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#SarkarOnIBC24: मुर्शिदाबाद का सच आया सामने?.. SIT रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, ‘हिन्दू समुदाय था निशाने पर’.. शुरू हुई सियासी बयानबाजी..

SIT Report on Murshidabad Hinsa

SIT Report on Murshidabad Hinsa: कोलकाता: हाईकोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच समिति (SIT) ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कई गंभीर खुलासे हुए हैं, जो राज्य सरकार के दावों के उलट हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह हिंसा सुनियोजित थी और इसका मकसद खासतौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाना था।

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हिंसा 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद शुरू हुई, जिसका नेतृत्व स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने किया। उनके साथ हजारों लोग थे। हिंसा का मुख्य केंद्र बेदवना गांव था, जहां 113 घरों को या तो जला दिया गया या बुरी तरह तोड़फोड़ की गई, जिससे वे अब रहने लायक नहीं बचे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हिंसा के वक्त तृणमूल कांग्रेस के विधायक अमीरुल इस्लाम भी गांव में मौजूद थे। उन्होंने देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है, और फिर उन्हीं घरों को बाद में निशाना बनाया गया। इसके बावजूद विधायक ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया और मौके से चले गए।

SIT Report on Murshidabad Hinsa: सबसे चिंताजनक बात यह रही कि हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय रही। पीड़ितों ने मदद के लिए कई बार कॉल किए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमलावरों ने सिर्फ घरों को जलाया ही नहीं, बल्कि दुकानों, मॉल और अन्य संपत्तियों को भी लूटकर नष्ट कर दिया। उन्होंने आग बुझाने के लिए पानी की आपूर्ति भी काट दी ताकि लोग कुछ भी न कर सकें।

हिंसा से डरकर कई महिलाओं ने अपने घर छोड़ दिए और रिश्तेदारों के यहां शरण ली। जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अधिकतर हमलावर आसपास के ही गांवों जैसे शमशेरगंज, हिजालताला, शिउलिताला और डिगरी से थे और चेहरा ढंककर आए थे।

SIT Report on Murshidabad Hinsa: इस हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई थी और बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हो गए। SIT की इस रिपोर्ट के आने के बाद राज्य की सियासत भी गरमा गई है। बीजेपी ने ममता सरकार पर सीधा हमला करते हुए आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट उनकी “हिंदू विरोधी” नीति को उजागर करती है। वहीं कांग्रेस की प्रतिक्रिया तुलनात्मक रूप से संतुलित रही।

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इस रिपोर्ट ने राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा महज उन्मादी भीड़ का हमला नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी।

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