कवर्धा

पर्यटन स्थल झिरना नर्मदा कुंड ग्राम झिरना, नगर पंचायत पिपरिया

पर्यटन स्थल झिरना नर्मदा कुंड कवर्धा मुख्यालय से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर नगर पंचायत पिपरिया के ग्राम झिरना में स्थित है। ग्राम झिरना का प्राचीन नाम पीपरखुंटी था यहां पर मुख्य रूप से भगवान शंकर का मंदिर तथा भोरमदेव से लाए गए शिवलिंग स्थापित है और मां नर्मदा कुंड भी है ऐसा माना जाता है की जहां जहां पर भू गर्भ से जल का स्त्रोत निकला है उसे मां नर्मदा का रूप माना गया है। यहां झिरना कुंड में किवदंतियां है की कुछ इतिहासकार के अनुसार सैकड़ों साल पहले राजा बहादुर सिंह की धर्मनिष्ठ कन्या रेवाकुंवर ने अमरकंटक में मां नर्मदा को नारियल भेटकर ग्राम झिरना आने का न्यौता दिया तब से यहां कुंड में मां नर्मदा का उद्गम हुआ है इस कुंड का निर्माण धर्मनिष्ट कन्या रेवाकुंवर ने करवाया। यहां पर कपास तथा केवड़े के वृक्ष का विशाल क्षेत्र स्थापित था जो आज वर्तमान समय में देखरेख के अभाव में विलुप्त होते जा रहे है, उस समय इन घने केवड़े वृक्षों के जंगलों में शेर,भालू,खरगोश,गिलहरी,छिपकली,बंदर तथा सांप थे लेकिन आज तक सर्पदंश किसी को नही हुआ है।यहां पर भगवान शिव के मंदिरों के अलावा हनुमान जी तथा अन्य देवी देवताओं का मंदिर भी है यहां गुरु घासीदास जी का जैतखाम भी स्थापित है और यह पर्यटन स्थल बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इस स्थल का इतिहास सैकड़ों साल से भी ज्यादा पुराना है यहां पहले मकर संक्रांति से लेकर माघी पुन्नी तक एक से डेढ़ महीने का विशाल मेला लगता था जिसमे लगभग 50 हजार से भी ज्यादा लोग क्षेत्र तथा अन्य राज्यो से आते थे यह मेला इतना प्रसिद्ध था की यहां कलकत्ता से व्यापारी व्यापार करने के लिए आते थे, उन दिनों एक दिन भयंकर ओलावृष्टि हुई जिससे वहां आए व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ तब से वहां एक से डेढ़ महीने का मेला लगना बंद हो गया। अब वर्तमान में प्रतिवर्ष माघी पुन्नी के अवसर पर 2 दिन का मेला और मड़ई लगता है जिसमे आस पास क्षेत्र के हजारों लोग इस मेले में शिरकत करते है तथा भगवान शिव तथा अन्य मंदिरों और नर्मदा कुंड का पूजा अर्चना कर दर्शन करते है इस मेले समय यहां यज्ञ तथा भागवत कथा का भी आयोजन किया जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री तथा वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह जी बताते थे की जब वे छोटे बच्चे थे तब उनके पिताजी उनको कंधो पर बिठाकर झिरना मेला देखने लाते थे।

विशेष
यहां के कपास के वृक्षों के रुई से
गद्दा,सोफा,तकिया तथा केवड़ो के वृक्षों से सुगंधित अगरबत्तियां बनाई जाती थी।

झीरना नर्मदा कुंड सिर्फ नाम का पर्यटन स्थल

जनपद पंचायत कवर्धा के उस समय के अध्यक्ष घुरवाराम साहू की मांग पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की घोषणा 22 जुलाई 2004 के अनुरूप छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा झिरना नर्मदा कुंड को छत्तीसगढ़ पर्यटन की सूची में कबीरधाम जिले के अंतर्गत क्रमांक दो पर चिन्हांकित किया गया है। हालांकि यहां की माली हालत में अभी अपेक्षित तब्दीलि नहीं हुई है नगर पंचायत पिपरिया से पर्यटन स्थल झिरना पहुंच मार्ग भी जर्जर तथा जगह जगह गढ्ढे है सड़के खराब हो गई है शासन को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए।

गौरतलब है कि करीब डेढ़ दशक पूर्व तक झिरना नर्मदा कुंड की नैसर्गिक छटा देखते ही बनती थी। वर्तमान में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार विभाग की अकर्मण्यता, घोर लापरवाही व उपेक्षा के चलते यहां की खास पहचान सुंदर रमणीय झरना व बड़े भू-भाग पर विकसित आच्छादित दुर्लभ औषधीय सुगंधित केवड़ा वृक्षों का अस्तित्व ही बेहद संकट से जूझ रहा है। बारहमास निर्मल शीतल व उष्ण जल प्रवाहित करने वाले लाखों लोगों की आस्था का पुनीत पावन केंद्र यहां के जल स्त्रोत विलुप्त होते जा रहे हैं। समय रहते इसके संरक्षण व संवर्धन के लिए कारगर उपाय नहीं किए गए तो भावी पीढ़ी के लिए यह अनमोल धरोहर महज किवदंती बनकर रह जाएगी।
झीरना नर्मदा कुंड पर्यटन स्थल तो बन गया है लेकिन यह सिर्फ नाम का पर्यटन स्थल है यहां पर्यटन स्थल के अनुरूप जो सुविधाए उपलब्ध होनी चाहिए वो नहीं है इसके लिए शासन प्रशासन को ध्यान देना होगा। इस पर्यटन स्थल झिरना का विकास तब तक नही होगा जब तक इसे नगर पंचायत पिपरिया में जोड़ा नही जाता।

माघ पूर्णिमा प्रतिवर्ष चलने वाले झिरना मेले में झिरना मेला महोत्सव आयोजित किया जाए

गौरतलब है की प्रतिवर्ष माघी पुन्नी के अवसर पर झिरना मेला आयोजित किया जाता है इस मेले का इंतजार क्षेत्रवासियों को सालभर से रहता है उस समय जब कवर्धा के कलेक्टर श्री पी. दयानंद जी थे तो उन्होंने 13 तथा 14 फरवरी 2014 को 2 दिन का झीरना मेला महोत्सव आयोजित करवाया था, जो कुछ सालो से निष्क्रिय है जिसे फिर से सक्रिय करने की आवश्यकता है तथा 2 दिवसीय रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया जाना चाहिए पर्यटन स्थल में जगह जगह सीसीटीवी कैमरा लगवानी चाहिए जिससे मेला में छेड़खानी मारपीट व लड़ाई झगड़ा न हो। पर्यटन स्थल में आए श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। जगह जगह डस्टबिन होना चाहिए। और पर्यटन स्थल के अनुरूप जो सुविधाए होनी चाहिए वह सभी सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

धन्यवाद,

लेख ✍🏻

टोकेश्वर कोशले
सदस्य,
(पिपरिया विकास संघर्ष समिति
नगर पंचायत पिपरिया)

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