छत्तीसगढ़

विकलांगता के अभिशाप से मुक्ति दिलाता स्पेशल चाइल्ड क्लीनिक, अब तक 300 बच्चों को दे चुके है सामान्य जीवन

विकलांगता के अभिशाप से मुक्ति दिलाता स्पेशल चाइल्ड क्लीनिक, अब तक 300 बच्चों को दे चुके है सामान्य जीवन

देवेन्द्र गोरले-सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-भिलाई– आज के इस आधुनिक युग में भी विकलांगता एक अभिशाप बन चुका है जिसका ईलाज एलोपेथीक चिकित्सा में मिलना मुश्किल हो गया है लेकिन आज के इस दौर में होम्योपैथी चिकित्सा में इसका उपचार संभव है। जहां बड़े-बड़े

अनुसन्धान केन्द्र बड़े बड़े न्यूरोसर्जन दुनिया भर की जांच व ईलाज करने के बाद भी बच्चों को ठीक करने में जवाब देते है वहीं होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. डी के वर्मा ऐसे बच्चों को अपनी दवा से नया जीवन प्रदान कर विकलांगता के अभिशाप से मुक्त कर रहे हैं।

 

*विकलांगता के प्रकार*-सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि विकलांगता कई प्रकार की होती हैं कोई बच्चा हाथ से विकलांग होता है कोई पैरो से तो कोई शरीर के अन्य अंगों से लेकिन एक विकलांगता ऐसी है जो बच्चों को सामान्य बच्चों से तो अलग करती ही है बल्कि शरीर के अंग विशेष से विकलांग बच्चों से भी अलग करती हैं वह विकलांगता ऐसा अभिशाप है जिसका दुष्परिणाम ना सिर्फ विकलांग बच्चों को बल्कि उनके माँ बाप को भी झेलना पड़ता है। क्योंकि ऐसे बच्चे जन्म से ही ना तो बोल पाते है, ना बैठ पाते है, ना अपने पैरों पर खड़ा हो पाते है और ना ही चल पाते है। ऐसे बच्चे केवल बिस्तर पर ही लेटे रहते है और उनकी दिनचर्या की सारी क्रियाएं बिस्तर पर ही होती हैं चूंकि ऐसे बच्चे अपने हाथों से कोई भी वस्तु उठा नहीं पाते इसलिए वे अपने हाथों से भोजन भी नहीं कर पाते ऐसे में बच्चों को अपने हाथों से खाना खिलाना, पानी पिलाना, उन्हें नहलाना सहित अन्य सभी क्रियाओं की जिम्मेदारी पालको की होती हैं। होती हैं।

किन-किन बीमारियों का होता है ईलाज– यहां पर यह बताना भी लाजमी होगा कि होम्योपैथी चिकित्सा में किस प्रकार की बीमारियों का ईलाज सम्भव है तो इसका पता भिलाई नगर स्थित क्लिनिक में जाकर लगाया गया। जहाँ पर चिकित्सक डॉ डी के वर्मा ने बताया कि ऐसे बच्चे जो गर्दन, हाथ, पैर व कमर से कमजोर है, चलते समय शरीर का बैलेंस नहीं बन पाता, चाल टेढ़ी मेढ़ी है, गिर जाता है, एड़ी उठाकर चलता है, पैर के तलवे चपटे है एवं घुटना, हाथ, पैर, कमर, रीढ़, पंजे मुड़े हुए हैं यानी एलोपेथीक चिकित्सा की भाषा में कहे तो सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल रिटाडेर्शन, ऑटिज्म, लर्निंग डिसेबिलिटी, हाइपर चाईल्ड, मूक बधिर, बहरापन, पोलियों, हाइपोक्सिक ब्रैन, मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी, ब्रैन अट्रोफी, मस्कुलर डिस्ट्राफी, मांशपेशी दुर्विकार, जेनेटिक डिजीज, स्नायु तंत्र रोग एवं ब्रैन में प्रॉब्लम का ईलाज बिना किसी ऑपरेशन, गोलियां व बिना किसी खून जांच, इंजेक्शन, सिटी स्कैन के मात्र लिक्विड फार्म से उपचार किया जाता है।

बजट में होता है ईलाज–
स्पेशल चाईल्ड क्लीनिक के नाम से चल रही इस होम्योपैथी संस्था मे स्पेशल बच्चों का उपचार आम आदमी के बजट में किया जाता है जबकि ऐसे बच्चों का उपचार कराने में माता पिता लाखों रुपये खर्च कर देते हैं फिर चाहे वह बच्चों को बड़ी अस्पतालों में भर्ती कराने में हो या फिर बड़ी-बड़ी जांच कराने में हो या फिर बड़ी अस्पतालों के चक्कर काटने में किराये के रूप में हो लेकिन इस होम्योपैथी संस्था की खासियत यह है कि यहाँ पर केवल 3 हजार रुपए महीने के खर्च में एक माह की दवा मिल जाती है और बार-बार बच्चों को लेकर जाने की आवश्यकता नहीं है पहली बार ही बच्चों को क्लीनिक में लेकर जाना पड़ता है उसके बाद आप अपनी दवा कोरियर के माध्यम से भी मंगवा सकते हैं। इस संस्था का शुभारंभ 2005-06 में हुआ था और अब तक लगभग 300 बच्चों को विकलांगता के अभिशाप से मुक्ति मिल चुकी है और लगभग 150 बच्चे का उपचार वर्तमान में जारी है जो जल्द ही स्पेशल बच्चों से सामान्य बच्चों की श्रेणी में आ जायेंगे। इनमें छत्तीसगढ़ के अलावा मुंबई, गुड़गांव, हजारीबाग व बालाघाट के बच्चे भी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में पांच से छः जिलों में संचालित है क्लिनिक– उक्त क्लीनिक की सेवाएं वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, अम्बिकापुर एवं भिलाई में जारी है जिसमें से रायपुर, बिलासपुर व भिलाई में डॉ डी के वर्मा के साथ डॉ भावना तिवारी, डॉ ओमलता लारिया व डॉ एल्फिया नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रही है तो वहीं कांकेर व अम्बिकापुर में डॉ प्रियंका शर्मा व डॉ ओमलता लारिया माह में एक बार सेवाएं देती है।इस खबर के बाद ऐसे माँ बाप जिनके बच्चे स्पेशल है यदि वे अपने बच्चों का उपचार कराना चाहे तो वे भिलाई नगर शिवाजी उद्यान स्थित स्पेशल चाईल्ड क्लीनिक में जा सकते है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम होम्योपैथी क्लिनिक का प्रचार कर रहे हैं तो आपको बता दें कि हमारी इस खबर का उद्देश्य किसी संस्था का प्रचार करना नहीं बल्कि इस देश को विकलांगता मुक्त करके ऐसे माता पिता को उस तकलीफ से निजात दिलाना है जो उन्हें स्पेशल बच्चे की परवरिश करने में होती है तथा ज्यादा से ज्यादा स्पेशल बच्चों को सामान्य जीवन मुहैय्या कराने में मदद करना है। इसके लिए हमनें स्वंम स्पेशल बच्चों का अपनी आंखों से उपचार होते देखा साथ ही ऐसे बच्चों के माता पिता से खास बात चीत भी की होम्योपैथी दवाई से मिलने वाले फायदे की जानकारी भी ली जिसके कुछ अंश हम आपको इस खबर के माध्यम से बता रहे हैं। जिसमें ऐसे बच्चे जिनका ईलाज बड़ी बड़ी अस्पतालों में नहीं हो पाया जिन्हें बड़े बड़े डॉक्टरों ने जवाब दे दिया और माता पिता ने भी उम्मीद छोड़ दी वैसे स्पेशल बच्चे भी आज सामान्य जीवन जी रहे हैं। इनमें एक बच्चा ऐसा भी है जो ढाई साल की उम्र में अचानक बोलना, चलना, उठना बैठना पूर्णतः बंद कर चुका था और उनके माता पिता हर जगह ईलाज करवाकर थक चुके थे लेकिन उसके बावजूद उन्हें कोई रिजल्ट नहीं मिला लेकिन दो वर्ष पूर्व जब उन्हें इस क्लीनिक के बारे में पता चला और उन्होंने यहाँ से ईलाज प्रारंभ करवाया तो आज उनका बच्चा ठीक होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है, उनके पालको ने अपना अनुभव शेयर किया इसी तरह और भी पालक है जिन्होंने अपना अनुभव हमारे कैमरे के सामने शेयर किया।

 

 

 

 

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