दीपावली (कविता)
बड़ा ही शुभ और पवित्र दिन आया है,
सारे घर -आंगन को दीपों से सजाया है,
पौराणिक सनातन उत्सव मिल कर सबको मनाना है,
रंगोली और कन्दीलों से घर को भी महकाना है,
दीपों की कतार, पटाखों की बहार है,
मिठाइयों और फूल झंडियों का ये त्यौहार है,
मंगल गीत गाना है और घर दीयों से सजाना है,
नरक चतुर्दशी को हनुमान जी की आराधना करना है,
पंच दिवस उत्सव,तेरह दिये जलाना है,
काली चौदस का दिन देवी काली को समर्पित करना है,
दशरथ राघव की रावण पर विजय का जश्न मनाना है,
कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को दीपावली मनाना है,
जीवन से -अंधकार, नकारात्मकता और सन्देह को मिटाना है,
अच्छाई की बुराई पे जीत और अज्ञानता पे ज्ञान की जीत का जश्न मनाना है,
माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना भी करना है,
खीर – पूरी और पकवानों का भोग भी लगाना है,
अयोध्या की भांति ही हमें भी सारा घर और शहर सजाना है ।।
✍️अनिल चन्द्रवंशी “अवि”
सहायक प्राध्यापक