट ऊपर बह रहा है उसका प्रमुख कारण यह है नाले में पानी के साथ जो फाइनेंस मिट्टी बहती है वह लगातार राजहरा डेम में जाकर मिलती गई अब धीरे-धीरे पूरे नाले में जम चुकी है कभी राजहराडैम मिनी समुद्र की माफी दिखता था आज एक तालाब की तरह हो गया आज इन्हीं प्राकृतिक झरनों की वजह से इस शहर का नाम झरनदल्ली पढ़ा था इस शब्द का जन्म झरन प्लस दलदली को जोड़कर ही यह शब्द का जन्म हुआ था इसके नाम से रेलवे स्टेशन बीएसपी की पहाड़ी का नाम रखा गया इसी झरन के किनारे बीएसपी प्रशासन ने सन 1960 -1965 में एक झरनपंप हाउस का निर्माण किया था जिसमें झरनों के पानी के स्रोत को इकट्ठा कर पूरे बीएसपी क्वार्टर में पानी की सप्लाई की जाती थी लेकिन बाद में बीएसपी के द्वारा राजहरा डेम डैम व बोडी डेम का निर्माण किया तो यह पंप हाउस को रेलवे प्रशासन को बेच दिया या लीज पर दिया गया आज रेलवे के सारी पानी की जरूरत इसी पंप हाउस से हो रही है जबकि नगर की जनता को इस पानी का कोई लाभ नहीं मिल रहा है जबकि यह पानी अल्कलाइन के साथ सारे मिनरल से परिपूर्ण है वही इसमें आयरन की मात्रा नही है वही इस पानी का पीएच मान लगभग 7 से ऊपर है जबकि आज जो बोर का पानी लोग पी रहे हैं वह पांच पीएच मान के लगभग है आज जो बीएसपी पानी फिल्टर कर दे रही है वह पानी भी साढ़े छह पी एच से ऊपर नहीं है अगर शासन प्रशासन इस कुंड के महत्व को समझती तो आज सारे नगर की पानी की जरूरत एवं शुद्ध पानी नगर की जनता को मिलता लेकिन इसकी हमेशा अनदेखी की गई और इसी अनदेखी की वजह से यह क्षेत्र धीरे धीरे फाइस मिट्टी से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका था सब कुछ युवा साथियों ने सन 2000 में मां झरन मैया मंदिर व जनकल्याण समिति के नाम से गठन कर इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा लिया वही पूरे मंदिर प्रांगण का नव निर्माण प्रारंभ किया और समय-समय पर लगातार बीएसपी प्रशासन नगर पालिका प्रशासन जिलाधीश सांसद विधायक मुख्यमंत्री पर्यटन मंत्री तक मुलाकात कर लिखित पत्र के माध्यम से अवगत कराता रहा है सन 2007 में समिति के सदस्यों ने जाकर पर्यटन मंत्री से मुलाकात कर यहां की पूरे महत्व की बात मौखिक रूप से बता कर लिखित मांग पत्र किया तब छत्तीसगढ़ पर्यटन मंत्री मंत्रालय से सन 2007 में जिलाधीश के नाम इस झरने को पर्यटन में शामिल करने हेतु इस क्षेत्र ने पर्यटन की संभावना वह सुझाव गए प्रस्ताव की उपयोगिता के औचित्य में अपना अभिमत सहित जानकारी तथा पर्यटन की दृष्टि से कार्य योजना का प्रस्ताव मैं प्राक्कलन आपके द्वारा वर्तमान में जारी विकास कार्यों एवं प्रस्तावित कार्यों आदि की जानकारी इस कार्यालय को भेजने का एक पत्र जारी किया गया वही 15 सितंबर 2010 को संचालनालय नगरी प्रशासन एवं विकास रायपुर के द्वारा मुख्य नगरपालिका अधिकारी दल्ली राजहरा को पत्र लिखकर विकास कार्यों का पूर्ण प्रस्ताव प्रेषित किए जाने का पत्र लिखा गया था वही मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर कार्यालय प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग रायपुर के द्वारा भी विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी रायपुर को पत्र लिखकर कार्यवाही बाबत लिखा गया था जिस पर बालम लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के द्वारा यहां सर्वे कर गया था लेकिन स्थानीय नगरपालिका के द्वारा कोई भी उस प्रस्ताव का जवाब आज तक नहीं दिया जिसके कारण यह झरन का क्षेत्र पर्यटन में शामिल नहीं हो पाया वह यहां के विकास कार्य नहीं हो पाए इसका मुख्य कारण है सन 2005 से सन 2012 तक यहां के समिति के अध्यक्ष रमेश मित्तल ने लगातार प्रयास किया था लेकिन उसके बाद जो भी यहां पर अध्यक्ष बने उन लोगों ने कोई इस विषय पर कार्यवाही नहीं की जिसके कारण यह सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया अभी मंदिर समिति के अध्यक्ष महेश सहारे व संरक्षक व मंदिर निर्माण प्रभारी रमेश मित्तल के द्वारा पिछले 2 वर्ष से लगातार कार्यवाही किया जा रहा है जिस पर मंत्री महोदया श्रीमती अनिला भेड़िया महिला बाल विकास व समाज कल्याण विभाग से मिलकर क्षेत्र के विकास के लिए राशि की मांग की गई जिसमे उन्होंने नगरपालिका अध्यक्ष काशीराम निषाद को प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा था जिस पर उन्होंने सत्रह लाख रुपए का अनुदान राशि बनाकर भेजा जिसे मंत्री महोदय ने खनिज न्यास निधि में शामिल कर ली गई है और यह राशि आने वाले महीने में जारी हो सकती है तब यहां के प्राकृतिक झरन कुंड के नव निर्माण का काम प्रारंभ किया जाएगा वही इस क्षेत्र को झरन मंदिर से रराजहरा डेम तक जोड़कर पर्यटन के क्षेत्र में अनेक संभावना को लेकर विकास किया जा सकता है जिसमें प्रमुख रुप से गेस्ट हाउस नौका विहार मिनी मैत्री गार्डन की तर्ज पर सुंदर गार्डन वह पशु पक्षी रखकर क्षेत्र का विकास किया जा सकता है लेकिन स्थानीय नगरपालिका पिछले 20 वर्षों में ऐसा कोई कार्य नहीं कर पाई है जिसे लोग गर्व से कह सकें की नगर पालिका ने यह कार्य यह है वहीं बीएसपी प्रशासन भी अपनी जवाबदारी नहीं निभा पा रहा है पिछले वर्ष समिति की मांग पर महाशिवरात्रि के अवसर पर सीजीएम तपन सूत्रधार जी ने आश्वासन दिया है कि नाले के दोनों छोर पर सीसी वालों व चेक डैम का निर्माण कराया जाएगा ताकि जो बीएसपी नाला जिसमें फाइस नाले में बहती है उसे एक जगह चेक बनाकर रोका जाएगा वही नाले का पानी झरन कुंड तरफ ना जा पाए उसके लिए पूरा प्रस्ताव तैयार हो चुका है एक दो महीने में उसकी राशि जारी हो जाएगी ऐसा समिति के सदस्यों को उन्होंने पिछले महीने ही आश्वासन दिया है नगर की नगर के इस प्रथम छोर पर बसे प्राचीन मंदिर का पुनः नव निर्माण का कार्य जारी है यह दल्ली राजहरा ही नहीं अपितु आसपास के लिए श्रद्धा का एक बहुत बड़ा केंद्र है जिस का संचालन माँ झरन मैया मंदिर व जनकल्याण समिति कर रही है।।