Patanjali Misleading Ads Case : ‘आपने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया’, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में उत्तराखंड सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली : Patanjali Misleading Ads Case : आज सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़े तेवर दिखाते हुए पतंजलि द्वारा पेश किये गए माफीनामे को मानने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में उत्तराखंड सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि, समाज में संदेश जाना चाहिए की आदेश की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। गुरुवार को हुई सुनवाई में बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को लगाई फटकार
Patanjali Misleading Ads Case : पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में उत्तराखंड सरकार से सवाल पूछते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, आपके समक्ष दिए गए बयान का उल्लंघन किया तो आपने क्या किया? बैठे रहे आप, हमारे आदेश तक इंतजार करते रहे?
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि ऐसा 6 बार हुआ है, बार-बार, लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहा। अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं है.. बाद में नियुक्त अधिकारी ने भी यही किया.. उन तीनों अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा कि क्या यह कर्तव्य की उपेक्षा नहीं है? क्या आपके ड्रग निरीक्षण अधिकारी इसी तरह काम करते हैं? अब अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। अभी निलंबन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि वह उसे आज़ाद नहीं होने देगी। सभी शिकायतें शासन को भेज दी गईं। लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहे, अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं है। संबंधित अधिकारियों को अभी निलंबित किया जाना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘वे कहते हैं कि विज्ञापन का उद्देश्य लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखना था जैसे कि वे आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आने वाले दुनिया के पहले लोग हैं।’
पीठ ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट मजाक बनकर रह गया है। वहीं अदालत ने उत्तराखंड सरकार से उन अनगिनत निर्दोष लोगों के बारे में सवाल किया जिन्होंने यह सोचकर दवा ली कि उनकी बीमारी दूर हो जाएगी? कोर्ट ने कहा कि यह उन सभी एफएमसीजी कंपनियों से संबंधित है जो उपभोक्ताओं को लुभाती हैं और फिर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।
#BREAKING #SupremeCourt raps the Uttarakhand State authorities for not taking action against #Patanjali for its misleading medical advertisements.
“We will rip you apart,” the Court tells the State. https://t.co/VrBn4uzJ4A
— Live Law (@LiveLawIndia) April 10, 2024
कोर्ट ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लगाई फटकार
Patanjali Misleading Ads Case : बता दें कि, भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी गई माफी से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और कोर्ट ने फिर से जमकर फटकार लगाई है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा की वकीलों को मेरा सुझाव था कि माफी बिना शर्त होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि वे सिफारिश में विश्वास नहीं करते। मुफ्त सलाह हमेशा वैसे ही स्वीकार की जाती है। हम दाखिल हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। वहीं, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं। वकील मुकुल ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक माफी मांगेंगे।
IMA ने लगाया था आरोप
Patanjali Misleading Ads Case : बता दें कि, IMA ने आरोप लगाया था कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपए तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की थी। कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर विवादास्पद टिप्पणियों के लिए IMA की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।