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Krishna Janmashtami 2024: ‘नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’, देशभर में आज कृष्ण जन्माष्टमी की धूम, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

दिल्ली। Krishna Janmashtami 2024: देशभर में आज कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आज धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर बेहद ही शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषों के अनुसार, ऐसा योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय था। ऐसे में इस योग में जन्माष्टमी की पूजा करने से भक्तों को कई गुना अधिक फल मिलेगा। ऐसी मान्यताएं हैं कि यह वही तिथि है, जब भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। कृष्ण भक्त पूरे साल जन्माष्टमी के त्योहार का इंतजार बेसब्री से करते हैं।

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इस साल ये त्योहार आज यानी सोमवा, 26 अगस्त के दिन मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने के साथ-साथ उनके लिए व्रत भी करते हैं। कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं जन्माष्टमी के भव्य समारोह की तैयारियां की गई है।

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Krishna Janmashtami 2024 : बता दें कि, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और वृंदावन में भी जन्माष्टमी की खास तैयारियां की गई है। आज के इस खास मौके पर देशभर के कृष्ण मंदिरों को सजाया गया है। इसके साथ ही मंदिर आने वाले भक्तों के लिए भी खास व्यवस्था की गई  है। ऐसे में अगर आप भी आज जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के लिए व्रत कर उनकी पूजा करने जा रहे हैं तो आपको इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त के साथ-साथ कृष्णजी की पूजन विधि भी नोट कर लेनी चाहिए।

Krishna Janmashtami 2024 : जन्माष्टमी के लिए शुभ मुहूर्त

उत्तम मुहूर्त- 26 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 27 मिनट से सुबह 5 बजकर 12 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

ऐसे करें जन्माष्टमी की पूजा

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। सुबह स्नानादि के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन बाल गोपाल का श्रृंगार करके विधि विधान से उनकी पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले कृष्ण जी को दूध से स्नान कराएं। फिर दही, शहद, शर्करा और अंत में गंगाजल से स्नान कराएं। इसे ही पंचांमृत कहा जाता है। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। माथे पर मोर पंख का मुकुट सजाएं और हाथ में नई बांसुरी थमाएं। ऋृंगार के लिए चंदन और वैजयंती के माला का प्रयोग जरूर करें।

 

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