धर्म

अनेक वर्षों से अगर पीछे पड़ गई हो दरिद्रता तो इस प्रकार दरिद्रता से पीछा छुड़वाएं

केवल अंधकार का नहीं, बल्कि अंतर के दीप जलाने का भी होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन यदि मनुष्य सच्चे भाव से दरिद्र नारायण, अर्थात् किसी भूखे, निर्धन, असहाय या जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा करता है, तो वह आपके दुःख, दर्द का भक्षण करता है, बदले में आपको सुख, शांति, समृद्धि प्राप्त होती है।दरिद्र नारायण कोई साधारण व्यक्ति नहीं होते। वे स्वयं भगवान विष्णु के ही स्वरूप माने गए हैं, जो दरिद्र रूप में मनुष्य की करुणा और करुणा भाव की परीक्षा लेने आते हैं। इसलिए अमावस्या के दिन उन्हें खोजें सड़क किनारे बैठे किसी भूखे को भोजन दें, किसी वृद्ध या असहाय को वस्त्र दान करें, किसी बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाएं। अनेक बार अनेक लोगों ने दरिद्र नारायण के आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि, लक्ष्मी, ऐश्वर्य प्राप्त किया है। जब दरिद्र नारायण प्रसन्न हो जाते हैं, तो वे अपनी कृपा से आपके घर की दरिद्रता साथ ले जाते हैं और वहां महालक्ष्मी का वास करवा देते हैं।प्रत्येक अमावस्या को सेवा-सत्कार्य, दान-पुण्य कर्म अवश्य करना चाहिए। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली का महापर्व मनाया जाता है। इस दिन भी लोग दरिद्र नारायण की सेवा करते हैं क्योंकि जब दरिद्र नारायण संतुष्ट होते हैं, तब लक्ष्मी स्वयं आपके द्वार ठहर जाती हैं। लक्ष्मी पुण्य कर्मों से आती हैं। दीपावली के दिन हमें चाहिए कि गरीब बच्चों में मिठाइयां, खुशियां बांटें ताकि हमारे जीवन में भी खुशियां आएं, क्योंकि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।

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