छत्तीसगढ़

कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको ने बताया फसल को पाले से बचाने के उपाय

कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको ने बताया फसल को पाले से बचाने के उपाय

मुंगेलीसबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़- कृषि विज्ञान केन्द्र, मुंगेली के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा़ॅ. आर.एल. शर्मा ने बताया कि आसमान साफ रहने, तापमान अधिक गिरने, हवा नही चलने पर पाला पड़ने की आशंका अधिक रहती है। तापमान कम होने के साथ ही जैसे ही ठंड बढ़ती है और तापमान 10 डिग्री से कम होने लगता है वैसे ही पाला पड़ना शुरू हो जाता है। इसे देखते हुए किसानों को सरसो, टमाटर, बैगंन, चना अन्य फसलो को पाले से बचाव के लिए खेत के उत्तर-पूर्व दिशा में रात को 10-12 बजे के बीच कुछ स्थानों में कचरा, कूडा़ जलाएं एवं धुआं करें। किसान फसल की निराई करने के बाद उसे खेत के पास ही सूखने के लिए छोड़ दें। जब वो सूख जाए तो उन्हें जलाकर धुआं करें। सुविधा हो तो फसल में सिंचाई करें। उन्होने बताया कि सरसो की फसल में बुआई के समय जिप्सम का प्रयोग करने से पाले का असर कम होता है। इसी तरह कृषि वैज्ञानिक श्री सत्येन्द्र पाटले ने भी बताया कि फसलो को पाले से बचाव के लिए थायो यूरिया 0.5 ग्राम या 2 ग्राम घुलनशील सल्फर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे फसल को पाले से कुछ दिन बचाया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर पुनः छिड़काव करें। खेत के दोनो किनारो से प्लास्टिक की रस्सी लेकर ओस को झड़ा दिया जाए तो भी फसल को पाले से बचाया जा सकता है।

 

 

 

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