पति के लंबी आयु के लिए महिलाओं ने रखा वट सावित्री व्रत

बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटकर किया परिक्रमा
भिलाई। इस्पात नगरी सहित आसपास के इलाके में वट सावित्री का पारम्परिक पर्व आज पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। महिलाओं ने पति की दीर्घायु और दाम्पत्य जीवन में खुशहाली की कामना के साथ निर्जला व्रत रखा। दोपहर बाद बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा करते हुए विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। अनेक जगहों पर महिलाओं ने समूह बनाकर सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया।
आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की आमावस्या पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की व्रत रखा। मान्यता है कि इस व्रत के प्रताप से पति पर आए संकट दूर हो जाते हैं और दाम्पत्य जीवन खुशियों से भर जाता है। लिहाजा भिलाई-दुर्ग के साथ ही भिलाई-3, चरोदा, जामुल व कुम्हारी सहित आसपास के गांव में वट सावित्री व्रत का विधान संपन्न करने आज दोपहर बाद से नजदीकी बरगद के पेड़ पर जुट गई थी।
व्रती महिलाएं सुबह उठकर नये वस्त्र धारण करने के बाद सोलह श्रंृगार में सजकर घर के मंदिर अथवा पूजा स्थल में निर्जला व्रत का संकल्प लिया। फिर बरगद के पेड़ पर जाकर परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की। बरगद के पेड़ और जल चढ़ाने के बाद हल्दी, रोली और अक्षत सहित फल व मिठाई अर्पित की। इसके पश्चात धूप दीप से पूजन कर बरगद की बारह परिक्रमा के साथ पति की दीर्घायु व यशस्वी जीवन की कामना व्रती महिलाओं ने किया। बरगद पेड़ की परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत को लपेटने के साथ एक परिक्रमा पूरी होने पर भीगा चना चढ़ाने के विधान का भी निर्वहन किया गया।
वट सावित्री का व्रत हिन्दू धर्म को मानने वाली महिलाओं के लिए बेहद खास है। वट का मतलब बरगद होता है। हिन्दू पुराण के अनुसार बरगद के जड में भगवान ब्रम्हा, तने में विष्णु तथा उपरी भाग में शिवजी का वास होता है। यही वजह है कि यह माना जाता है, इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। कहते है इसी पेड़ के नीचे सवित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। इन्ही पौराणिक मान्यताओं के चलते सुहागिन महिलाओं ने आज पारम्परिक उत्साह के साथ वट सावित्री व्रत का पालन किया। भिलाई टाउनशिप से लेकर कैम्प, खुर्सीपार, वैशाली नगर, सुपेला, नेहरू नगर आदि इलाके में बरगद पेड़ पर आज व्रती महिलाओं का उत्साह देखते बना। दुर्ग शहर के विभिन्न वार्डों में भी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर महिलाओं ने अनेक समूह में सत्यवान व सावित्री की कथा का श्रवण किया। भिलाई-3 चरोदा जामुल व कुम्हारी में भी वट सावित्री का पर्व पारम्परिक विधान के साथ मनाया गया।