#SarkarOnIBC24 : शिमला में मस्जिद विवाद पर बवाल, पुलिस ने भांजी लाठियां
नई दिल्ली : Shimla Mosque Protest : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला जानी जाती है अपनी हसीन वादियों के लिए, लेकिन इसी शिमला का संजौली इलाका दो समुदायों के बीच टकराव का केंद्र बन गया है। एक मस्जिद के कथित अवैध निर्माण को लेकर तनावपूर्ण हालात पैदा हो गए हैं। सरकार और प्रशासन इसे टालने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है, ये मामला एक धर्म से जुड़ा है और सियासी रंग भी ले चुका है। जिससे हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पसोपेश में है।
Shimla Mosque Protest : हिमाचल प्रदेश का संजौली करीब 5 दिन एक बार फिर जंग का मैदान बन गया। मस्जिद के कथित अवैध निर्माण को लेकर 5 सितंबर को जो आग भड़की थी वो एक बार फिर सुलग उठी। हिंदू संगठनों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई। हालात काबू करने के लिए पुलिस को ना केवल लाठीचार्ज करना पड़ी।बल्कि वाटर कैनन के गोले भी छोड़े गए। ताजा हिंसा की शुरूआत तब हुई जब संजौली में बनी 5 मंजिला कथित अवैध मस्जिद हटाने को लेकर राज्य सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत मंगलवार को फेल हो गई। जिसके चलते हिंदू संगठनों ने 11 सितंबर को दोबारा संजौली में प्रदर्शन का एलान किया था। हालात के मद्दनेजर पुलिस ने सुबह से ही मोर्चा संभाल लिया था। धारा 163 लागू होने के बाद भी मस्जिद के आसपास बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।
संजौली की कथित अवैध मस्जिद को लेकर जहां हिंदू संगठन और पुलिस आमने-सामने हैं तो वहीं इस पर सियासत भी खूब हो रही है। बीजेपी सुक्खू सरकार पर हिंदुओं की भावना से खिलवाड़ का आरोप लगा रही है, तो वहीं सरकार का कहना है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का सबको अधिकारी है लेकर ये कानून के दायरे में होना चाहिए। अगर अवैध निर्माण पाया गया तो उसे जरुर गिराया जाएगा।
Shimla Mosque Protest : संजौली में मस्जिद के कथित अवैध का मामला पेचीदा होता जा रहा है। इसमें कानूनी पहलुओं के साथ-साथ जनभावना और राजनीतिक नफे-नुकसान का एंगल भी है। जिसे कांग्रेस और बीजेपी अपने-अपने चश्मे से देख रहे है। राज्य में कांग्रेस की सरकार है जिससे कांग्रेस पसोपेश में है और खुलकर किस एक का पक्ष लेने की हालत में नहीं है। इसी के चलते वो बीच के रास्ते पर चल रही है। दूसरी ओर संजौली में महज 7 दिन के अंदर दोबारा तनावपूर्ण हालात पैदा होना सबके लिए चिंता का सबब है। इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है, ताकि दोनों समुदाय में टकराव की किसी भी आशंका को टाला जा सके।