छत्तीसगढ़

कवर्धा का स्वास्थ्य विभाग फर्जीवाड़ा करने, दोषियों को संरक्षण देने के लिए सुर्खियों में

कवर्धा का स्वास्थ्य विभाग फर्जीवाड़ा करने, दोषियों को संरक्षण देने के लिए सुर्खियों में।
कवर्धा :- जिले का स्वास्थ्य विभाग नए नए फर्जीवाड़ा करने के लिए तो मशहूर है ही लेकिन दोषियों को संरक्षण देकर बचाने में भी सुर्खियां बटोर रही है। जिले के स्वास्थ्य विभाग मेडिकल फर्जीवाड़ा। और विकलांग सर्टिफिकेट फर्जीवाड़ा। के लिए चर्चा में है।
अंधेर नगरी चौपट राजा जिसका हुआ फर्जी हस्ताक्षर उसी को बताया दोषी। जी हां ये अटपटा जरूर लग रहा है पर सत्य यही है। वर्ष 2021 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान कलर ब्लाइंड से अनफिट नव आरक्षकों को नेत्र सहायक अधिकारी मनीष जॉय के फर्जी हस्ताक्षर करके फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र दिया गया। मनीष जॉय ने विभागीय अधिकारियों व पुलिस को शिकायत किया। स्वास्थ्य विभाग ने अपने प्राथमिक जांच में मनीष जॉय को ही दोषी ठहरा दिया। और निलंबित कर दिया। स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही में सवाल खड़े होना लाजिमी है। आखिर मनीष जॉय का फर्जी हस्ताक्षर किसने किया ? या यूं कहें किसको बचाने के लिए मनीष जॉय को बलि का बकरा बनाया गया।
फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट मामला
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने लिपकि अजय कुमार देवांगन के ऊपर फर्जी श्रवण बाधित दिव्यांग सर्टिफिकेट के अधर पर नौकरी करने का आरोप लगाया है। दिव्यांग संघ ने अजय कुमार देवांगन के दिव्यांगता का राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच करानेविकलांग मामले में वास्तविक विकलांग संघ के द्वारा लगातार प्रदेश सहित जिले के फर्जी विकलांग के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे दोषियों को अब तक किसी प्रकार का विभागीय जांच समिति की उपस्थिति मे उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार राज्य मेडिकल बोर्ड में जांच नहीं कराया गया बल्कि सम्बंधित कर्मचारी को बचाव करते हुए बिना उपस्थिति के वेतन देने का आरोप भी लग गया। विकलांग कोटे के कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ रहा हैं । वहीं फर्जी विकलांग कर्मचारी पदोन्नति पे पदोन्नति ले रहे हैं। इनकी विकलांगता की जांच राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराना है लेकिन सीएमएचओ की उदासीनता या संरक्षण कहे। विभागीय जाँच टीम के साथ अभी तक जॉच के लिए नहीं भेजा गया है। जिन्हें अब तक बर्खास्त कर के पुलिस में FIR दर्ज करा देना था उन्हें अब तक किस बात का संरक्षण मिल रहा है ये तो समझ आ रहा है। कहीं अधिकारी बिक तो नहीं गए ? स्वास्थ्य विभाग मे सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 अजय देवांगन की फर्जी श्रवण बाधित का फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र की शिकायत हुई है। जिसमें स्पष्ट समझ आता है कि अजय जांजगीर जिला का निवासी है जो कि बिलासपुर जिले से प्रमाण पत्र बनवाया वह भी विवादित चिकित्सक डॉक्टर महाजन से जिसके द्वारा बनाए प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश है।मामलों को दबाने का पूरा प्रयास दिख रहा हैं। वहीं प्रदेश भर के वास्तविक विकलांग अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए सड़क पे संघर्ष कर रहे है लगाते धरना प्रदर्शन रैली निकाल रहे है। पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब देखना होगा कि अंधा कानून की तर्ज़ पर चल रहे विभाग की सुध विभागीय सचिव सहित संचालक करते है या नहीं? चूंकि सीएमएचओ या संयुक्त संचालक कोई ठोस कार्यवाही करते हुएं नहीं दिख रहे हैं।

*2021 का मेडिकल फर्जी वाडा जिसमें कलर ब्लाइंड को आरक्षकों को नेत्र सहायक अधिकारी का फर्जी लेख नॉर्मल लिखकर फर्जी हस्ताक्षर करने का शिकायत स्वयं नेत्र सहायक अधिकारी मनीष जॉय ने किया था। तत्कालीन कांग्रेस की सरकार में डॉक्टर प्रभाकर को राजेश मखीजानी का संरक्षण था।को प्रथमता दोषी मानते हुए प्रभाकर सहित लिपिक दीपक ठाकुर को स्थानांतरण के नाम पर दोनों को पदोन्नत कर स्थानांतरण की कार्यवाही बताया गया था जिसमें लिपिक को कवर्धा में सीएमएचओ कार्यालय में लेखपाल बना दिया गया वहीं डॉक्टर प्रभाकर को पेंड्रा का सीएमएचओ बना दिया गया। ना इनके खिलाफ कार्यवाही हुआ ना विभागीय जांच। प्राथमिक जॉच में ही दिशा और दशा को बदल दिया गया। मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप में 2023 में शिकायतकर्ता मनीष जॉय की एक असंचई वेतन वृद्धि रोकी गई जिसके खिलाफ अपील करने पर उल्टा निलंबित करने और विभागीय जांच का आदेश दे दिया गया। प्रमाण पत्र जारी करने वाले सिविल सर्जन के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं किया। दोषी बोर्ड के दोनों सदस्यों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया गया स्पष्ट है अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है।शिकायतकर्ता आज तक निलंबित है और गुनहगार खुले आम अधिकारी बन घूम रहे है।
अब देखना होगा कि फर्जीवाड़ा के वास्तविक दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही भाजपा की सरकार और गृहमंत्री के जिले से होगा

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