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NindakNiyre: क्या मोदी 75 साल के होते ही छोड़ेंगे पद,  क्या  सोचता है देश, क्या कहता है नियम, क्या होगा देश के लिए सही?

Barun Sakhajee

बरुण सखाजी श्रीवास्तव, राजनीतिक विश्लेषक

 

पिछले आर्टिकल https://sakhajee.blogspot.com/2025/03/nindakniyre-75.html में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चल रहे विमर्श पर बात की थी। आज के आलेख में भाजपा के 75 साल वाले एजबार पर बात करेंगे और अगला आर्टिकल भाजपा में मोदी-शाह के बाद अगली जोड़ी किसकी? फिलहाल इस आलेख में मैं भाजपा के 75 साल एजबार रूल पर बात करूंगा। मोदी केबिनेट में सबसे उम्रदराज भाजपाई मंत्री राव इंद्रजीत हैं, जिनकी उम्र 74 वर्ष है। इनके अलावा जीतनराम मांझी 80 वर्ष के हैं, लेकिन मांझी भाजपाई नहीं। इस वर्ष सितंबर में मोदी स्वयं ही 75 वर्ष के होने जा रहे हैं। देश के मन में यह बात है कि मोदी का बनाया 75 साल का एजबार क्या मोदी स्वयं पर भी लागू होगा?

यह प्रश्न बेहद संवेदनशील और रणनीतिक है!

संवेदनशील इस मामले में, क्योंकि भाजपा के पास एक मजबूत, अतिलोकप्रिय और चमत्कारी चेहरा मोदी है। भाजपा और संघ अपने वैचारिक राष्ट्रवाद को व्यवहार में उतार रहे हैं। विभिन्न संस्थाओं में बैक्टिरिया-वायरस की तरह फैले वाम जंजाल को साफ किया जा रहा है। देश को खोखला बनाने वाले इस तरह के विध्वंशकों के नेटवर्क को तोड़ा जा रहा है। तब अगर यह लोकप्रिय चेहरा एजबार रूल के चलते मैदान से हटता है तो यह देश और राजनीतिक दल भाजपा को भारी क्षति होगी। इसलिए यह अति संवेदनशील मसला है। https://www.ibc24.in/blog/nindakniyre-who-will-be-new-president-of-bjp-2983452.html

रणनीतिक इस मामले में क्योंकि कांग्रेस या अन्य विपक्षियों के लिए चट्टान बनकर खड़े मोदी को चुनावों के जरिए रास्ते से हटाना असंभव है। ऐसे में 2025 में मोदी की आयु 75 साल होने जा रही है, तो यह विपक्षियों के लिए एक अवसर है जब मोदी अपने ही बनाए एजबार के नियम को मानें। कांग्रेस या विपक्ष के लिए यह एक वॉकओवर जैसा होगा। जबकि भाजपा ऐसे किसी वॉकओवर में न विश्वास करती न यह देश के लिए ही ठीक रहेगा।

पहले बात नियम की

इस नियम के तहत अनेक पच्छतर पारियों को पार्टी ने चुनावी सियासत से दूर कर दिया है। सिर्फ चुनावी सियासत ही नहीं बल्कि किसी पद से भी उन्हें मुक्त करते हुए मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया है। ऐसे में स्वयं मोदी के ऊपर यह एक नैतिक दबाव है।

अब बात कि क्या मोदी को ऐसा करना चाहिए!

भारत जब मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक मन-मानस को लेकर चल रहा है। जब भारत दुनिया में अपनी धाक जमा रहा है। जब भारत में 30 सालों की अस्थिरता को खत्म करके एक स्थिर और मजबूत सरकार काम कर रही है। जब विभिन्न राज्यों में एक राष्ट्र का भाव जाग रहा है। जब कुछ आंतरिक मोर्चों पर लेफ्ट विध्वंशकों का प्रभाव खत्म हो रहा है। तब मोदी का पद छोड़ना भयानक सिद्ध हो सकता है। यद्यपि प्रकृति का नियम है, कोई भी स्थायी नहीं होता। लेकिन फिलहाल एक विकल्प है कि यहां मोदी कंटीन्यू रहें तो उन्हें रहना चाहिए। चूंकि देश ने मोदी को बतौर प्रधानमंत्री चुनाव है और 2029 तक के लिए चुना है। ऐसे में 75 का एजबार यहां अप्लाइ नहीं होना चाहिए। मेरे हिसाब से मोदी को ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे बड़ा नुकसान है।

तो क्या मोदी 75 एजबार का उल्लंघन करेंगे?

इसका जवाब बहुत साफ है। यह कोई पार्टी के संविधान का हिस्सा नहीं है। न ही यह कोई ऐसी लोहे की लकीर है, जिसे पार नहीं किया जा सकता। यह एक तरह से नई राजनीतिक पौध को विकसित करने की टेक्निक है। देशभर में नए-नए चेहरों को उतारा गया। मौके मिले। सफल लोगों को आगे बढ़ने का रास्ता मिला। पुराने लोगों में भी नई ऊर्जा आई। तो यह नियम या परंपरा अपने मकसद में कामयाब रही है। मोदी पर भी यह लागू होती है, किंतु उन्हें 75 वर्ष का होते ही अपने नंबर-2 को राजनीतिक रूप से स्पष्ट दिखाना शुरू करना चाहिए। लेकिन इन नियम के चक्कर में देश को संकट में नहीं डालना चाहिए।

संघ, भाजपा संगठन और लोग क्या सोचते हैं?

संघ कालजयी संस्था है। वह न तो व्यक्ति से न समय से न एक घटक से बंधता है। संघ सतत क्रियाशीलता और प्रकृतिवाद का नाम है। जाहिर है इसलिए संघ की ओर से मोदी के बाद कौन पर पर्याप्त चर्चा और तैयारी शुरू हो चुकी है। मोदी के रहते ही कोई आ जाए यह भी तय हो गया है। क्योंकि एबसेंस ऑफ मोदी एक वैक्यूम क्रिएट करेगा। इससे चुनावी नतीजों पर भारी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका रहेगी। इसलिए संघ एक पेशेवर संस्था और सोच के साथ इस विचार पर विचार कर रहा है। रही बात भाजपा संगठन की तो यह इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से पता चल जाएगा। भाजपा संगठन चुनावी रणनीति के हिसाब से ही सोचेगा। चुनावी लिहाज से मोदी का कोई रिप्लेसमेंट मिले या न मिले, लेकिन मोदी को अभी पटल से हटाना भारी नुकसानदायक है। रही बात लोगों के सोचने की तो वे अभी मोदी के बाद कौन में स्पष्ट भले न हों, लेकिन योगी को मोदी से आगे का नेता जरूर मानने लगे हैं।

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