Kharmas 2024: कब से हो रही है खरमास की शुरुआत, इस समय क्यों लग जाती है शुभ कार्य पर रोक? जानें क्या है इसकी वजह

Kharmas 2024: हिंदू धर्म में वैसे तो साल के 12 महीने हर दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा, व्रत, त्योहार, पूर्णिमा आदि मनाए जाते हैं। वहीं खरमास हिंदू धर्म में ऐसा समय होता है जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं। यह घटना हर साल दो बार होती है। खरमास को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना गया है, इसलिए इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे अन्य शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। बता दें कि, इस साल खरमास 15 दिसंबर 2024 से आरंभ हो रहा है, इस दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। खरमास में तुलसी पूजा, सूर्य को अर्घ्य और विष्णु जी की उपासना करने का विधान है।
कब-कब लगता है खरमास
साल में दो बार खरमास लगते हैं। पहला खरमास तब लगता है जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं। यह अवधि मार्च-अप्रैल में होती है। इसके बाद खरमास दिसंबर-जनवरी में लगता है, इस दौरान गुरु की राशि धनु में होते हैं।
क्या है इसका महत्व
खरमास के दौरान पूजा-पाठ को अत्यधिक शुभ माना गया है। इस समय नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है और इसे शांत करने के लिए पूजा और विशेष कर्मकांड आवश्यक होते हैं। तुलसी पूजा इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, तुलसी को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। तुलसी की नियमित पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार पर आने वाले संकटों दूर हो जाते हैं।
खरमास में तुलसी का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना गया है। तुलसी पूजा से घर और परिवार वालों पर आने वाले संकटों का नाश हो जाता है। खरमास के समय नकारात्मकता ऊर्जा अधिक सक्रीय रहती है। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करने के लिए तुलसी पूजा सबसे सरल और अचूक समाधान है। खरमास में तुलसी में जल चढ़ाना और शाम को दीपक लगाने से दोषों से मुक्ति मिलता है ।
क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, या अन्य शुभ कार्यों को करने की इस दौरान मनाही होती है। खरमास के दौरान जब सूर्य कमजोर होता है, तब प्रकृति में शुभता कम हो जाती है। इसलिए शुभ-मांगलिक कार्यों का भी अच्छा प्रभाव आपको नहीं मिल पाता।