छत्तीसगढ़धर्म

श्रीराम बाल मंदिर चंदन एवं खालिस सोने से बनेगा अयोध्या में 

श्रीराम बाल मंदिर चंदन एवं खालिस सोने से बनेगा अयोध्या में 

पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्र
सहसपुर लोहारा-कवर्धा

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ कवर्धा- पुरे देश में रामालय समितियों के गठन एवं स्वर्ण संग्रह, न्यास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द ने रामालय न्यास के सचिव स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी को किया नियुक्त

आज से अयोध्या का राम मन्दिर निर्माण कार्य शुरू
-जगद्गुरु शंकराचार्य

 

आदि शंकराचार्य की दीक्षास्थली में आयोजित ‘आद्य गुरु शंकराचार्य नर्मदा महोत्सव ‘ के मंच से समुपस्थित विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुये पूज्य पाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज अयोध्या में भव्य दिव्य मन्दिर के निर्माण कार्य के आरम्भ की औपचारिक घोषणा की ।

*उत्तरायण आते ही शंकराचार्य जी ने की अयोध्या श्री राममन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ की घोषणा*

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि हमारे यहाँ उत्तम कार्यों का आरम्भ उत्तरायण में किया जाता है । आज से उत्तरायण आरम्भ हो रहा है अतः आज से हम मन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ कर रहे हैं ।

*प्रथम चरण में होगा बाल-मन्दिर का निर्माण*

पूज्य शंकराचार्य जी ने आगे कहा कि शास्त्रों के अनुसार नये मन्दिर के निर्माण तभी किया जाता है जब पहले से उस स्थान पर कोई मन्दिर न हो । जहां पहले से मन्दिर हो पर वह जीर्ण या भग्न हो गया हो तो उसे पुनर्निर्मित किया जाता है जिसे जीर्णोद्धार कहा जाता है ।
वास्तुशास्त्र के अनुसार जीर्णोद्धार का आरम्भ करने के पूर्व एक छोटे अस्थायी मन्दिर का निर्माण किया जाता है जिसे ‘बालमन्दिर’ कहा जाता है । मन्दिर की मूर्तियों को तब तक इसी बालमन्दिर में रखा जाता है जब तक मुख्य मन्दिर बनकर उसके गर्भगृह में मूर्तियों को प्रतिष्ठित नहीं कर दिया जाता ।
अतः हम शास्त्रोक्त पद्धति से पहले बालमन्दिर बनवायेंगे ।

*खालिस सोने से मढा जायेगा बालमन्दिर*

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि सबसे पहले बनाये जाने वाला बालमन्दिर भगवान् रामलला के प्रति हम करोडों रामभक्तों की आस्था की महिमा को प्रदर्शित करेगा । अतः उसे शीशम, सागौन नहीं अपितु दिव्य चन्दन की लकड़ी से निर्मित किया जायेगा और ख़ालिस सोने से मण्डित किया जायेगा ।

*पहली जरूरत भगवान् को तिरपाल से मुक्त करना*

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि पहली आवश्यकता भगवान् रामलला के ऊपर से तिरपाल हटाना और उनकी गरिमा के अनुरूप शिखर स्थापित करना है । क्योंकि हम छत के नीचे हों और हमारे आराध्य तिरपाल में यह पीडादायक है । जब तक न्यायालय के आदेश की बाध्यता थी तब तक बात अलग थी । पर अब यह शीघ्र होना चाहिए ।

*मन्दिर जनता के पवित्र पैसे से ही*

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि अयोध्या में कठिनाई से मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है । इसलिये दुनिया का सर्वोत्तम मन्दिर बनाना हमारा लक्ष्य है । जिसमें पर्याप्त धन की आवश्यकता होगी । पर हमारा यह स्पष्ट मत है कि मन्दिर के निर्माण में सरकारी एक रूपया भी नहीं लिया जायेगा । क्योंकि सरकारी पैसे में टैक्स, दण्ड और गौमांस आदि का पैसा भी मिला हुआ है । भला गौमांस की बिक्री के पैसे से मन्दिर का निर्माण कौन रामभक्त स्वीकार करेगा ?

*शरीर का आभूषण तो कुछ लोग देखते*
*मन्दिर में लगेगा तो सारा संसार देखेगा*

महाराज श्री ने जनता का आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति-भक्ति के अनुसार स्वर्ण बालराम मन्दिर के लिये सोना समर्पित करें । शरीर पर धारण किये सोने के आभूषणों को तो कुछ परिजन ही देख पाते हैं । मन्दिर में लगे सोने को पूरी दुनिया देखेगी और समस्त सनातनी जनता के गौरव का सम्वर्धन होगा।

*हमें अधिकार । हमारा रामालय न्यास विधिसम्मत व पंजीकृत*

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि चारों शंकराचार्यों, पांच वैष्णवाचार्यों तथा तेरह अखाड़ों द्वारा अयोध्या की श्रीरामजन्मभूमि में मन्दिर निर्माण हेतु विधिसम्मत रामालय न्यास पंजीकृत है । हमने केन्द्र सरकार को सूचित भी कर दिया है कि हम मन्दिर निर्माण के लिये सक्षम भी हैं और तैयार भी । केन्द्र सरकार निश्चित रूप से रामालय न्यास को यह अवसर देगा । अतः हम अपना कार्य उसी रूप में आरम्भ कर रहे हैं ।

*इस मुहिम के लिये अविमुक्तेश्वरानन्दः नियुक्त*

पूज्य शंकराचार्य जी ने पूरे देश में रामालय समितियों के गठन, स्वर्ण संग्रह और न्यासकार्यों को आगे बढ़ाने के लिये रामालय न्यास के सचिव स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती को अधिकृत किया ।

दान सत्पात्र को देना चाहिए
भगवान् से बड़ा कौन सत्पात्र?

पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि सत्पात्र को दिया दान ही शोभायमान होता है । भगवान् राम से बढकर सत्पात्र और कौन हो सकता है? त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये की भावना से मन्दिर निर्माण के लिये दान देने की समस्त सनातनी जनता को प्रेरित किया है ।

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