अमर होने का मार्ग भागवत में निहित स्वरूपानन्द
अमर होने का मार्ग भागवत में निहित स्वरूपानन्द
पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्र
सहसपुर लोहारा-कवर्धा सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- माता गिरिजा महामहोत्सव कार्यक्रम के आयोजक शङ्कराचार्य जी के शिष्य प्रतिनिधि दण्डी स्वामी श्री
अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने बताया कि ,04 दिसंबर को कार्यक्रम के तिसरे दिन जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री ने श्रीमद् भागवत की कथा के आगे के क्रम में बताया कि , कॉल रूपी अजगर हम सबको लील रहा है । सामान्यतः मनुष्य की उम्र 100 वर्ष मानी जाती है यदि हम 25 वर्ष के हो गए तो समझो कॉल रूपी अजगर ने हमें एक चौथाई निगल लिया है । हम सबको काल रूपी डर लगता है
क्योंकि हम में से कोई मरना नहीं चाहता । उक्त उदगार पूज्यपाद ज्योतिष पीठ एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने ग्राम बगासपुर जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश मैं विशाल पैमाने पर आयोजित हो रहे, माता गिरजा महा महोत्सव के अंतर्गत चल रहे 108 श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ में
व्यास आसन से तृतीय दिवस का प्रवचन करते हुए व्यक्त किए । पूज्य शंकराचार्य जी ने आगे कहा कि मरना नहीं अपितु अमर होना चाहते हैं, कि हमारी मृत्यु कभी न हो मृत्यु पर विजय या अमर होने का मार्ग श्रीमद् भागवत कथा में बहुत स्पष्ट रूप से बताया गया है। इसीलिए श्रीमद्
भागवत कि कथा को अमर कथा भी कहा जाता है । पूज्य महाराज श्री अमर कथा की उत्पत्ति के प्रसंग को विस्तार से बताया और कहा कि इसी कथा का भगवान शिव ने माता गिरजा पार्वती को उपदेश दिया था । नींद में माता के निंद्रामग्न हो जाने पर पेड़ के ऊपर बैठे शुक ने उस अमर कथा को सुन लिया था , जिससे वह परीक्षित को अमर कथा सुनाने का अधिकारी हो सका । उनके द्वारा अमर कथा सुनकर राजा परीक्षित अमर हो गया । इसका प्रमाण यही है कि भागवत के अंत में जब सुखदेव जी ने परीक्षित से पूछा कि क्या तुम्हें मृत्यु से भय लग रहा है। तब राजा परीक्षित ने उनसे कहा कि अब मैं किसी भी प्रकार की मृत्यु से नहीं डरता , क्योंकि अब मैं अमृतत्व को प्राप्त हो चुका हूं । मैं जान चुका हूं कि मैं शरीर नहीं शरीर में अभिव्यक्त होने वाला व्यापक आत्मा हूं । मृत्यु और जन्म शरीर के होते हैं मैं ना जन्मा हूं ना मरता हूं ।
पूज्य पाद महाराजा श्री ने प्रसंग में नारी महिमा का बखान किया । *नारी पूजनीय है ,मात्र भोग की वस्तु नहीं*
पूज्य पाद महाराज श्री ने प्रसंग वश नारी महिमा का बखान किया और कहा कि नारी को नारी के रूप में केवल पति ही देखता है। दूसरा कोई नहीं देखता, बाकी लोग उसे पुत्री, बहन, माता आदि के रूप में ही देखते हैं । स्कूलों में उदात्त भावना की शिक्षा नहीं दी जा रही है। पूज्य महाराज श्री ने केंद्र और राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे शीघ्र विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस तरह के उप व्याख्यान को रामायण, महाभारत और पुराणों से लेकर सम्मिलित कराएं जिससे बच्चियों के प्रति हो रहे अपराधों में कमी आए।
रामलला का कनक मंदिर शीघ्र बनेगा।
पूज्य महाराज श्री के इस आवाहन पर की “रामलला को अब तिरपाल की जगह नया मंदिर बनने तक सोने के मंदिर में विराजमान कराया जाए।”
गुंगवारा (सिवनी) के भक्तों ने लगभग पांच लाख की थैली मंच पर ब्रह्मचारी राघवानंद जी के माध्यम से भेंट की पूज्य महाराज जी ने कहा कि शीघ्र ही रामलला का कनक मंदिर तैयार कराया जाए । शंभू दयाल गुप्ता, राम सिंह ठाकुर भूप सिह ठाकुर भीकम सिंह ठाकुर आदि ने यह थैली भेंट की।
अंत में भव्य महाआरती ज्योतिर वेद पंडित अमित दीक्षित के नेतृत्व में संपन्न हुई आरती गायन प्रसिद्ध क्षेत्र गायक श्री संदीप तिवारी तथा ढोलक विजय ने बजाए ,अग्नि पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा कि जीवन को पवित्र बनाना ही सत्संग का उद्देश्य है । गंदगी चाहे वह बाहर की हो या अंदर की तन मन को हानि पहुंचाती है । सत्संग कथा श्रवण आदि मन के पवित्र और स्वस्थ बनाते हैं।
पूज्य महाराज श्री के प्रवचन के पूर्व वृंदावन से पधारे शिव प्रसाद उपाध्याय, श्री भगवान ,श्री राजेंद्र शास्त्री जी , ज्योतिर्मयानन्द ब्रम्हचारी जी ,आचार्य प्रणव महाराज एवं कुशल दुर्गेश ने भी संबोधित विद्वानों ने श्रीमद्भागवत के विभिन्न प्रसंगों का आधार बनाकर प्रसंग उद्बोधन प्रदान की।पादुका पूजन तलैया बखरी के गोविंद प्रसाद जी पटेल और अशोक पटेल तथा कंजई के श्री राम सहाय तिवारी पवन भाई राधेश्याम आदि ने किया 108 कमल पुष्पों की माला सरपंच प्रेम शंकर उपाध्याय रघुवर केदार रघुनाथ पटेल दीपक राय सुनील पटेल प्रकाश विलबार संतोष पटेल कमल पटेल राधेश्याम बिलवार आदि ने किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं अन्य समिति के अध्यक्ष के माध्यम से शङ्कराचार्य जी के निज सचिव सुबुद्धानन्द जी ने किया मंत्रोच्चारण एवं विरुदाबली वाचन आचार्य पंडित रविशंकर दुबे जी ने किया । माता गिरिजा देवी महामहोत्सव कार्यक्रम का सफल संचालन शङ्कराचार्य जी के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने किया ।
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