बगासपुर बन रहा तीर्थ-शङ्कराचार्य स्वरूपानन्द
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बगासपुर बन रहा तीर्थ-शङ्कराचार्य स्वरूपानन्द
पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्र
सहसपुर लोहारा-कवर्धा सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- ग्राम बगासपुर मध्यप्रेदश में आयोजित – माता गिरिजा महामहोत्सव कार्यक्रम के आयोजक शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री के शिष्य
प्रतिनिधि दण्डी स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ने बताया कि आज 05 दिसंबर को माता गिरिजा देवी महामहोत्सव कार्यक्रम के चौथे दिन ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री ने श्रीमद् भागवत कथा के आगे के क्रम में कहा कि
जहाँ देवताओं का आह्वान होता है, जहाँ सन्तों आचार्यों का आगमन होता है और जहाँ भगवान्नाम, भगवच्चरित्र गाये जाते हैं, वह स्थान तीर्थ बन जाता हैं। १०८ भागवत परायण और अनेक सन्तों विद्वानों के आगमन से बगासपुर ऐसा तीर्थ बन रहा है, जो लोक कल्याण में सर्वथा समर्थ होगा। अपने आगे के प्रवचन में गुरुदेव ने अपने उद्गार् व्यक्त किये।
सन्तों के निरादर से होता है पतन
पूज्य महाराज श्री ने आगे बताया कि जहाँ सन्तों का स्वागत होता है वहाँ के लोग सुखी रहते हैं। इसके विपरीत जहाँ के लोग सन्तों का निरादर करते हैं ,उनका पतन हो जाता है। पूज्य महाराज श्री ने अपने उक्त कथन के समर्थन में श्रीमद्भागवत की वह कथा सुनाई , जिसमे वैकुण्ठ में
https://youtu.be/6IpDtA2aQJg
रहने वाले जय-विजय का पतन मात्र इसलिए हो गया था कि उन्होंने नारद जैसे सन्त का निर्बाध प्रवेश रोककर अनादर कर दिया था। सन्तों के स्वागत का परिणाम सदा सुखद होता है, इसलिए सन्तों का सदा समादर करना चाहिए। यहाँ यह ध्यान रखने कि बात है कि सन्त के भेष में कहीं कोई असन्त का आदर न हो जाए अन्यथा परिणाम विपरीत हो सकते हैं।
https://youtu.be/Qr7Gqs05Ius
कानून नहीं धर्म से होती है रक्षा
पूज्य महाराज श्री ने कहा कि कानून का सीमित लाभ हो सकता है ,पर कानून मात्र से सर्वथा रक्षा नही हो सकती। हिरण्यकश्यपु ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा। जब ब्रह्मा जी ने सीधे-सीधे मना कर दिया तब उसने कानून का सहारा लिया और कानून के सहारे अमर होना चाहा। उसने मांगा की अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे, दिन-रात, शस्त्र-अस्त्र, मनुष्य-पशु किसी से न मरूँ। उसने सोचा अब कोई रास्ता नही है मेरे मरने का, अब मैं अमर हो गया यह सोचकर अत्याचार करने लगा। पर भगवान विष्णु ने प्रह्लाद पर हो रहे अत्याचारों को देखकर हिरण्यकश्यपु को मारने का रास्ता निकाल ही लिया।
आज बलात्कार करने वालों के लिए कड़े कानून बने हैं पर बलात्कार नही रुक पा रहा है। जब से पता चला है कि बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा हो सकती है, तब से बलात्कारी बलात्कार के बाद कन्याओं और स्त्रियों की हत्या भी कर दे रहे हैं। जब तक धर्म भावना को बढ़ाया नही जाएगा, स्त्री पूजनीया है यह हृदय में बिठाया नहीं जाएगा , शराब जैसे नशे हटाये नही जाएंगे, जब तक बलात्कारी को पछतावा नही आएगा, तब तक बलात्कार के केवल कानून के भरोसे रोका नही जा सकता है।
परमपूज्य महाराज श्री के प्रवचन के पूर्व अग्निपीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि रामकृष्णानंद जी महाराज सहित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री, ब्रह्मचारी इंदुभुवानन्द, ज्योतिर्मयानंद, निम्बार्कमणि पद्मनाभ शरण जी, महन्त महाराज मणिशरण सनातन जी, पण्डित सुरेश व्यास ‘रामायणी’ स्वामी त्रिभुवन दास, श्रीमती कुशला दुर्गेश आदि ने विचार व्यक्त किया।
पादुका पूजन
सर्वश्री प्रभात शुक्ल(टी आई) गोटेगांव, तथा नंदजा मलिक, डॉ बीएल शर्मा एवं श्रीमती विजया शर्मा , नीलमणि पटेल उनके चारों पुत्र शंकर शरण एवं अहिल्या, बृजेश एवं शानू, मणि एवं मनीषा तथा हृदयेश एवं शशि, ललित पुर के राजकुमार शर्मा एवं रेखा शर्मा तथा करण पटेल इमलिया ने सम्मिलित रूप से किया।
आरम्भ में अथर्व वेद का मंगलाचरण मुदित शुक्ल,पुष्कर उपाध्याय, शाहिल उपाध्याय, सौरभ शर्मा, भैराराम शर्मा तथा अथर्ववेद पैप्पलाद शाखा का मंगलाचरण अरुण शुक्ल, गणेश मिश्र, आयुष मिश्र एवं प्रसन्जीत मिश्र ने किया।
माल्यार्पण कार्यक्रम के परमाध्यक्ष एवं म. प्र. मठ मन्दिर कल्याण समिति के अध्यक्ष ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी ने किया।
*माता गिरिजा देवी महामहोत्सव कार्यक्रम का सफल सञ्चालन स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी ने किया।*
*मुख्य आकर्षण काशी की भव्य महाआरती*
प्रतिदिन जगद्गुरु के प्रवचन के उपरान्त, काशी के वैदिक विद्वानों द्वारा की जा रही भव्य महाआरती भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। लोगों में आम चर्चा है कि ऐसी आरती तो पहले कभी नही देखी गयी। इस महारती के विद्वान सीधे महाकाल की नगरी काशी से बुलवायी गयी है। इस महाआरती को देखने के लिए प्रतिदिन हजारो श्रद्धालु प्रतिक्षा करते हैं और भव्य महारती का दर्शन लाभ लेकर ही घर की ओर प्रस्थान करते हैं।
*वृन्दावन की रासलीला ने मोह लिया मन*
प्रतिदिन शाम 7 बजे से 10 बजे तक होने वाली रासलीला इस क्षेत्र के जनमानस में गहराई से राधाकृष्ण की प्रेमभक्ति घोल रही है। ज्ञात हो कि यह रासमण्डली वृन्दावन से सीधे बुलवायी गयी है। इस रासलीला के सभी कलाकार वृन्दावन से हैं और भगवान कृष्ण के भाषा ब्रज भाषा में ही लीला करते हैं ,जो यहाँ के लोगों को ब्रजवास की अनुभूति कराती है ,मानो ब्रज में ब्रजराज किशोर एवं किशोरी जी के महारास में सम्मिलित हो कर उनके लीला का आनंद ले रहे हैं।
*परमपूज्य जगद्गुरु जी के श्रीचरणों में 108 कमल पुष्पों का माल्यार्पण*
जगद्गुरु शंकराचार्य जी के श्रीचरणों में आज 108 कमल पुष्पों से निर्मित माला अर्पित की गयी। इस माल्यार्पण में शेखर चौधरी(पूर्व विधायक), शंकु पटेल(सांसद प्रतिनिधि), अश्विनी शर्मा, टिंकू अग्रवाल, छोटे गुड्डू शास्त्री, संतोष पटेल, बाबुलाल पटेल, नारायण पटेल, रामनाथ पटेल एवं जगदीश विलवार सम्मिलित रहें।
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