बेटे को फौजी की वर्दी में देखना, ताकि वह भारत माता की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात हो
सबका संदेस न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- यह संघर्षगाथा है एक ऐसी मां की, जो दोनों पैरों से दिव्यांग है, मगर किसी पर बोझ नहीं। सपना सिर्फ एक, बेटे को फौजी की वर्दी में देखना, ताकि वह भारत माता की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात हो। उस दिन को देखने के लिए यह मां जो संघर्ष कर रही है, वह दूसरे ऐसे तमाम लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो दिव्यांगता को ओढ़कर जिंदगी को कोसते रहते हैं।राजधानी रायपुर से 10 किलोमीटर दूर सेजबहार इलाके में रहने वाली अंजलि तिवारी बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। शादी हुई, तब तक पति ठीक थे, लेकिन अचानक उन्हें बीमारी ने घेरना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पति के लिवर ने 80फीसद काम करना बंद कर दिया। इसी के चलते उनका काम पर जाना भी बंद हो गया, अब वे घर पर ही रहते हैं। उनकी दवा में ही हजारों रुपये महीने खर्च होने लगे। अंजलि की जिंदगी ने यहीं से करवट बदली और उन्होंने ऑटो की स्टेयरिंग थामी, जो अब रफ्तार पकड़ चुका है।
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