मुजरिमों को सुबह-सुबह दी जाती है, फांसी से पहले काले कपड़े पहनाए जाते हैं
मुजरिमों को सुबह-सुबह दी जाती है, फांसी
से पहले काले कपड़े पहनाए जाते हैं सबका संदेश न्यूज –
एसडीएम जल्लाद को देता है आदेश,
फांसी से पहले चाय-नाश्ता देता है प्रशासन
फांसी गर्मी में सुबह 6 बजे और सर्दी में सुबह 7 बजे दी जाती है. फांसी वाले दिन सुबह दोषी को चाय दी जाती है. वो नाश्ता करना चाहे तो दिया जाता है. फिर उसे नहाने देते हैं. फिर उसे काले कपड़े पहनाते हैं. फांसी रूम में ले जाते वक्त चेहरे पर काला थैला लटका देते हैं. पैरों में रस्सी बांध दी जाती है. हाथों में हथकड़ी लगाते हैं.
निर्भया के दोषियों को कभी भी फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है. फांसी की प्रकिया क्या होती है, फांसी से बचने के दोषी के क्या अधिकार होते हैं, इन अधिकारों के खत्म होने के बाद क्या होता है, फांसी देने से पहले जेल प्रसाशन क्या तैयारियां करता है, जैसे सवाल काफी अहम हैं जिनके बारे में लोग जानना चाहते हैं. इसके अलावा जेल में किस तरीके से दोषियों को फांसी दी जाएगी, जेल मेन्युअल में क्या लिखा है, फांसी घर कैसा होता है, जैसे सवाल भी दिलो-दिमाग पर घूमते हैं.
दोषी को मिलते हैं कई अधिकार जिसका फायदा उठाकर लम्बा वक्त निकलते है
सबके मन में सवाल हैं कि इतने जघन्य अपराध के बावजूद फांसी देने में इतना लंबा (7 साल) समय क्यों लग रहा है…?
इस पर तिहाड़ के पूर्व डीजी अजय कश्यप का कहना है कि मौत की सजा एक ऐसी सजा है जिसके बाद इसमें कोई वापसी की गुंजाइश नहीं होती. ऐसे में दोषी को उसका एक-एक अधिकार इस्तेमाल करने दिया जाता है. हालांकि इसे और लंबा खींचने के लिए दोषी और उसके वकील कई चाल चलते हैं. ऐसा ही इस केस में भी हुआ. हाईकोर्ट से फांसी की सजा का फैसला बरकरार होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल करने की बात हो या फैसले को चुनौती देने की बात, उसमें दोषी एक साथ याचिका नहीं डालते. बल्कि एक-एक कर याचिका डालते हैं जिसमें काफी समय लगता है।
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