बंदरों पर कारगर साबित हुई कोविड-19 वैक्सीन, ह्यूमन ट्रायल के लिए 180 करोड़ रुपये देगा ब्रिटेन – Covid-19 vaccine proved effective on monkeys Britain will give Rs 180 crore for human trials | knowledge – News in Hindi

इंस्टीट्यूट मई के आखिर तक 6,000 से ज्यादा लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण (Human Trial) करना चाहता है. इसके लिए ब्रिटिश सरकार (British Government) ने इस्टीट्यूट 20 करोड़ पाउंड (180 करोड़ रुपये) की मदद देने का वादा किया है. इस बीच इंस्टीट्यूट के रीसस मकाक बंदर (Rhesus Macaque Monkeys) पर वैक्सीन के ट्रायल की नतीजे भी आ गए हैं. वैक्सीन ‘ChAdOx1 nCoV-19’ बंदरों को कोरोना वायरस से प्रतिरक्षा देने में कारगर साबित हुई है.
6 बंदरों को वैक्सीन देने के बाद कोरोना के संपर्क में लाया गया
कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाने का दावा करने वाले ज्यादातर देश अभी छोटे-छोटे समूह पर क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trials) ही कर रहे हैं. वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मई अंत तक हजारों ह्यूमन ट्रायल्स करने की तैयारी में है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन बनाने की रेस में ब्रिटेन (Britain) सबसे आगे निकल गया है. इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑक्सफोर्ड की बनाई वैक्सीन रीसस मकाक बंदरों पर पूरी तरह कारगर साबित हुई है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट की वैक्सीनोलॉजिस्ट प्रोफेसर सराह गिल्बर्ट और डायरेक्टर प्रोफेसर एड्रियन हिल की टीम कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रही है.
दरअसल, मोंटाना में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रॉकी माउंटेन लैब में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 6 बंदरों पर मार्च में अपनी वैक्सीन का परीक्षण किया था. इसके बाद बंदरों को हैवी लोड कोरोना वायरस के संपर्क में लाया गया. यानी उन्हें भारी मात्रा में कोरोना वायरस दिया गया. साथ ही कुछ दूसरे बंदरों को भी कोरोना वायरस के संपर्क में लाया गया. शोध में पाया गया कि वैक्सीन की डोज दिए गए बंदर करीब चार सप्ताह बाद भी एकदम स्वस्थ थे.
28 दिन बाद भी शोध में शामिल सभी 6 बंदर पूरी तरह स्वस्थ
शोध में शामिल रहे विंसेंट मनस्टर ने बताया कि वैक्सीन परीक्षण के 28 दिन बाद भी सभी 6 बंदर पूरी तरह से स्वस्थ हैं, जबकि दूसरे बंदर बीमार हो गए. उनका कहना है कि शोध में शामिल किए गए रीसस मकाक बंदर (Rhesus Macaque Monkeys) इंसानों के सबसे करीबी हैं. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीन से रीसस मकाक बंदरों में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी डेवलप होने का मतलब इंसानों में प्रतिरक्षा विकसित होने की 100 फीसदी गारंटी नहीं है. बस इन नतीजों ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन ट्रायल को अगले चरण में ले जाने के उत्साह में वृद्धि की है. बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में वैक्सीन प्रोग्राम की डायरेक्टर एमिलियो एमिनी का कहना है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हर लिहाजा से काफी तेजी से काम कर रही है.

मोंटाना में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रॉकी माउंटेन लैब में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 6 बंदरों पर मार्च में अपनी कोरोना वैक्सीन का परीक्षण किया था, जो सफल रहा है.
सितंबर तक बाजार में आ जाएंगी वैक्सीन की कुछ लाख डोज
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो इस वैक्सीन की कुछ लाख डोज सितंबर तक उपलब्ध हो जाएंगी, जो बाकी सभी देशों के मुकाबले कुछ महीने पहले ही होगा. हालांकि, इसके लिए वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल में भी कारगर साबित होना जरूरी है. वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर रहा है. इंस्टीट्यूट पहले भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मलेरिया वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम कर चुका है.
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अदार पूनावाला ने कहा कि हमें कोविड-19 वैक्सीन के सितंबर-अक्टूबर तक बाजार में आने की पूरी उम्मीद है. हम अगले दो से तीन सप्ताह में इस टीके का परीक्षण भारत में भी शुरू कर देंगे. पहले छह महीने उत्पादन क्षमता प्रति माह 50 लाख खुराक रहेगी. इसके बाद हम उत्पादन बढ़ाकर प्रति माह एक करोड़ खुराक कर लेंगे.
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