छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा में 100 से ज्यादा सरकारी इमारतों पर लिखे हैं नक्सली नारे, मिटाने वाले को हाथ काटने की धमकी

दंतेवाड़ा सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़-  गृहमंत्री अमित शाह ने झारखंड में एक चुनावी सभा के दौरान कहा कि मोदी सरकार ने नक्सलवादियों को 20 फुट जमीन के नीचे दबाने का काम किया। हालांकि, गृहमंत्री के दावे के उलट झारखंड से सटे छतीसगढ़ की तस्वीर दूसरी है। यहां नक्सलवाद से प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में 40 से ज्यादा गांवों की 100 से ज्यादा सरकारी इमारत नक्सली नारों से पटी पड़ी हैं। कुआकोंडा के इलाके की स्कूल में लिखे नक्सली नारों को मिटाने पर नक्सलियों ने एक शिक्षक की पिटाई की थी।

स्कूल, सरकारी कार्यालय, आश्रम की दीवारों पर सरकार और लोकतंत्र विरोध के नारे लिखे हैं। इनमें करीब 20 स्कूल व आश्रम हैं। इन नारों में चुनाव बहिष्कार, जनयुद्ध करने की बात कही गई है। यानी इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के दिन की शुरुआत नक्सली नारों के साथ होती है। नक्सलियों का खौफ इस कदर है कि इन नारों को मिटाने की हिम्मत कोई नहीं करता है। क्योंकि ऐसा करने वालों का हाथ काटने की नक्सलियों ने धमकी दे रखी है।

अफसर भी साफ नहीं करा पाए दीवारों पर लिखे नारे

दंतेवाड़ा के कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा कहते हैं कि जिले के अंदरूनी गांवों के कई सरकारी भवनों में नक्सलियों ने नारे लिखे हैं। संबंधित ग्राम पंचायत से उसे मिटाने की बात कही गई थी। नक्सली भय के कारण कोई इसे मिटाने को तैयार नहीं होता। वहीं, डीईओ राजेश कर्मा ने बताया कि नक्सली शिक्षकों की पिटाई कर चुके हैं। हाथ काटने की भी धमकी दे रखी है। एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि 40-50 गांवों के सरकारी भवनों में नक्सली नारे लिखे हुए हैं। उस इलाके के आसपास जो भी सुरक्षा बलों के कैम्प हैं, उनसे कहा जाएगा कि नारों को मिटाया जाए। एक हफ्ते के अंदर यह काम पूरा कर लिया जाएगा।

 

नक्सलियों ने विधानसभा व लोकसभा चुनावों के वक्त सबसे ज़्यादा सरकारी भवनों को नारों से रंगा था। उन भवनों में भी नारों को लिखा जिनमें पोलिंग बूथ बनाया गया था। हालांकि, कुछ गांवों में पुलिस जवानों ने नारे मिटाए हैं। धनीकरका, गदापाल के भवनों में लिखे नारों को मिटाया गया है। लेकिन आज भी कई जगह ये लिखे हुए ही हैं।

इन गांवों में लिखे हुए हैं नारे

इस इलाके में नक्सली मौजूदगी व दहशत का सबूत हैं। इसके साथ ही, तुमरीगुंडा, चेरपाल, हांदावाड़ा, मंगनार, कौशलनार, कोडनार, पाहुरनार, कौरगांव, किरंदुल इलाके के पिरनार, गुमियापाल, कलेपाल, चोलनार सहित ऐसे कई अंदरूनी गांवों के सरकारी भवन, यहां की स्कूलें नक्सली नारों से अटी पड़ी है।

अंदरूनी गांवों में चल रही नक्सली स्कूल
ग्रामीण बताते हैं कि नक्सलियों को शहीदी सप्ताह मनाना हो, चुनावों का विरोध करना हो, सरकारों का विरोध करना हो तो वे नारे लिखकर चले जाते हैं। धमकी रहती है कि इसे जो मिटाएगा हाथ काट देंगे। दंतेवाड़ा- बीजापुर- सुकमा जिले के सीमावर्ती अंदरूनी गांवों में आज भी नक्सलियों की स्कूल चलती है। यहां वे बच्चों को देश व सरकार विरोधी पाठ पढ़ाते हैं।

 

 

 

 

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