Vishnu ka Sushasan: नक्सलगढ़ में लोकतंत्र की जीत.. साय सरकार के प्रयासों से बस्तर में लौट रही खुशहाली, भय और आंतक हुआ दूर
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रायपुर: सुशासन और सर्वांगीण विकास के सपने को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ सरकार लगातार बड़े फैसले ले रही है। यही वजह है कि प्रदेश में अब एक अलग तरह की खुशहाली देखने को मिल रही है। विष्णुदेव साय सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार के साथ मिलकर बस्तर के विकास के लिए भी बड़े सपने संजोए थे, जो अब साकार हो रहे हैं। बस्तर को नक्सल मुक्त करने और विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम साय सरकार पूरा कर रही है।
विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की घोषणा की थी। केंद्र के दोनों ही नेताओं ने ये तय कर दिया था कि मार्च 2026 तक प्रदेश से नक्सलवाद को खत्म कर देंगे। इसके बाद से अब बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के लिए लगाकार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। जवानों ने अलग-अलग मुठभेड़ों में इस साल 90 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया है। ये 2024 आंकड़ा पिछले साल 239 था। साल 2024 में जवानों ने 1033 नक्सलियों को गिरफ्तार किया, जबकि 925 ने आत्मसमर्पण किया था। लगातार कार्रवाई के बाद नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं और बस्तर में शांति और सदभाव का वातावरण निर्मित हो रहा है।
सड़क मार्ग से पहुंची बोर्ड परीक्षा की गोपनीय सामग्री
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापना और सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती का एक और सकारात्मक पहलू देखने को मिला है। जहां पहले नक्सली खतरे के कारण जगरगुंडा जैसे अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों में हेलीकॉप्टर के माध्यम से बोर्ड परीक्षा की गोपनीय सामग्री भेजी जाती थी, वहीं इस बार पहली बार सड़क मार्ग से यह सामग्री सुरक्षित रूप से पहुँचाई गई। सड़क मार्ग से परीक्षा सामग्री की सुरक्षित आपूर्ति सिर्फ एक प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि यह बस्तर में बढ़ती सुरक्षा और शांति की झलक है। यह सिर्फ परीक्षा सामग्री पहुँचने की बात नहीं, बल्कि बस्तर अंचल में सुरक्षा और विश्वास की एक नई सुबह की दस्तक है।
नक्सलगढ़ में लोकतंत्र की जीत
सुकमा का कोंटा इलाका बेहद नक्सल प्रभावित इलाका है। यहां का पूवर्ती गांव मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा का गांव है। कई अरसे तक यहां पहुंच पाना शासन के लिए भी चुनौती थी। अब यह चुनौती खत्म हो चुकी है। नक्सली हिड़मा के गांव में फोर्स ने कैंप खोला और उसके बाद से वहां विकास कार्य पहुंच रहा है। अब तो वहां चुनाव के दौरान वोटिंग भी हो रही है। आजादी के सात दशक बाद पूवर्ती गांव में 23 फरवरी को वोटिंग हुई है।सुदूर माओवाद प्रभावित इलाकों में पेंटाचिमली, केरलापेंदा, दुलेड़, सुन्नमगुड़ा और पूवर्ती जैसे सुदूर क्षेत्र के मतदाता निर्भीक होकर वोटिंग करते नजर आए।
26 गांवों में पहली बार लहराया तिरंगा
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित नक्सल उन्मूलन अभियान ने बस्तर संभाग में सुरक्षा और विकास की नई कहानी लिखी है। इस अभियान के अंतर्गत बस्तर के अंदरूनी और सुदूर इलाकों में सुरक्षा केंद्र स्थापित कर शांति बहाल की गई है। इन गांवों में कभी नक्सलियों का प्रभाव इतना गहरा था कि लोग राष्ट्रीय पर्व तो दूर, सामान्य जीवन भी भय के साए में जीने को मजबूर थे। अब, नक्सल उन्मूलनअभियान के प्रयासों से वहां न केवल शांति स्थापित हुई है, बल्कि स्थानीय लोगों में एक नई उम्मीद जगी है। गौरतलब है कि बीते एक वर्ष में छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कुल 26 नए सुरक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन सुरक्षा केंद्रों ने न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि इन क्षेत्रों को विकास केंद्र का स्वरूप दिया है। बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर जिलों के इन गांवों में ग्रामीणों ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और पूरे उत्साह से इस पर्व में भाग लिया। गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन सुरक्षा केंद्रों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस दौरान गणतंत्र दिवस के महत्व पर चर्चा की गई और लोगों को मिठाइयां, बच्चों को चॉकलेट और अन्य सामग्री वितरित की गई।
53 हजार से अधिक जवान तैनात
राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की लगभग 53 बटालियन तैनात हैं, जिसमें 53 हजार से अधिक जवान लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चला रहे हैं। इन बलों को आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस किया गया है, जिससे उनकी कार्यक्षमता और बढ़ेगी। सरकार ने साल 2026 तक नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए सुरक्षा बलों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है और उन्हें अधिक संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं।