
पुण्यदायी मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का दिव्यतम योग 08 दिसंबर 2019
जाने-अनजाने हुए पापकर्मों का प्रायश्चित करने और मोक्ष की चाह रखने वालों के लिए मोक्षदा एकादशी
पण्डित देव दत्त दुबे
जगद्गुरु शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्र
सहसपुर लोहारा-कवर्धा सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- एकादशी उपवास का हिंदुओं में बहुत अधिक महत्व माना जाता है। सभी एकादशियां पुण्यदायी मानी जाती है। मनुष्य से जाने-अंजाने कुछ पापकर्म हो जाते हैं। इन पापकर्मों का प्रायश्चित करने और मोक्ष की चाह रखने वाले प्राणियों के लिए पद्म पुराण में मोक्षदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी गई है। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल एकादशी का नाम मोक्षदा है। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का पुण्यदायी योग 08 दिसंबर 2019 रविवार को है ।
गीता का अठारवां अध्याय मोक्ष संयास योग के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति नियमित गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करता है उसे भगवान विष्णु के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति की आत्मा को मृत्यु के पश्चात मोक्ष मिल जाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत के महत्व
पौराणिक ग्रंथों में मोक्षदा एकादशी को बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप नैवेद्य आदि से भगवान दामोदर का पूजन करने, उपवास रखने व रात्रि में जागरण कर श्री हरि का कीर्तन करने से महापाप का भी नाश हो जाता है। यह एकादशी मुक्तिदायिनी तो है ही साथ ही इसे समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली भी माना जाता है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रतकथा पढ़ने-सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़-