धार्मिक नगरी रतनपुर में स्थित पवित्र महामाया मंदिर के कुंड में 23 संरक्षित कछुओं की दर्दनाक मौत।

धार्मिक नगरी रतनपुर में स्थित पवित्र महामाया मंदिर के कुंड में 23 संरक्षित कछुओं की दर्दनाक मौत।
बिलासपुर। धार्मिक नगरी रतनपुर में स्थित पवित्र महामाया मंदिर के कुंड में 23 संरक्षित कछुओं की दर्दनाक मौत से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई है। इस घटना के बाद लोगों में भारी गुस्सा है और रविवार को रतनपुर में स्वतःस्फूर्त बंद रहा। रतनपुर न्याय मंच के आह्वान पर हुए इस बंद को आम लोगों का भरपूर समर्थन मिला, जिन्होंने अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रखकर इस दुखद पर्यावरणीय घटना पर गहरा दुख और जिम्मेदार व्यवस्था के प्रति नाराजगी जताई। यह एक तीर्थ स्थान पर हुई अविश्वसनीय घटना है, जिसने लोगों की आस्था को भी हिलाकर रख दिया है।
लोगों का साफ कहना है कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि महामाया मंदिर ट्रस्ट की घोर लापरवाही और खराब व्यवस्था का नतीजा है। गुस्से में आए नागरिकों ने रविवार को महामाया कुंड के किनारे इकट्ठा होकर मानव श्रृंखला बनाई और उन बेजुबान जीवों को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी, जो कभी इस पवित्र कुंड की शोभा हुआ करते थे। लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि हर साल करोड़ों की आमदनी होने के बावजूद मंदिर ट्रस्ट न तो कुंड की देखभाल पर ठीक से ध्यान देता है और न ही स्थानीय जरूरतों से कोई सरोकार रखता है। ऐसा लगता है कि कमाई कहीं और हो रही है और जिम्मेदारी किसी और की है।
आरोप है कि ट्रस्ट का कामकाज शुरू से ही सवालों के घेरे में रहा है और बाहरी लोगों के दखल ने मंदिर के इंतजाम में भारी गड़बड़ी पैदा कर दी है। यह बात भी सामने आई है कि वर्तमान ट्रस्ट के 21 सदस्यों में से सिर्फ 3 सदस्य ही रतनपुर के रहने वाले हैं, जो स्थानीय लोगों की अनदेखी को दिखाता है। शहरवासियों का दुख है कि ट्रस्ट ने आज तक रतनपुर के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य या किसी भी जरूरी काम में कोई खास योगदान नहीं दिया है। गज किला में हुई बैठक में लोगों ने इसी अनदेखी के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया था।
रविवार को बंद के साथ ही लोगों ने अपनी मांगों को और मजबूती से दोहराया। मुख्य मांग यह है कि ट्रस्ट को तुरंत भंग करके एक नई और पारदर्शी समिति बनाई जाए, जिसमें स्थानीय नागरिकों को सही प्रतिनिधित्व मिले ताकि मंदिर की व्यवस्था और विकास में स्थानीय लोगों की भावनाएं भी शामिल हों।