छत्तीसगढ़

किसानों की आमदनी बढ़ाने वाली फ्लैगशीप योजनाओं की कलेक्टर ने की समीक्षा* *डेयरी और मछलीपालन के लिए आसानी से लोन उपलब्ध कराने कलेक्टर के निर्देश

*किसानों की आमदनी बढ़ाने वाली फ्लैगशीप योजनाओं की कलेक्टर ने की समीक्षा*
*डेयरी और मछलीपालन के लिए आसानी से लोन उपलब्ध कराने कलेक्टर के निर्देश*

छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट
बिलासपुर 25 अक्टूबर 2024/खेती किसानी से आमदनी बढाने के लिए संचालित सरकार की विभिन्न योजनाओं से संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर कलेक्टर अवनीश शरण ने विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने के लिए डेयरी, मछलीपालन और फूलों की खेती पर जोर दिया। उन्होंने इन कारोबारों पर ज्यादा से ज्यादा लोन देने के निर्देश दिए। अब तक इन व्यवसायों में लोन दिये जाने की उपेक्षा किये जाने पर जिला सहकारी बैंक प्रबंधन को फटकार लगाई।
कलेक्टर श्री शरण ने कहा कि सरकार ने डेयरी, मछलीपालन, सब्जी की खेती को भी कृषि का दर्जा दिया है। इनकी गतिविधि को बढ़ाने के लिए उन्हें भी खेती की तरह आसान ऋण उपलब्ध कराने में बाधा नहीं आने दिया जायेगा। उन्होंने आवेदनों के रिजेक्ट अथवा लंबित होने के मामले की जांच के लिए ब्लॉक स्तरीय समिति के गठन के निर्देश दिए। उन्होंने बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गये निर्देशों और उनके पालन की स्थिति की भी जानकारी ली। कलेक्टर ने फसल बीमा योजना से ज्यादा संख्या में किसानों के आप्ट आउट हो जाने पर चिंता जाहिर की। श्री शरण ने कहा कि संकट की दशा में इससे किसानों को काफी राहत मिलती हैं। प्रीमियम भी कुछ ज्यादा नहीं है। इसलिए किसानों को हर साल योजना का फायदा उठाना चाहिए। काफी सोच-समझ के केन्द्र सरकार ने योजना को लांच किया है। उप संचालक कृषि ने बताया कि गरमी में धान का रकबा कम करने की कार्य-योजना तैयार की गई है। पिछले साल से धान का रकबा कम कर इस साल केवल साढे 16 हजार हेक्टेयर में रबी धान का लक्ष्य रखा गया है। प्रत्येक आरएईओ को धान के बदले दलहन-तिलहन बोने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें विभागीय योजनाओं का प्राथमिकता के साथ फायदा दिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 10 साल से ज्यादा पुराना और इससे कम अवधि के खेती की तुलना कर किसानों को समझाएं। परिणाम की जानकारी देकर उन्हें समझाइश दें। कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञों ने सरना के बदले एमटीयू 1318 प्रजाति को बेहतर बताया। इससे 45 से 48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे रहा है। प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थों की उपलब्धता के मामले में लक्ष्य से बाहर जाकर कुछ उल्लेखनीय काम करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।

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