CG Ki Baat: सरकार की तारीफ..कांग्रेस को तकलीफ! क्या अच्छे काम की तारीफ करना स्वच्छ राजनीति का पर्याय नहीं है? देखिए रिपोर्ट

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर है। रह-रहकर विपक्ष के नेता भी इसे भांपकर, सरकार को समर्थन जताते हैं। प्रदेश के गृहमंत्री और डिप्टी CM विजय शर्मा ने नक्सलवाद के खिलाफ, सरकार का समर्थन जताने वाले बयान देने पर, कांग्रेस नेताओं को फोन कर उनकी सराहना की, लेकिन तारीफों का ये दौर, छत्तीसगढ़ कांग्रेस इकाई में हलचल बढ़ा रहा है। अपने सीनियर नेताओं के मुंह से सरकार की तारीफ पर PCC चीफ दीपक बैज ने अब गृहमंत्री को सीधे उन्हें फोन करने की चुनौती दे डाली है।
छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में विपक्षी नेताओं ने, सत्तापक्ष की खुलकर तारीफ की जिसपर सियासी गलियारे में एक नई बहस छिड़ गई है। दरअसल, 2023 में साय सरकार बनने के बाद से, केंद्रीय गृहमंत्री ने प्रदेश सरकार के साथ मिलकर, प्राथमिकता से पूरी ताकत लगाकर एंटी नक्सल ऑपरेशन छेड़ दिया। अकेले 2025 में ही 300 से ज्यादा नक्सिलों को ढेर किया गया, सैंकड़ों गिरफ्तार हुए, उससे अधिक ने सरेंडर किया।
इस ताबड़तोड़ एक्शन और नतीजे पर विपक्षी नेताओं ने साय सरकार का समर्थन करते हुए वक्त-वक्त पर तारीफ कर दी। पूर्व डिप्टी CM टीएस सिंहदेव ने नक्सिलयों को रावण बताते हुए बीजेपी सरकार को राम की तरह बताया, फिर वरिष्ठ कांग्रेसी सुरेंद्र शर्मा ने गृहमंत्री विजय शर्मा से फोन पर बात कर नक्सल मोर्चे पर कामयाबी की तारीफ की और अब पूर्व PCC चीफ धनेंद्र साहू ने भी गृहमंत्री ने नक्सल मोर्चे पर सरकार के एक्शन को सराहा है। धनेंद्र साहू ने कहा, सच्चाई को हमें बोलना ही होगा, उन्होंने नक्सलियों पर जारी कार्रवाई को जायज बताया। जिस पर गृहमंत्री ने प्रदेशहित की राजनीति करने के लिए कांग्रेसी नेताओं का अभिनंदन किया। गृहमंत्री विजय शर्मा ने दावा किया कि भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव भी नक्सलवाद पर सरकार के साथ हैं, लेकिन ये समर्थन, ये तारीफ पीसीसी चीफ दीपक बैज को रास नहीं आई है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कभी डिप्टी सीएम विजय शर्मा उन्हें भी कॉल करें तो वो सरकार के कामों की हकीकत बताएंगे।
साफ है कि छत्तीसगढ़ में पिछले कई दशकों से जारी नक्सलवाद का अंत दिखने लगा है। खुलकर स्वीकार करें ना करें लेकिन विपक्ष के नेता भी मान चले हैं कि, नक्सलवाद पर सरकार की नीति और एंटी नक्सल ऑपरेशन सही दिशा में हैं, लेकिन क्या इसे सीधे-सीधे स्वीकारना, कांग्रेस की ऑफिशियल लाइन से अलग जाना है। क्या इससे पार्टी को कोई नुकसान होगा?