छत्तीसगढ़

स्वास्थ्य कर्मियों का भ्रष्टाचार उजागर होने पर बौखलाहट, सच दिखाने वाले पत्रकार पर झूठी शिकायत दर्ज पत्रकार संघ जल्द ही मिलेंगे सीएमएचओ और पुलिस अधीक्षक से

स्वास्थ्य कर्मियों का भ्रष्टाचार उजागर होने पर बौखलाहट, सच दिखाने वाले पत्रकार पर झूठी शिकायत दर्ज पत्रकार संघ जल्द ही मिलेंगे सीएमएचओ और पुलिस अधीक्षक से

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

सबसे चिंता की बात यह है कि इन गंभीर आरोपों के बावजूद प्रशासन अब तक चुप्पी साधे हुए है। कबीरधाम जिले के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार और मरीजों की अनदेखी के आरोप कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता इस समस्या को और गंभीर बना रही है।

आखिरी सवाल: सच को कब मिलेगा इंसाफ।

यह घटना केवल स.लोहारा स्वास्थ्य केंद्र तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या पत्रकारों को उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए डराया-धमकाया जाएगा? क्या सच्चाई के लिए लड़ने वालों को हमेशा ऐसे ही झूठे मुकदमों का सामना करना पड़ेगा?

नियमों के अनुसार कार्रवाई की मांग-

इस मामले में लोक सेवा (नैतिकता और जवाबदेही) अधिनियम का सीधा उल्लंघन प्रतीत होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी शासकीय कर्मचारी जनता के हित में कार्य करने में अनियमितता करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए ऐसी शिकायतों की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सच्चाई का उजागर करने वाले पत्रकारों को बिना किसी दबाव या धमकी के अपने कर्तव्य का पालन करने का पूरा अधिकार हो।

यह मामला स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही से कहीं आगे बढ़कर हमारे समाज के उन बुनियादी सवालों तक पहुंचता है, जहां भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों को कुचलने की साजिशें रची जा रही हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन और कानून किसे संरक्षण देता है—सच्चाई को उजागर करने वाले पत्रकारों को, या भ्रष्टाचार में लिप्त उन स्वास्थ्य कर्मियों को जो अपनी लापरवाही छिपाने के लिए हर हद पार कर चुके हैं।

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