छत्तीसगढ़

पत्रकारिता महाविद्यालय के छात्र नैमिष अग्रवाल के साथ मारपीट व लूटपाट भी, बयान के बाद भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया लूटपाट का मामला

पत्रकारिता महाविद्यालय के छात्र नैमिष अग्रवाल के साथ मारपीट व लूटपाट भी, बयान के बाद भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया लूटपाट का मामला

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ देवेंद्र गोरले-डोंगरगढ- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता महाविद्यालय के छात्र नैमिष अग्रवाल के साथ असमाजिक तत्वों ने मारपीट व लूटपाट की घटना को अंजाम दिया। प्राथी के बयान के बाद भी पुलिस ने दर्ज नहीं किया लूटपाट का मामला।

मारपीट व लूटपाट भी- 2 मार्च सोमवार की रात लगभग साढ़े 10 बजे हाईस्कूल चौक मान होटल के सामने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता महाविद्यालय के छात्र नैमिष अग्रवाल के साथ डोंगरगढ के ही असामाजिक तत्वों ने मारपीट की व उनका मोबाईल, नगदी रकम व एक चांदी की चैन भी लूट ली।घटना के बाद आरोपी फरार हो गए और नैमिष अग्रवाल को घायल अवस्था में स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां पर प्राथमिक उपचार कर डॉक्टरी मुलायजा किया गया। घायल प्रार्थी ने पुलिस को अपना बयान देते हुए बताया कि लगभग छः से 7 की संख्या में आरोपियों ने गलत साईड से गाड़ी चलाने को लेकर विवाद किया और नशे में धुत्त सभी आरोपियों ने उनसे हाथापाई शुरू कर दी। इसी बीच उनमे से ही किसी ने उनका मोबाईल, नगदी रकम व चांदी की चैन छीन ली और सभी फरार हो गए। सभी आरोपियों में से चार की शिनाख्त हो पाई है जिसमें मिंटी उर्फ मनीष चक्रवर्ती, पाले खान, कलीम खान व लेखराम सोनी शामिल है। चार में से दो ही आरोपियों लेखराम सोनी व मिंटी चक्रवर्ती की आज गिरफ्तार तो किया पर लूट की घटना अभी सिद्ध नहीं हुई है कहते हुए राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें छोड़ दिया गया। दो मुख्य आरोपी अभी भी बेखोफ घूम रहे हैं जिससे अन्य आरोपियों के भी हौसले बुलंद हो रहे हैं।

बयान के बाद भी दर्ज नहीं किया लूट का मामला- हैरानी की बात तो यह है कि प्रार्थी नैमिष अग्रवाल ने पुलिस को अपना बयान देते हुए बताया था कि आरोपियों के द्वारा उनके साथ मारपीट के साथ साथ लूट की घटना को भी अंजाम दिया है उसके बावजूद विवेचक जयमल उइके के द्वारा एफआईआर में लूट की घटना दर्ज नहीं की गई बल्कि राजनीतिक दबाव के चलते आरोपियों को बचाने के लिए मोबाईल व अन्य सामान गिर गया दर्ज किया गया है जो कहीं ना कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती।

पत्रकार सुरक्षा कानून केवल भाषणों में-
पत्रकार सुरक्षा कानून का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के शासन काल में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस ओर ध्यानाकर्षण कराया गया है लेकिन उसके बावजूद आज लगभग दो वर्ष बीतने के बाद भी केवल नेताओं के भाषण में ही पत्रकार सुरक्षा कानून की बात की जाती हैं लेकिन धरातल में कहीं भी इस गंभीर समस्या के लिए कोई भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है। लगातार पत्रकारों पर हमले व उन्हें झूठे मामलों में फसाने की घटनाएं अनवरत जारी है। जब देश का चौथा स्तंभ कहलाने वाला पत्रकार ही सुरक्षित नहीं है तो आम जनता की आवाज को शासन प्रशासन तक कैसे पहुंचाया जाएगा इसका अर्थ तो यह है कि कहीं ना कहीं जनता की आवाज को दबाने का षड्यंत्र बड़े पैमाने पर रचा जा रहा है। क्योंकि जिस तरह से मारपीट व लूटपाट के आरोपी को बिना किसी गिरफ्तारी के छोड़ दिया गया यह दर्शाता है कि डोंगरगढ में राजनीति किस कदर हावी है जहां पर पत्रकारों की जान माल की कोई अहमियत नहीं है।

 

 

 

 

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